Mountaineer Uma Singh: कहते हैं कि इंसान के अंदर जज्‍बा और कुछ कर गुजरने की सोच हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. ऐसा जज्‍बा दिखाकर गोरखपुर (Gorakhpur) के रहने वाले किसान (Farmer) के बेटे 25 साल के युवा साइकिलिस्‍ट और पर्वतारोही (Mountaineer) उमा सिंह (Uma Singh) ने गोरखपुर और यूपी ही नहीं देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है. उमा सिंह ने चंदा जुटाकर 75वें स्‍वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर 15 अगस्‍त को अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro) को साइकिल से फतह कर तिरंगा फहराया और असंभव काम को संभव बना दिया. उमा सिंह जब रियल हीरो सोनू सूद (Sonu Sood) के बुलावे पर उनसे मिलने गए तो उनके होश उड़ गए और खुशी से लिपटकर भावुक हो गए.  


गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर हुआ जोरदार स्‍वागत
गोरखपुर के खजनी तहसील के गोरसैरा के किसान बैजनाथ के तीन बेटों में दूसरे नंबर के बेटे उमा सिंह ने दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय से एम कॉम तक शिक्षा ग्रहरण की है. उनका गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर जोरदार स्‍वागत हुआ. उन्‍होंने वो कर दिखाया, जिसे लोग सपने में सोचते तो हैं, लेकिन हकीकत में बदल नहीं पाते हैं. युवा साइकिलिस्‍ट और पर्वतारोही 25 साल के उमा सिंह को गुदड़ी के लाल कहा जाए तो गलत नहीं होगा. क्‍योंकि, छोटे से गांव के रहने वाले उमा सिंह ने 2 साल के अंदर इतनी उपलब्धियों को हासिल किया है, जिसे सुनकर कोई भी दांतों तले उंगली दबा ले. उमा सिंह ने 15 अगस्‍त को साइकिल से माउंट किलिमंजारो फतह कर तिरंगा फहराया तो ये भारत के लिए एक रिकॉर्ड भी बन गया. संभवतः उमा सिंह भारत के पहले साइकिलिस्‍ट और माउंटेनियर हैं, जिन्‍होंने साइकिल से अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी को साइकिल से नाप दिया है.  


माउंट किलिमंजारो पर फहराया तिरंगा 
उमा सिंह 8 अगस्‍त को भारत से रवाना हुए थे. 9 अगस्‍त को वो अफ्रीका पहुंचे. 10 अगस्‍त से उन्‍होंने साइकिल से चढ़ाई शुरू की और 15 अगस्‍त को अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (19340) फीट पर तिरंगा फहरा दिया. उनकी ये उपलब्धि जल्‍द ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज होने वाली है. उमा सिंह कोरोना काल में रियल हीरो बनकर उभरे सोनू सूद का फोटो भी माउंट किलिमंजारो तक ले गए. जनवरी 2019 से साइकिलिंग और पर्वतारोहण शुरू करने वाले उमा सिंह के नाम ढेर सारी उपलब्धियां हैं. उमा सिंह बताते हैं कि किताबों में साइकिलिंग और पर्वतारोहण की कहानियां पढ़ने के बाद उन्होंने कदम बढ़ाया और जो ठाना उसे पूरा कर दिखाया. 


कई बार गिरकर चोटिल हुए
उमा सिंह के इस अभियान में 520000 रुपए का बजट रहा है. जिसे उन्‍होंने चंदा जुटाकर पूरा किया. उन्‍होंने बताया कि उनके इस अभियान में काफी मुश्किलें आईं. 75 डिग्री के एंगल पर पहाड़ पर साइकिल चलाना बेहद मुश्किल रहा है. वो कई बार गिरकर चोटिल हुए, लेकिन हार नहीं मानी. उनकी इस उपलब्धि की सोनू सूद ने भी सोशल मीडिया पर खूब तारीफ की और वापस लौटने पर उन्‍हें मिलने के लिए बुलाया. उमा सिंह अफ्रीका से सीधे मुंबई पहुंचे और सोनू सूद से गले मिलकर उन्‍हें धन्‍यवाद दिया. उन्‍होंने सोनू सूद को माउंट किलिमंजारो पर ले जाने वाली फोटो भी भेंट की. 


इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा चुके हैं नाम
उमा सिंह ने इसके पहले 73 दिनों में 12271 किलोमीटर साइकिल चलाकर भारत के सभी राज्‍यों की राजधानी से होते हुए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. वो स्‍वामी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्‍थान में रॉक क्लाइंबिंग प्रशिक्षक हैं. इसके अलावा उन्‍होंने हिमालय पर्वतारोहण संस्‍थान दार्जिलिंग से एडवांस पर्वतारोहण ट्रेनिंग ‘ए’ ग्रेड में पास कर बीसी रॉय पर्वत के 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराया है. अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्‍थान मनाली से बेसिक पर्वतारोहण ट्रेनिंग ‘ए’ ग्रेड में पूरा किया. इस दौरान हिमालय के माउंट छित्‍ती पर्वत पर 15700 फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराया. 


पूरा करना चाहते हैं ये सपना 
गुजरात सरकार की तरफ से आयोजित नेशनल लेवल रॉक क्‍लाइंबिंग कैंप में उमा सिंह का सेलेक्‍शन होने वाला है. उमा सिंह यूपी के पहले पर्वतारोही हैं, जिन्‍होंने गिरनार हिल में 1400 फीट के चट्टान पर रास्‍ता खोजने का काम पूरा किया है. उमा स्‍वामी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्‍थान से बेसिक रॉक‍ क्‍लाइंबिंग, एडवांस रॉक क्‍लाइंबिंग, रॉक क्‍लाइंबिंग इंस्‍ट्रक्‍टर की ट्रेनिंग ‘ए’ ग्रेड में पूरा कर चुके हैं. वो हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्‍ट और काला पत्‍थर पर्वत के बेस कैंप तक जा चुके हैं. उनका सपना है कि वो माउंट एवरेस्‍ट की सबसे ऊंची चोटी को बगैर ऑक्‍सीजन के फतह करें. लेकिन इसके लिए 35 लाख रुपए के करीब खर्च होने की वजह से वे इस लक्ष्‍य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. उमा सिंह तीन भाईयों में दूसरे नंबर के हैं. उनके पिता किसान और मां गृहणी हैं.



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