Gorakhpur News: कृषि क्षेत्र में अनुसंधान व शैक्षणिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने के लिए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंर्तगत संचालित दो प्रमुख संस्थानों राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो और भारतीय बीज विज्ञान संस्थान के साथ समझौता करार (एमओयू) किया है.विश्वविद्यालय की तरफ से इन एमओयू को कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने हस्ताक्षरित किया जबकि राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो मऊ के तरफ से निदेशक डॉ.आलोक कुमार श्रीवास्तव तथा भारतीय बीज विज्ञान संस्थान की तरफ से निदेशक डॉ. संजय कुमार ने हस्ताक्षर किए.
एमओयू के तहत सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में कृषि आधारित अनुसंधान, विशेषकर कृषि में सूक्ष्म जीवों की उपयोगिता, उनके अधिग्रहण और प्रबंधन में सहयोग व कृषि के सतत विकास के लिए संबंधित अनुसंधान और कौशल बढ़ाने के लिए क्षमता विकास और विनिमय कार्यक्रम शामिल हैं. भारतीय बीज विज्ञान संस्थान से हुए एमओयू का मुख्य उद्देश्य गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय आवश्यकता के अनुरूप गुणवत्तायुक्त बीजों के उत्पादन एवं आपूर्ति से अवगत कराना, बीज प्रमाणीकरण, परीक्षण, रोग मुक्त बीज उत्पादन की विधियों से परिचित कराने के साथ-साथ बीजों के सुरक्षित भंडारण के क्षेत्र में विशेषज्ञता को बढ़ावा देना है. महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने दोनों एमओयू का स्वागत करते हुए इसे कृषि शिक्षा के प्रचार-प्रसार व अनुसंधान के क्षेत्र में साझा उद्देश्यों के प्रति मील का पत्थर बताया है.
इनकी रही मौजूदगी
राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो के निदेशक डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव व भारतीय बीज विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के साथ हुए समझौता करार पर हर्ष व्यक्त करते हुए संयुक्त रूप से कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में विकास, नवाचार को प्रोत्साहित करना एवं किसानों के जीवनयापन में सतत सुधार है. इस समझौते से ‘‘लैब टू लैण्ड’’ की परिकल्पना चरितार्थ होगी. एमओयू के अवसर पर उप महानिदेशक कृषि (फसल विज्ञान प्रभाग) डॉ. तिलक राज शर्मा, उप महानिदेशक कृषि (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन संस्थान) डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, महायोगी गोरखनाथ विवि में कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. विमल कुमार दूबे, सहायक आचार्य डॉ. प्रवीन कुमार सिंह, वैज्ञानिक डॉ. हिलोल चक्दर व डॉ. कुलदीप जायसवाल उपस्थित रहे.