Gorakhpur News: इंटरनेशनल टाइगर डे यानी अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघों के संरक्षण का संकल्प लेकर गोरखपुर वासियों ने दौड़ लगाई. 29 जुलाई को पूरा विश्व बाघों के संरक्षण के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाता है. ऐसे में गोरखपुर में पहली बार बड़े पैमाने पर बाघों के संरक्षण को लेकर 29 जुलाई को भी बड़े आयोजन किए जा रहे हैं. इंटरनेशनल टाइगर डे के एक दिन पहले गोरखपुर वासियों ने रामगढ़ ताल किनारे पैडलेगंज से नौका विहार तक दौड़ लगाकर बाघ के संरक्षण का संकल्प लिया.
गोरखपुर वासियों ने लिया बाघ संरक्षण का संकल्प
इंटरनेशनल टाइगर डे के पहले गोरखपुर के रामगढ़ताल किनारे फोरलेन की चौड़ी सड़क पर हजारों की संख्या में लोगों ने दौड़ लगाई. गोरखपुर वन विभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के एक दिन पहले गोरखपुर के पैडलेगंज से लेकर नौका विहार तक 3 किलोमीटर लंबी दौड़ लगाई गई. इस दौड़ में महिला-पुरुष के साथ युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.
रन फॉर टाइगर में हजारों लोगों ने लिया हिस्सा
लुप्त होने के अंतिम कतार में खड़े बाघों का संरक्षण करने के लिए हर कोई जागरूक है. यही वजह है कि पर्यावरण से प्रेम करने वाले हजारों की संख्या में लोग 'रन फॉर टाइगर' में भाग लेने के लिए जुड़ गए. हर कोई इस मुहिम में भागीदार बनने की इच्छा लेकर आया है. लुप्त होते बाघ को बचाने और उनके संरक्षण के लिए वन विभाग की ओर से यह बड़ी पहल की गई है.
गोरखपुर में पहली बार हुआ ऐसा आयोजन
गोरखपुर में पहली बार इस तरह के आयोजन की जानकारी जब लोगों को हुई तो बड़ी संख्या में लोग शामिल होने के लिए पहुंच गए. हर हाथों में बाघ के चित्र और उनके संरक्षण के संदेश लिए तख्तियां इस बात की गवाह है कि लोग पर्यावरण और लुप्तप्राय जीवों से कितना प्रेम करते हैं. यही वजह है कि बाघों के संरक्षण के लिए गोरखपुर के बाबा गंभीर नाथ प्रेक्षागृह में कल यानी 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे पर संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया है.
लखनऊ से आई बाघिन अभी क्वारंटीन
लखनऊ से गोरखपुर लाई गई बाघिन गीता अभी क्वारंटाइन है. इसे जल्द ही पर्यटक और शहरवासी देख सकेंगे. गीता सफेद बाघिन है, इसे शहीद अशफाक उल्ला खान प्राणी उद्यान में रखा गया है. जो यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगी. सफेद होने के नाते ये बच्चों के साथ ही बड़ों के भी आकर्षित करेगी. इसे पर्यटकों के लिए 29 जुलाई को बाड़ में पहुंचाया जाना था. लेकिन अपरिहार्य कारणों से इसे बाड़े में नहीं छोड़ा जा रहा है. बहुत जल्द इसे बाड़ में छोड़ दिया जाएगा.
गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने बताया कि 'रन फॉर टाइगर' का उद्देश्य लोगों को बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है. बाघ लिप्त होने की अंतिम पायदान पर खड़े हैं. ऐसे में अगर इनका संरक्षण नहीं किया गया तो यह जल्द ही हमारी स्मृतियों का हिस्सा हो जाएंगे. अगर इनकी प्रजाति लुप्त हो गई तो फिर पृथ्वी पर से इनका नामोनिशान मिट जाएगा. यही वजह है कि इनके संरक्षण के लिए 'रन फॉर टाइगर' का आयोजन किया गया है. पुरुष महिलाओं और युवाओं के साथ इसमें स्कूली बच्चों ने भी प्रतिभाग किया.
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