*/साल 1999...मई माह में कारगिल युद्ध शुरू हो चुका था. सीमा पर बमों और गोलीबारी की आवाज दहशत पैदा करती रही. देश के जांबाज भारत मां की रक्षा के लिए जी-जान से लड़े. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में विजय की घोषणा की. इसके बाद भी पाकिस्तान की सेना बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश करती रही. कारगिल विजय के ठीक 10 दिन बाद 5 अगस्त 1999 को जम्मू कश्मीर के तंगधार में लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग दुश्मन सेना को पीछे ढकेलते हुए महज 25 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए. गोरखा रेजिमेंट के जवान शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग के पिता बिग्रेडियर पीएस गुरुंग बेटे की शहादत पर उन्हें नमन करने हर साल गोरखपुर आते हैं. 24 साल से ये सिलसिला अनवरत जारी है.
25 साल की उम्र में शहीद हो गए थे शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग
देश स्वतंत्रता का 75 वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है. ऐसे में भारत मां की रक्षा के लिए महज 25 साल की उम्र में अपने प्राणों देने वाले शहीद को याद कर हर भारतवासी को गर्व होगा. जिसने 24 साल पहले भारत मां की रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. इकलौते पुत्र शहीद ले. गौतम गुरुंग को बिग्रेडियर पिता पीएस गुरुंग ने सलामी दी, तो उनकी आंखें नम हो गईं. 5 अगस्त 1999 को कारगिल युद्ध के समय जम्मू कश्मीर के तंगधार में ले. गौतम गुरुंग 25 साल की उम्र में शहीद हो गए थे. 15 अगस्त 1999 को उन्हें महामहिम राष्ट्रपति के. आर. नारायणन द्वारा मरणोपरांत ‘सेना मेडल’ से सम्मानित किया गया. उसके बाद से हर साल उनके शहादत दिवस पर कुनराघाट स्थिति शहीद ले. गौतम गुरुंग चौक पर उन्हें याद किया जाता है.
शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग को उनके पिता सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग के साथ 3/4 गोरखा रेजिमेंट गोरखपुर के जवानों ने उन्हें याद किया और सलामी दी. गोरखपुर के कुनराघाट के शहीद ले. गौरम गुरुंग चौक पर देश के वीर सपूत को 3/4 गोरखा रेजिमेंट की ओर से उनके पिता पूर्व ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग, गोरखा रेजिमेंट के कमांडेंट नीरज श्रीवास्तव, अन्य अधिकारियों और गणमान्य लोगों ने पुष्प अर्पित कर नमन किया. शहीद ले. गौतम गुरुंग को मातमी धुन बजाकर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. शहीद ले. गौतम गुरुंग का परिवार तीन पुश्त से भारतीय सेना में रहा है.
पिता बेटे की याद में देते हैं युवाओं को ट्रेनिंग
परिवार के इकलौते बेटे रहे शहीद ले. गौतम गुरुंग को आज भी याद कर उनके पिता और गोरखा रेजीमेंट के जवानों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग के बेटे शहीद ले. गौतम गुरुंग को शहीद हुए 24 साल हो गए. जब वे शहीद हुए तो उनकी उम्र महज 25 साल रही है. यानी जितनी उनकी उम्र रही है, उनकी शहादत को भी साल 2023 में उतने ही साल हो जाएंगे. यही वजह है कि उनके पिता अपने बेटे की याद में युवाओं को ट्रेनिंग देकर सेना में जाने के लिए अनवरत कार्य कर रहे हैं.
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग के इकलौते पुत्र शहीद ले. गौतम गुरुंग और एक पुत्री रही हैं. पुत्री की शादी हो चुकी है. मूलतः नेपाल के रहने वाले ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग और उनके परिवार ने भारतीय सेना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. वे अब उत्तराखंड के देहरादून में रहते हैं. शहीद ले. गौतम गुरुंग का जन्म 23 अगस्त 1973 को देहरादून में हुआ था. 6 मार्च 1997 को उन्होंने पिता की बटालियन 3/4 गोरखा राइफल्स (चिन्डिटस) में कमीशन प्राप्त किया.
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