(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gorakhpur News: गोरखपुर में बारिश न होने से सूखे जैसे हालात, फसल सूखने से परेशान हैं किसान, गांव में पंपिग सेट चलाने पर फैली अफवाह
UP News: यूपी के गोरखपुर में बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं. फसल सूखने के बाद किसान और परेशान हैं. ऐसे में गांव में पंपिग सेट चलाने पर एक अफवाह फैल गई है.
Gorakhpur News: गोरखपुर में हर बार बाढ़ की तबाही झेलने वाले किसान इस बार सूखे की चपेट में आए खेतों को मायूसी भरी नजरों से देख रहे हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि जून-जुलाई में बाढ़ की मार झेलने वाले किसानों को 20 जुलाई तक इन्द्र देवता की टेढ़ी नजर की वजह से सूखे की मार झेलनी पड़ रही है. यूपी और बिहार में बारिश नहीं होने से जहां धान की फसल चौपट हो गई है. तो वहीं पूर्वांचल पर सूखे का खतरा भी मंडरा रहा है. यही वजह है कि शहर से लेकर गांव तक इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए टोटका, मंगलगीत और यज्ञ का सहारा लिया जा रहा है. वहीं वाटर लेवल डाउन होने से ट्यूबवेल नहीं चलाने की अफवाह ने भी जोर पकड़ लिया है.
गोरखपुर में सूखे का खतरा मंडरा रहा
गोरखपुर में किसानों का हाल-बेहाल है. गोरखपुर मंडल में 17 दिनों में औसत वर्षा से 80 फीसदी कम बारिश होने से सूखे का खतरा मंडरा रहा है. जुलाई माह में जहां 216 मिलीलीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, वहां 12 मिलीलीटर ही बारिश हुई है. जो सामान्य से 95 फीसदी कम है. खेतों में धान की रोपाई के बाद भी बारिश नहीं होने से फसल तैयार होने से पहले ही सूख रही है. जो किसान सक्षम हैं, वे पंपिंग सेट के सहारे फसलों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं.
इसी बीच ये अफवाह भी फैल गई है कि वाटर लेवल नीचे जाने से पंपिंग सेट चलाने पर सरकार ने रोक लगा दी है. ऐसे में जो लोग पंपिंग सेट चलाएंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. इस अफवाह के शहर से लेकर गांव में पहुंचने से किसान और अधिक सदमें में हैं. लेकिन अधिकारियों ने स्थिति को साफ कर दिया है.
गोरखपुर के मानीराम सिक्टौर गांव में किसान मायूस हैं. उनके खेतों में पानी नहीं बरसने से दरार पड़ गई है. धान की फसल की रोपाई तो हो गई है, लेकिन अब वे भी पानी नहीं बरसने से सूख रही है. पंपिंग सेट से पानी चलवाने पर एक बार में 15 से 1600 रुपए का खर्च आता है. किसान अनूप सिंह कहते हैं कि बारिश नहीं होने से फसल सूख रही है. वे डेढ़ एकड़ धान बोए हैं. पानी चलाकर कितना धान बोया जाएगा. लागत अधिक हो जाएगी और धान की फसल उतनी नहीं होगी, तो उनका नुकसान हो जाएगा. एक से दो दिन पानी नहीं चलने पर खेतों में दरार पड़ जा रही है.
फसलों के सूखने से परेशान हैं किसान
किसान ओम प्रकाश कहते हैं कि इस बार धान की फसल अच्छी होने की उम्मीद नहीं है. उनका एक एकड़ खेत है. सूखा पड़ गया है. पानी नहीं बरस रहा है. वे हफ्ते में दो से तीन बार पानी चलाना पड़ रहा है. डीजल के दाम भी बढ़ रहे हैं. लागत बढ़ती जा रही है. ऐसे में धान की फसल में कोई फायदा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि वाटर लेवल डाउन होने की वजह से पंपिंग सेट नहीं चलाने की अफवाह भी फैली हुई है. ऐसे में किसान सहमें हुए हैं.
वहीं किसान पन्नेलाल सिक्टौर गांव के रहने वाले हैं. वे कहते हैं कि इस बार सूखा पड़ने से धान की फसल नहीं होगी. हफ्ते में दो से तीन बार पानी चलाना पड़ रहा है. वे लोग परेशान हो गए हैं. इस बार धान की फसल बर्बाद हो गई है. हरिनारायण सिंह कहते हैं कि इस समय सूखा पड़ जाने से धान की फसल सूख रही है. पानी चलाने का भी कोई फायदा नहीं है. डीजल महंगा होने से वे लोग सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने एक एकड़ में धान बोए हैं. इस बार धान मुश्किल लग रहा है. खेतों में दरार पड़ जा रही है.
गोरखपुर के एडीएम फाइनेंस राजेश कुमार सिंह कहते हैं कि इस तरह का कोई आदेश नहीं आया है. पंपिंग सेट से सिंचाई करने वाले किसान पूरी तरह से निश्चिंत रहें. अफवाहों पर ध्यान नहीं दें. इस बार किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि नलकूप, नहर और बाढ़ प्रखंड विभाग के साथ बैठक की है. गोरखपुर में पिछले वर्ष अच्छी वर्षा हुई थी. इस बार वर्षा नहीं हुई है. किसानों से बारिश के लिए एक-दो दिन इंतजार करने की अपील की गई है. राज्य सरकार सूखे को लेकर किसी तरह का निर्णय लेगी, तो वे लोग इसे अमल में लाएंगे.
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