Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर (Gorakhpur) में सूखे के बाद सितंबर माह की शुरुआत में तेजी से बढ़ रही राप्‍ती और रोहिन नदी खतरे के संकेत दे रही हैं. सूखे की मार झेलने के बाद नदियों का मूड देखकर ग्रामीणों से लेकर अधिकारी तक हैरत में हैं. बाढ़ की पिछले साल की विभीषिका को देखते हुए अधिकारियों ने रामगढ़ताल में जुलाई माह की शुरुआत में ही मॉक-ड्रिल कर अपनी तैयारियों को पूरा कर कमर कस ली. लेकिन औसत से भी कम बारिश और सूखे की वजह से निश्चिंत हुए ग्रामीण और अधिकारी अब बाढ़ आने के खतरे और नदियों के रूप को देखकर दहशत में हैं.


खतरे के निशान के करीब पहुंची दोनों नदियां 
गोरखपुर के शहर के दक्षिण में राप्‍ती नदी बहती है. वहीं उत्तर की ओर रोहिन बहती है. जब भी पहाड़ों पर बारिश होती है, तो सबसे पहले रोहिन अपना रौद्र रूप दिखाकर डराने लगती है. लेकिन इस बार सूखे की मार झेल चुके गांव के लोगों के साथ अधिकारी भी इस बात से निश्चिंत रहे हैं कि बाढ़ का प्रकोप नहीं झेलना पड़ेगा. लेकिन सितंबर माह की शुरुआत में ही राप्‍ती और रोहिन डराने लगी हैं. राप्‍ती और रोहिन दोनों नदियां बीते 24 घंटे में एक मीटर की रफ्तार से बढ़ रही हैं. राप्‍ती नदी खतरे के निशान 74.98 से महज 2.18 आरएल मीटर नीचे है. राप्‍ती नदी 72.800 पर बह रही है. वहीं रोहिन नदी खतरे के निशान 82.44 से 1.91 आरएल मीटर नीचे है. रोहिन 80.530 आरएल मीटर पर बह रही है. ऐसे में अधिकारियों के साथ ग्रामीण भी डर से सहमे हुए हैं. दोनों नदियों की रफ्तार यूं ही तेजी से बढ़ती रही, तो 48 से 72 घंटे के भीतर दोनों नदियां खतरे के निशान को पार कर जाएगी.


गोरखपुर के राजघाट पर खतरे का निशान दिखाता पिलर और तेजी से बढ़ती राप्ती नदी को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि नदी के पानी का फैलाव नहीं हुआ तो खतरा बढ़ सकता है. फैलाव की वजह से नदियों के स्थिति के बारे में ज्‍यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन यूपी के कई अन्‍य जिले बाढ़ की चपेट में आने की वजह से खतरा बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि अधिकारी भी पूरी तरह से अलर्ट मोड में हैं. इसके साथ ही वे किसी भी तरह की आपदा ने निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार भी हैं. हालांकि 7 जुलाई को रामगढ़ताल में बाढ़ आपदा से निपटने के लिए मॉक-ड्रिल किया गया था. उसके बाद सूखे की स्थिति ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था. नदियां खतरे के निशान से काफी नीचे होने की वजह से सभी निश्चिंत रहे हैं. लेकिन अचानक बढ़ी राप्‍ती की वजह से नदियों के किनारे बसे गांव में कुछ जगहों पर कटान भी हो रहा है. बीते 24 घंटे में एक मीटर के करीब बढ़ी राप्‍ती और रोहिन अब खतरे की घंटी बजा रही हैं. राप्‍ती और रोहिन इसी रफ्तार से बढ़ती रहीं, तो 48 से 72 घंटे में खतरे के निशान को पार कर जाएंगी.


पिछले साल 398 गांव हुए थे प्रभावित
जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्‍ता ने बताया कि पिछले साल आई बाढ़ की वजह से 398 गांव प्रभावित हुए थे. हर साल बाढ़ में 150 गांव मैरुण्‍ड हो जाते हैं. उन्‍होंने बताया कि राप्‍ती और रोहिन बीते 24 घंटे में एक मीटर बढ़ी है. इस बार ग्रामीणों को सूखे के साथ बाढ़ का भी सामना करना पड़ सकता है. नदियों की स्थिति को मॉनिटर किया जा रहा है. राप्‍ती और रोहिन वॉर्निंग लेवल से नीचे है. अभी कोई खतरा नहीं है. बाढ़ चौकियां अलर्ट मोड में हैं. कुछ जगहों पर कटान की सूचना है. लेकिन खतरा अभी सामने नहीं है. इस समय कोई खतरा नहीं दिख रहा है. एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के साथ बाढ़ चौकियों के साथ पुलिस और राजस्‍व-सिंचाई विभाग की टीम भ्रमणशील है. लो लेवल के गांव को वॉच किया जा रहा है. राप्‍ती और रोहिन मेन कोर्स में होने की वजह से 24 घंटे में एक मीटर तक बढ़ी है. ऐसे में पहाड़ों पर बारिश के हिसाब से खतरे का अंदाजा लग सकता है. लेकिन नदियों का फैलाव मेन कोर्स के बाद होता है. ऐसे में अभी खतरे की संभावना नहीं दिख रही है.


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