UP Politics: संजय निषाद ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप, बताया क्यों हुई उनके बेटे की हार?
UP News: गोरखपुर दौरे पर यूपी के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बेटे प्रवीण निषाद की हार पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने संतकबीरनगर में बेटे प्रवीण निषाद की हार की वजह बताई है.
Gorakhpur News: यूपी के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने चुनाव के बाद पहली बार गोरखपुर दौरे पर पहुंचे. संजय निषाद ने बेटे की हार पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने अपने बेटे और संतकबीरनगर से भाजपा के सांसद रहे प्रवीण निषाद की हार का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ा है. उन्होंने कहा कि वे लोग नैरेटिव सेट करके वोट लेने में कामयाब हो गए.
उन्होंने कहा कि संतकबीरनगर में 5.5 लाख वोट दलितों का है. वे आरक्षण का लाभ लंबे समय से ले रहे हैं. 2.5 लाख मिल्कमैन हैं. 4 लाख मुसलमान हैं. वे नैरेटिव सेट करके वोट पाए. वे लोग 535 में 505 बूथ वो लोग जीते हैं. विपक्ष के प्रत्याशी का बूथ भी जीते हैं. उनके नैरेटिव को उन लोगों ने लाइट में लिया और वे फाइट में आ गए. कुछ लोग पार्टी को मंच पर मां कहते हैं और समय आने पर धोखा भी देते हैं. कुछ जगहों पर ऐसा भी मिला है.
बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लगाए गंभीर आरोप
डॉ. संजय निषाद ने कहा कि भाजपा देश की बड़ी पार्टी है. वोट नहीं मिलता, तो नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री कैसे बनते. वे कहते हैं कि जो सीटें पूर्वांचल की थी, यूपी में वो कामयाबी नहीं मिली. सपा-बसपा का लंबे समय तक यूपी में राज रहा है. वे कहते हैं कि आरक्षण का जो मुद्दा है, उसे लेकर सत्ता रही है. पिछड़ों और दलितों के नाम पर उनकी सत्ता रही है. कुछ ऐसे लोग भी पार्टी में हैं, जो भितरघात भी कर रहे हैं. कुछ जगहों पर ऐसा सुनने में आया है. संतकबीरनगर में अधिकतम नैरेटिव और कुछ कार्यकर्ताओं की कमियों की वजह से हार गए. विपक्ष के पास बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं है. सपा-बसपा और कांग्रेस जिस तरह से पीएम मोदी को हराने में लगे थे. लेकिन वो कामयाब नहीं हुए और फिर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने.
गोरखपुर में निषाद पार्टी की जड़ है. ये उनकी कर्मभूमि है. उनका जन्मस्थान है. यहां कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनने के लिए आए हैं. उनके साथ उनकी समाधान के लिए मिलना जुलना जारी है. वे चुनाव के बाद पहली बार यहां पर आए हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर उनका अपना वोट बैंक है. हार-जीत राजनीति का हिस्सा है. ये संभावनाओं का खेल है. उन्हें भ्रमित करने में विपक्ष कामयाब हो गया. वे अच्छे काम करके भी कामयाब नहीं हो पाए. वे कामयाब कैसे होंगे इसके लिए चर्चा करने आए हैं.
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