Gorakhpur News: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का दिल गोरखपुर के रहने वाले निम‍ि‍त सिंह के ‘मधुमक्‍खीवाला’ ब्रांड के मीठे शहद ने जीत लिया है. रविवार को उन्‍होंने ‘मन की बात’ में उन्‍होंने निमित की खूब सराहना की है. कम पूंजी में स्‍टार्टअप शुरू कर निमित ने ये साबित कर दिया है कि किसी भी काम को सच्‍ची लगन के साथ किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. छोटे से स्‍टार्टअप को ‘मधुमक्‍खीवाला’ नाम का बड़ा ब्रांड बनाने वाले निमित के कंपनी का सालाना टर्नओवर दो करोड़ रुपए है. वहीं उनके कंपनी में 700 कर्मचारी आज भी काम करते हैं. मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना से अनुदानित लोन लेकर अपने स्‍टार्टअप को उन्‍होंने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.


पीएम मोदी ने मन की बात में की सराहना
मधुमक्खी पालन से स्‍टार्टअप और करियर की शुरुआत कर उसे ‘शहदवाला’ ब्रांड बनाने वाले निमित सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. गोरखपुर के दिव्‍यनगर कालोनी के रहने वाले निमित सिंह और उनके ब्रांड ‘मधुमक्‍खीवाला’ की सराहना प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मन की बात में की है. पीएम द्वारा गोरखपुर के निमित सिंह की सराहना किए जाने पर सीएम योगी ने उन्‍हें धन्‍यवाद दिया है. वे बाराबंकी में मधुमक्‍खी पालन और मधुमक्‍खीवाला ब्रांड से कई रेंज में शहर का कारोबार करते हैं. उन्‍होंने अन्‍नामलाई विश्‍वविद्यालय से साल 2014 में मेकेनिकल ट्रेड से बीटेक किया है. पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नौकरी करने की बजाय खुद का स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया.




निमित के पिता डा. केएन सिंह ने उन्हें मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में हाथ आजमाने की सलाह दी. स्टार्टअप शुरू करने से पहले बुनियादी जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने सिक्किम, कोलकाता, झारखंड समेत आधा दर्जन राज्यों में भ्रमण कर मधुमक्खी पालन का तौर तरीका देखा और सीखा. इस दौरान ही उन्होंने दूरस्थ शिक्षा प्रणाली से एमबीए की पढ़ाई भी पूरी कर ली. 2016 में उन्होंने 50 बॉक्स से मधुमक्खी पालन शुरू किया. फिर अपने तैयार शहद को खुद ही बाजार में उतारने का फैसला किया. वह खुद ही लखनऊ में अलग-अलग सार्वजनिक स्थानों पर उत्पादित शहद को अपने ब्रांड से बेचते हैं. अपने ब्रांड के शुद्ध शहद के प्रति लोगों का शानदार रिस्पांस देख निमित ने 2018 में स्टार्टअप को विस्तार देने का फैसला किया. मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना के तहत 10 लाख रुपए का लोन लेकर उन्‍होंने मशीन और अन्‍य उपकरण स्थापित कर शहद उत्‍पादन को औद्योगिक रूप दिया. उनके मधुमक्खी पालन का बेस बाराबंकी है. अपने ब्रांड को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए उन्होंने लखनऊ के चिनहट में लैब भी बना रखी है. लैब में शहद के स्वाद, गुणवत्ता और औषधीय गुणों का नियमित परीक्षण किया जाता है. निमित बताते हैं कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लिया लोन उन्होंने चुका दिया है. अब उन्‍होंने कारोबार को विस्‍तार देने के लिए प्रधानमंत्री माइक्रो फूड प्रो‍सेसिंग इंटरप्राइजेज स्‍कीम से 15 लाख रुपए का ऋण लिया है.


