Muharram 2024: गोरखपुर की मस्जिदों में जारी जिक्रे शोहदा-ए-कर्बला, महिलाओं की महफिल में भी गूंजी या हुसैन की सदा
Muharram News: यूपी के गोरखपुर में रविवार को एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर जिक्रे शोहद-ए-कर्बला जारी रहा. तुर्कमानपुर में महिलाओं की भी महफिल हुई, जहां इमाम हुसैन का जिक्र हुआ.
Muharram 2024 News: गोरखपुर में रविवार जिक्रे शोहदा-ए-कर्बला महफ़िलों के नाम रहा. उलमा किराम ने दीन-ए-इस्लाम, शहादत और कर्बला के बाबत विस्तार से बयान किया. सातवीं मुहर्रम को करीब एक दर्जन से अधिक मस्जिदों में जिक्रे शोह-दाए-कर्बला महफिलों का दौर जारी रहा. मुहर्रम की सातवीं तारीख़ को जालिम यजीदियों ने हज़रत इमाम हुसैन व उनके साथियों के लिए पानी पर रोक लगा दी थी. कर्बला का वाकया सुनकर अकीदतमंद इमाम हुसैन की याद में डूब गए. मुख्य वक्ता गाजिया ख़ानम अमजदी ने कहा कि कर्बला के 72 शहीदों ने जो बेमिसाल काम किया, उसकी मिसाल दुनिया में नहीं मिलती है.
हज़रत सैयदना इमाम हुसैन सन् 61 हिजरी मुहर्रम की दो तारीख को कर्बला पहुंचे. सातवीं मुहर्रम को कर्बला के मैदान में जालिम यजीद की फौज ने इमाम हुसैन और उनके साथियों पर पानी की आपूर्ति बंद कर दी ताकि वो शासक जालिम यजीद की मातहती स्वीकार कर लें मगर इमाम हुसैन और उनके साथियों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया. नहरे फुरात पर यजीदी फौजियों को लगा दिया गया, ताकि हज़रत इमाम हुसैन का काफिला पानी न पी सके. तीन दिन का भूखा प्यासा रखकर इमाम हुसैन व उनके साथियों को कर्बला की तपती ज़मीन पर शहीद कर दिया गया.
'शहीदों की जीत कयामत तक रहेगी कायम'
मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में महिलाओं की महफ़िल हुई. शिफा खातून ने कहा हज़रत इमाम हुसैन ने मुल्क या हुकूमत के लिए जंग नहीं की, बल्कि वह इंसानों के सोये हुए जेहन को जगाने आए थे. उनके कुनबे में शामिल बूढ़े, जवान, बच्चे और औरतों ने खुद पर जुल्म सहन कर लिया, लेकिन पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दीन-ए-इस्लाम को जालिम यजीद से बचा लिया. आलमे इस्लाम को यह मानने पर मजबूर होना पड़ा कि हक़ और बातिल के बीच हुई जंग में कर्बला के शहीदों ने जो जीत हासिल की वह कयामत तक कायम रहेगी.
'काफिले में कुल 91 लोग थे शामिल'
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि इमाम हुसैन के साथ मक्का शरीफ से इराक की जानिब सफर करने वालों में आपके तीन पुत्र हज़रत अली औसत (इमाम जैनुल आबेदीन), हज़रत अली अकबर, छह माह के हजरत अली असगर शामिल थे. इमाम हुसैन के काफिले में कुल 91 लोग थे, जिसमें 19 अहले बैत (पैग़ंबरे इस्लाम के घर वाले) और अन्य 72 जां निसार थे.
क्या बोले मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी?
जामा मस्जिद रसूलपुर में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अपनी औलाद को तीन बातें सिखाओ. अपने पैगंबर की उल्फत व मुहब्बत. अहले बैत (पैग़ंबरे इस्लाम के घर वाले) की उल्फत व मुहब्बत. क़ुरआने करीम की किरात. जब तक मुसलमानों के हाथों में कुरान और अहले बैत का दामन रहा, वह कभी गुमराह और रुसवा नहीं हुए, बल्कि हमेशा फतह उनके कदम चूमती रही.
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