गोरखपुर: इस बार दीपावली को खुशियों से सराबोर करने के साथ चीन को पूरी तरह से बाजार से बाहर करने की तैयारी भी जोरों पर है. उत्तर प्रदेश में माटी कला बोर्ड मिट्टी शिल्पकारों को प्रतिमाएं और दीए बनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है. स्वयं सहायता समूह को तवज्जो देते हुए गोरखपुर में पहली बार देसी गाय के गोबर से लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाई गई हैं. सहकार भारती की ओर से महिलाओं को इस संबंध में प्रशिक्षण दिया गया है. इसके इस्तेमाल से रेडिएशन भी कम होता है.
पुरुष और महिलाओं को दी गई ट्रेनिंग
चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के सहयोग से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा सहकार भारती स्वयं सेवी समूहों के पुरुष और महिलाओं को इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी गई है. हर साल भारतीय बाजारों में चीन निर्मित मूर्तियों का बोलबाला रहता रहा है. इस बार स्थानीय कलाकारों को मौका दिया जा रहा है. इस दिशा के कदम बढ़ाते हुए सहकार भारती ने महिला समूहों के जरिए देसी गाय के गोबर से प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया है. गोरखपुर में भी इसका प्रशिक्षण पूरा हो चुका है.
सुरक्षित रहें लोग
सहकार भारती की प्रदेश महिला प्रमुख और साक्षी महिला सेवा संस्थान की सचिव मिनाक्षी राय बताती हैं कि वैश्विक महामारी की वजह प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग कम हो गया है. विद्युत ऊर्जा की वजह से बहुत से नुकसान हो रहे हैं. इसके साथ ही बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए गोबर से बने स्वास्तिक, वंदनवार, दीए का उपयोग करें. किसी तरह की बीमारी न आए और वे लोग सुरक्षित भी रहें. गोबर के लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति बना रहे हैं. स्वयं सहायता समूह को इसकी ट्रेनिंग दी गई है. उद्देश्य है कि घर-घर में गोबर के लक्ष्मी-गणेश से पूजा हो. तीन समूह प्रोडक्शन करेंगे. एक समूह इसे तैयार करेगा. दूसरा समूह रंग भरेगा. तीसरा समूह मार्केटिंग करेगा.
चाइना का बाजार बंद
उरई से आईं ट्रेनर और सहकार भारती की स्वावलंबन और प्रशिक्षण प्रमुख विनीता पाण्डेय पूरे देश के प्रमुख जिलों में जाकर स्वयं सहायता समूहों को इसकी ट्रेनिंग देती हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर महिलाओं को सिखाया गया है कि वे कैसे गोबर के दीए, स्वास्तिक, ऊं और वंदनवार के साथ लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां तैयार कर सकती हैं. दीपावली का बाजार सबसे बड़ा होता है. सारी चीजें चाइना से आती रही हैं. चाइना का बाजार बंद होने के बाद देसी गाय के गोबर से प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं.
अर्थव्यवस्था से जुड़ सकेंगी महिलाएं
विनीता पाण्डेय ने बताया कि ये नया उद्योग बनकर निकला है. ये ऊष्मा रोधक होने के साथ रेडिएशन को कम करता है. ऊर्जा को अपनी ओर खींचता है. गोबर के एलीमेंट ऑक्सीजन को अपनी ओर खींचते हैं. इसलिए ये काफी लाभकारी है. महिलाओं को गाय से जोड़ दें, तो महिला गोबर से उत्पाद तैयार कर स्वावलंबी बनने के साथ अर्थव्यवस्था से जुड़ सकेंगी. वे गोबर से 201 प्रोडक्ट की ट्रेनिंग देते हैं. पूरे यूपी में मुहिम छेड़कर इन सब चीजों का प्रशिक्षण दे रहे हैं.
नहीं फैलेगा प्रदूषण
विनीता पाण्डेय ने बताया कि पीओपी की मूर्तियों के खंडित होने पर पेड़ के नीचे रख दिया जाता था. इससे प्रदूषण भी फैलता रहा है. इसे गोबर की खाद के रूप में इस्तेमाल करने के साथ कहीं भी विसर्जित किया जा सकता है. इससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं होगा. खास बात ये है कि इस गोबर में तुलसी और गिलोय भी मिलाया गया है. इसे तैयार करने के लिए देसी गाय के सूखे गोबर का पाउडर लेकर उसमें पहले से तैयार कुछ अन्य पदार्थो का मिश्रण मिलाया जाएगा. उसके बाद सांचे से लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा तैयार हो जाएगी. इन्हें गाय के गोबर से धूप-बत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. जो ऊष्मारोधक होगी.
बहनों को रोजगार मिलेगा
चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने बताया कि चाइना के बाजार की जगह ये कांसेप्ट लिया गया है. बहनों को इससे रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने बताया कि ये पर्यावरण के अनुकूल भी है. गोबर इको-फ्रेंडली भी है. हमारी धारणा के मुताबिक शुद्ध लक्ष्मी-गणेश मिलेंगे. चाइना के लक्ष्मी-गणेश से बाजार पटा हुआ था. ये कार्यक्रम सहकार भारती ने चेंबर इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर किया है. ये नया कांसेप्ट है. ये सफल होगा, इसकी पूरी उम्मीद है.
हम सशक्त होंगे
महराजगंज के निचलौल ब्लॉक से आए एफपीओ कंपनी के एमडी रामगोपाल यहां पर ट्रेनिंग ले रहे हैं. वो कहते हैं कि इससे काफी फायदा होगा. वो यहां पर गाय के गोबर से दीपक और लक्ष्मी-गणेश जी बनाना सीख रहे हैं. चाइना का बहिष्कार होगा और हम सशक्त होंगे. सरोज यादव ने यहां पर ट्रेनिंग ली हैं. वो बताती हैं कि यहां पर गाय के गोबर से लक्ष्मी-गणेश और दीए बनाना सीखा है. जया स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष जयमाला श्रीवास्तव ने बताया कि यहां पर गोबर से मूर्तियां, दीए और बच्चों के खिलौने बना रहे हैं. इसकी कॉस्ट काफी कम है. इसमें काफी फायदा होगा.
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