Gorakhpur News: गोरखपुर के माउंटेनियर नीतीश सिंह ने अफ्रीका महाद्वीप की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मेरु पर तिरंगा फहराया है. माउंटेनियर नीतीश ने 14,968 फीट की चोटी पर 27 दिसंबर को 12:30 बजे चढ़ाई शुरू की थी, 29 दिसंबर की सुबह 6:20 बजे उन्होंने 42 घंटे में मिशन पूरा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया. 


ए. जे. इंटरनेशनल स्कूल ने उनके इस मिशन में सहयोग प्रदान किया था, माउंटेनियर नीतीश को महाराष्ट्र सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने तिरंगा भेंट कर रवाना किया था, इस दौरान मुंबई बीजेपी उपाध्यक्ष पवन त्रिपाठी भी रवानगी के समय उपस्थित रहे हैं. माउंटेनियर नीतीश 26 दिसंबर को मुंबई से मिशन के लिए रवाना हुए, इसके पहले वह अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप से 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का संदेश दे चुके हैं.


इससे पहले गोरखपुर के माउंटेनियर और साइकिलिस्‍ट उमा सिंह ने अनोखा रिकार्ड बनाया था. उन्‍होंने भारत के अमृत महोत्‍सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के तहत आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कीर्तिमान स्‍थापित किया. माउंट एवरेस्‍ट बेस कैम्‍प (Everest Base Camp) पर साइकिल से चढ़ाई कर उन्‍होंने तिरंगा फहराया. इसके साथ ही उन्‍होंने 12 से 15 अगस्‍त के बीच चार दिन में दुनिया की चार गगनचुंबी चोटियों पर साइकिल से पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव हासिल किया. माउंट एवरेस्‍ट बेस कैंप पर साइकिल से पहुंचने वाले वे दूसरे और माउंट काला पत्‍थर, माउंट गोक्‍यो-री और माउंट रेंजो-ला पर साइकिल से पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए.


बनाया ये रिकॉर्ड


गोरखपुर के माउंटेनियर और साइकिल‍िस्‍ट उमा सिंह ने साइकिल से ये यात्रा पीछले साल 2 अगस्‍त को शुरू की. 12 अगस्‍त को वे माउंट एवरेस्‍ट बेस कैंप 17,560 फीट की ऊंचाई पर साइकिल से पहुंचे. इसके बाद उन्‍होंने वहां पर तिरंगा फहराया. इसके बाद वे 13 अगस्‍त को माउंट काला पत्‍थर (18,519 फीट) की ऊंचाई पर साइकिल से चढ़ाई कर पहुंचे और तिरंगा झंडा फहराया. वे माउंट काला पत्‍थर पर साइकिल से पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं. 15 अगस्‍त सुबह 7 बजे वे माउंट गोक्‍यो-री (17,575 फीट) साइकिल से पहुंचे. इस पर्वत पर भी साइकिल से पहुंचने वाले वे पहले भारतीय हैं. 15 अगस्‍त की दोपहर दो बजे वे माउंट रेंजो-ला (17,560 फीट) के टॉप पर साइकिल से पहुंच गए. इस पर्वत पर भी साइकिल से पहुंचने वाले वे पहले भारतीय हैं.