Gorakhpur News: आसमान में दिखने वाला चांद लोगों को बरबस ही आश्चर्य से भर देता है. वहीं दो दिन तक लोगों के लिए चांद का खास नजारा देखने को मिला. इस नजारे को देखने के लिए लोग नक्षत्रशाला पहुंचे और टेलीस्कोप से चांद का दीदार किया. फुल मून या यूं कहें पिंक मून ने लोगों को खूब आकर्षित किया. नक्षत्रशाला में पहुंचे लोगों के लिए ये खास अनुभव जीवन भर नहीं भूलने वाला रहा है. गोरखपुर के तारामंडल स्थित वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला में ये नजारा देखने के लिए लोग सुबह से ही पहुंचने लगे. टेलीस्कोप के माध्यम से जहां लोगों ने पिंक मून का दीदार किया. तो वहीं इसे अपने कैमरे में कैद भी किया.

गोरखपुर के तारामंडल स्थित वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला में मंगलवार को सुबह से ही लोगों को एक खगोलीय घटना ने खूब आकर्षित किया. 23 अप्रैल को अप्रैल मून, पिंक मून या फिर फुल मून का नजारा लोगों को देखने को मिला. 24 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक लोगों ने खुली आंखों से भी इस नजारे को अपने घर की छतों से देखा. 23 अप्रैल को पूरे चांद का दीदार करना लोगों के लिए सुखद अहसास देने वाला रहा. बड़ों से लेकर बच्चे तक नक्षत्रशाला में फुल मून का नजारा देखने के लिए पहुंचे.

क्या बोले खगोलविद अमरपाल सिंह
गोरखपुर के तारामंडल के खगोलविद अमरपाल सिंह ने बताया कि 23 अप्रैल को दिन ढलने के बाद चांद गुलाबी रंग का दिखाई दिया. इस खगोलीय घटना को पिंक मून या फुल मून कहते हैं. ये एक खगोलीय घटना है, जो कि पूर्ण चंद्र के दौरान ही घटित होती है. जिस दिन चांद सामान्य दिनों से बड़ा व चमकीला दिखाई देता है, उसे फूल मून कहते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार 23 अप्रैल को होने वाले पिंक मून (पूर्ण चंद्र) को 23 अप्रैल की सुबह 03 बजकर 25 मिनट से लेकर 24 अप्रैल 5 बजकर 18 मिनट तक देखा गया. सामान्य रातों में आसमान साफ होने पर चांद का वास्तविक रंग सफेद व चमकीला ही होता है.

पिंक मून देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़
वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमरपाल सिंह ने बताया कि फुल या पिंक मून को देखने के लिए मंगलवार की सुबह से ही लोगों की भीड़ नक्षत्रशाला पर जुटी रही. बच्‍चों को इस खगोलीय घटना ने खूब आकर्षित किया. उन्होंने बताया कि बच्चों को टेलिस्‍कोप से फुल मून को देखना काफी पसंद आया. वे रोमांच से भर गए. उन्होंने आगे भी इस तरह की खगोलीय घटनाओं को भविष्य में देखने और खगोल विज्ञान से जुड़ी अनेक सवालों को पूछा और अपनी जिज्ञासा को भी शांत किया. इस दौरान खगोलविद अमर पाल सिंह के साथ कई अन्य लोग भी उपस्थित रहे.


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