Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर (Gorakhpur) में नर्सिंग होम और फर्जी मेडिकल कॉलेज के नाम पर हजारों छात्रों का भविष्‍य बर्बाद करने वाले डॉक्टर से गैंगस्‍टर बने माफिया समेत सात सदस्‍यों की एक हफ्ते से कुर्क हो रही चल-अचल संपत्ति और बैंक लॉकर में रुपए का आकलन पूरा हो गया. पुलिस के मुताबिक उनकी अवैध तरीके से कमाई गई कुल चल-अचल संपत्ति की कीमत 103.05 करोड़ रुपए है. नर्सिंग होम और पैरामेडिकल कालेज चलाने वाले पांच आरोपियों को पहले ही पुलिस जेल की सलाखों के पीछे भेज चुकी है जबकि दो साथी अभी फरार हैं.


103 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क 
गोरखपुर जिला प्रशासन पुलिस ने फर्जी पैरामेडिकल कालेज चलाने वाले मेडिकल और शिक्षा माफिया डॉक्टर अभिषेक यादव, उसकी पत्नी डॉ. मनीषा यादव और  उसकी बहन डा. पूनम यादव समेत कुल सात आरोपियों की 103 करोड़ 5 लाख की संपत्ति कुर्क की है. एक हफ्ते से चल रही कुर्की की कार्रवाई बुधवार दोपहर को खत्म हुई है. पिपराइच के तुर्रा बाजार स्थित राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ. अभिषेक यादव पर संयुक्त सचिव अनिल कुमार सिंह ने आठ जनवरी 2022 को कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. शासन की सख्ती पर 16 सितंबर को कोतवाली थाना पुलिस ने डॉ. अभिषेक यादव, उसकी पत्नी डॉ. मनीषा यादव, शाहपुर के बशारतपुर में रहने वाली बहन डॉ. पूनम यादव, साथी शक्तिनगर निवासी डॉ. सी. प्रसाद उर्फ चौथी, बस्ती जिले के लालगंज, खोरिया निवासी शोभितानंद यादव, गुलरिहा थानाक्षेत्र के करमहा निवासी श्याम नारायण मौर्य और मोगलहा निवासी विशाल त्रिपाठी के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया. डॉ. अभिषेक पहले से ही लखनऊ जेल में बंद है.


कुर्क की गई संपत्ति में आरोपी की जमीन, नर्सिंग कॉलेज, नर्सिंग होम, आठ वाहनों के साथ ही अलग-अलग बैंकों के 15 से अधिक खाते भी सील हुए है. फर्जी तरीके से बगैर मान्यता के नर्सिंग और ल कॉलेज में हजारों विद्यार्थियों का प्रवेश लेकर जालसाजी करने का आरोपी डॉ. अभिषेक, उसकी पत्नी डा. मनीषा यादव, बहन डा. पूनम यादव, श्‍याम नारायण मौर्य और शोभितानंद यादव भी इस समय जेल में हैं. इन्‍हें 16 सितंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इन पर आरोप है कि कूटरचित दस्तावेज के सहारे शासन से मान्यता मिलने की जानकारी देकर नर्सिंग कॉलेज में छात्र-छात्राओं का प्रवेश लिया गया था.


पांच आरोपियों को भेजा गया जेल 
दरअसल, नर्सिंग छात्रों ने डीएम को प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि उनसे निर्धारित फीस से ज्यादा रुपए लिए गए. इसके बाद न परीक्षा कराई गई और न ही डिग्री दी गई. प्रथम सत्र के छात्रों को यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी बताकर रजिस्ट्रेशन कराया गया और बाद में स्टेट मेडिकल फैकल्टी बताया जा रहा है. बाद में पता चला कि राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कालेज की मान्यता नहीं है. संचालक डा. अभिषेक यादव ने फर्जी दस्तावेज दिखाकर मान्यता ली है. इसके बाद से जांच शुरू हुई.


गोरखपुर के एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि आम जनता से पैसा ऐंठकर अपराध के माध्यम से अपनी प्रॉपर्टी अर्जित करने और धन की उगाही करने वालों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. गोरखपुर में बीते 8 सालों में डॉक्टर अभिषेक यादव नाम के युवक ने अपने सहयोगियों के साथ शिक्षा और मेडिकल माफिया के रूप में अपना तंत्र खड़ा किया. हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया. उनसे मोटी रकम वसूली गई. इसी के साथ बहुत से सरकारी दस्तावेजों की कूट रचना की गई. इस संबंध में जब शासन प्रशासन को जानकारी हुई तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और पांच आरोपियों को जेल भेजा गया.  


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