Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर में इंटैक की ओर से आम महोत्सव का आयोजन किया गया है. आम महोत्सव में ऐसे भी आम दिखाई दिए, जो आमतौर पर बाजार में नहीं दिखते हैं. गवरजीत, लंगड़ा दशहरी बंबईया, मालदा, तोतापरी, गुलाब खास, बीजू के साथ नाजुक बदन नाम का आम भी यहां दिखाई दे रहा है.


गोरखपुर के सिविल लाइंस स्थित गोरखपुर क्लब में इंटैक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड हेरिटेज कल्चर) की ओर से गोरखपुर क्लब में रविवार 23 जून को आम महोत्सव का आयोजन किया गया. तीन सत्रों में आम महोत्सव का आयोजन हुआ. पहले सत्र में आम की प्रजातियों के बारे में जानकारी दी गई. दूसरे सत्र में अलग-अलग तरह के आम के बारे में लोगों को जानकारी दी गई. वहीं तीसरे सत्र में आम से बनी रेसिपी की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. 


बाजार में 70-80 रुपये किलो बिकते हैं आम
एक साथ अलग-अलग तरह के आम को देखकर मुंह में पानी आ जाना भी स्वाभाविक है. क्योंकि आम को फलों का राजा जो कहा जाता है. आम और खास सबकी पसंद आम होता है. कच्चा और पका दोनों आम लोग खूब चटकारे लेकर खाते और पसंद भी करते हैं. यही वजह है कि आम के लिए ये कहावत भी है कि आम के आम और गुठलियों के दाम. गर्मी का सीजन है और बाजार में आम भी आ गए हैं. 


ऐसे में गोरखपुर में रहने वाले लोगों के लिए रविवार का दिन खास बन गया है. क्योंकि यहां बिक्री के लिए उपलब्ध आम भी 70 से 80 रुपए किलो है. गोरखपुर में लगने वाले आम महोत्‍सव में जहां आम की ऐसी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके आम प्रजातियां भी हैं, जिनके संरक्षण की जरूरत है. तो वहीं आम से बनी रेसिपी का स्‍वाद भी कुछ अलग है.  


छात्राओं ने रेसिसी प्रतियोगिता में लिया हिस्सा
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. दिव्यारानी सिंह ने बताया कि वे यहां पर अपने विभाग की विद्यार्थियों के साथ आई हैं. उन्होंने बताया कि उनकी छात्राओं ने रेसिपी प्रतियोगिता में भाग लिया है. ये आम महोत्सव खास है. यहां ऐसे आम हैं, जो आमतौर पर बाजार में नहीं दिखते हैं. 


इंटैक की वरिष्ठ सदस्य एसएस एकेडमी की प्रिंसिपल डॉ. निशी अग्रवाल ने बताया कि इस बार द्वितीय आम महोत्सव का आयोजन किया गया है. इसका उद्देश्य ऐसे आम जो विलुप्‍त होने की कगार पर हैं. उनके संरक्षण का प्रयास करना है. यहां पर आम महोत्‍सव में ऐसे आम भी देखने को मिलेंगे, जिनके संरक्षण और उनकी नस्‍ल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. गवरजीत, दशहरी, कर्पूरी, आम्रपाली, बंबइया, लंगड़ा, देसी और चौसा जैसी प्रजातियों के आम के साथ 40 से अधिक प्रजातियां यहां पर हैं.


इंटैक के आजीवन सदस्‍य और मीडिया प्रभारी कनक हरि अग्रवाल ने बताया कि जनमानस के लिए सबसे प्रिय फल आम अपने इस क्षेत्र में सबसे अधिक प्रजातियों में पाया जाता है. हर क्षेत्र में एक विशेष आम होता है. जैसे मलीहाबाद में दशहरी, बंबई में हापुस. हम लोग सौभाग्‍यशाली हैं कि हम ऐसे क्षेत्र से रहते हैं जहां पर मनुष्‍य के सबसे पसंदीदा फल आम की कई प्रजातियां होती हैं.


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