Monkeypox: मंकीपॉक्स को अलर्ट मोड में स्वास्थ्य विभाग, गोरखपुर जिला अस्पताल में 10 बेड रिजर्व
Monkeypox के मामले मिलने के बाद गोरखपुर में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. यहां इस बीमारी को देखते हुए सभी कोविड अस्पताल में 10 बेड रिजर्व कर दिए गए हैं.
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Monkeypox Alert in Gorakhpur: देश के कई राज्यों में मंकीपॉक्स के मामले मिलने के बाद यूपी सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है. सभी जिलों को एहतियात बरतने के साथ कोविड वार्ड में 10 बेड सुरक्षित रखने के निर्देश के बाद गोरखपुर के जिला अस्पताल में भी 10 बेडों को तैयार कर दिया गया है. यूपी में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कदम उठाया है.
अस्पतालों में 10 बेड रिजर्व
राज्य सरकार के निर्देश के बाद गोरखपुर के जिला अस्पताल में 10 बेडों को आरक्षित कर दिया गया है. यहां पर जिला अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से सजग है. कोरोना काल में बनाए गए वार्ड में 10 बेडों को आरक्षित कर दिया गया है. जिससे कि किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने में देरी नहीं हो. मंकीपॉक्स के लिए बेड आरक्षित होने से ऐसे लक्षणों वाले मरीजों को सामान्य मरीजों से अलग भर्ती करने में आसानी होगी. जिससे अन्य मरीजों को इस संक्रमण से बचाया जा सके.
मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी
गोरखपुर जिला अस्पताल के एसआईसी डी. जे.एस.पी. सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी किया है. सभी अस्पतालों में 10 बेडों को आरक्षित रखने के निर्देश का पालन करते हुए 10 बेडों को तैयार कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए जिला अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से तैयार है.
इस तरह के लक्षण वाले मरीज आते हैं तो उनके लिए अलग व्यवस्था की गई है. जिससे अन्य बीमारियों का इलाज कराने के लिए भर्ती मरीजों को संक्रमण से बचाया जा सके. कोई भी मरीज आता है तो उन्हें तत्काल भर्ती कर इलाज मुहैया कराया जाएगा.
भारत में मिल चुके हैं 4 केस
उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स के देश में 4 केस आ चुके हैं. ये वायरल डिजीज है. ये फैलता है. इसमें वायरल वाले सिम्टम्स होते हैं. इसमें बड़े-बड़े फफोले होते हैं. यहां पर जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. मरीज आने के बाद उसका सैंपल वायरोलॉजी डिपार्टमेंट के माध्यम से पुणे जांच के लिए भेजा जाएगा.
यह ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है. 16 हजार केस पूरी दुनिया में पाए गए हैं. 13 से 14 दिन में जब फफोले ठीक होने लगते हैं, तो ये बीमारी ठीक हो जाती है. इसके इलाज के लिए भी अभी कोई दवा नहीं है. सावधानी अपनाकर ही इससे बचा जा सकता है.
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