इन चीजों पर भी करते हैं शोध
निमित सिंह सिर्फ मधुमक्खी का पालन ही नहीं करते हैं, बल्कि उससे निकले शहद पर निरंतर शोध भी करते हैं. अपने रिसर्च से वह अलग अलग फूलों, फलों वाले आठ प्रकार के स्वाद और मेडिसिनल गुणों वाले शहद को बाजार में उतार चुके हैं. निमित सिंह अपने शोध का हवाला देकर बताते हैं कि जहां सरसों, लीची, जामुन, यूकेलिप्टस, नीम, बबूल, तिल, तुलसी आदि की फसलें हैं, वहां पर वैसे ही सुंगध, स्वाद, रंग और औषधीय गुण वाला शहद तैयार हो रहा है. उन्होंने जिस फल या फूल के तत्व से शहद बना है, उसी के मुताबिक नाम देकर बाजार में उतारा है. यही नहीं, मधुमक्खीवाला ब्रांड के लिए बाजार हेतु उन्होंने किसी कंपनी का सहारा लेने के बजाए खुद ही मार्केटिंग का प्लैटफॉर्म तैयार किया है.


निमित ने सिर्फ शहद के कई फ्लेवर ही नहीं तैयार किए, बल्कि इसके बचे मोम से मोमबत्ती, खिलौने, साबुन आदि भी तैयार किए. बाराबंकी के चैनपुरवा गांव में उन्होंने पुलिस अधिकारी अरविंद चतुर्वेदी की पहल पर 115 ऐसे परिवारों को मोम के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देकर आजीविका से जोड़ा है जो कभी शराब के कारोबार व नशे के लिए बदनाम रहे हैं.  


 सालाना दो करोड़ का है टर्नओवर 
निमित के स्टार्टअप का एक छोटा प्रयास आज सलाना दो करोड़ रुपये के टर्नओवर का रूप ले चुका है. उनके शहद उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक के नेटवर्क में 700 लोग रोजगार पा रहे हैं. इतना ही नहीं, निमित उत्तर प्रदेश के अलग -अलग जिलों के अलावा पंजाब, तामिलनाडु, बंगाल, उत्तराखंड और राजस्थान में बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण देकर उनको अपने ब्रांड के नाम से ही शहद बेचने के लिए प्रेरित किया. अब तक वह पांच सौ से अधिक किसानों को इस कार्य से जोड़ चुके हैं. इस सात दिन के प्रशिक्षण आदि का वह कोई खर्च नहीं लेते बस उनको अपने ब्रैंड के नाम से ही शहद बेचने के लिए प्रेरित करते हैं. 


निमित युवाओं और किसानों को स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित करते हैं. वह बताते है कि हार्टिकल्चर मिशन के तहत राज्य सरकार एक इकाई (50 बॉक्स) लगाने पर आने वाले व्यय 2.20 लाख पर 40 प्रतिशत सब्सिडी देती है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना भी खुद का काम शुरू करने के लिए संजीवनी है. इच्छुक युवाओं को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए वह खुद पहल भी करते हैं.  मन की बात में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि "शहद उत्पादन में आज इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि प्रोफेशनल पढ़ाई करने वाले युवा भी किसे अपना स्वरोजगार बना रहे हैं. ऐसे ही एक युवा हैं, यूपी में गोरखपुर के निमित सिंह. निमित जी ने बीटेक किया है. उनके पिता भी डॉक्टर हैं, लेकिन पढ़ाई के बाद नौकरी की जगह निमित जी ने स्वरोजगार का फैसला लिया. उन्होंने शहद उत्पादन का काम शुरू किया. क्वालिटी चेक के लिए लखनऊ में अपनी एक लैब भी बनवाई. निमित जी अब शहद और बी वैक्स से अच्छी कमाई कर रहे हैं, और अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं."


'मन की बात' में रविवार को गोरखपुर के निमित सिंह के स्वरोजगार की चर्चा करने के लिए सीएम योगी ने पीएम मोदी के प्रति आभार जताया है. इस संबंध में एक ट्वीट कर  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में हनी (शहद) और बी वैक्स उत्पादन के क्षेत्र में गोरखपुर के निमित सिंह की लगनशीलता को सराहा है. निमित के प्रयास असंख्य युवाओं को स्वरोजगार और रोजगार सृजन के लिए प्रेरित करेंगे.


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