UP News: अल्लाह की इबादत में गुजर रहा रोजा, मौलाना फिरोज ने कहा- 'लोगों की जरूरत की भी रखें ख्याल'
UP News: गोरखपुर में रोजेदारों के घरों में रौनक देखने को मिल रही है. वहीं मौलाना फिरोज ने कहा कि रोजेदारों को मुसलमान भाईयों की जरूरतों का भी ख्याल रखना चाहिए. यह भी एक इबादत है.
Gorakhpur News: गोरखपुर में रोजेदार बंदों ने मुकद्दस रमजान का पांचवां रोजा रखकर अल्लाह के हुक्म को पूरा किया. मस्जिद व घरों में रौनक है. चारों तरफ कुरआन-ए-पाक पढ़ा जा रहा है. पैगंबर इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनकी आल पर दरूदो सलाम का नजराना पेश किया जा रहा है. मस्जिदों में बच्चे, नौजवान व बुजुर्ग नमाज अदा कर रहे हैं. वहीं घरों में आधी आबादी इबादत, तिलावत के साथ खुद रोजा रखकर सहरी-इफ्तारी व खाना भी पका रही है. बाजार से खरीदारी भी कर रही है. दर्जियों की दुकानों पर लोग ईद का कपड़ा सिलवाने पहुंच रहे हैं.
गोरखपुर की जामा मस्जिद, मदीना मस्जिद, इमामबाड़ा, हजरत मुबारक खां शहीद बाबा की दरगाह समेत शहर की सभी मस्जिदों में रमजान पर दर्स दिया जा रहा है. तरावीह की नमाज़ में भीड़ उमड़ रही है. तरावीह की नमाज में कहीं दस तो कहीं पंद्रह पारे मुकम्मल हो चुके हैं. रहमत के अशरे में चंद दिन और बचे हुए हैं जिसके बाद मगफिरत का अशरा शुरू होगा. रमजानुल मुबारक का हर पल हर लम्हा कीमती है.
'रमजान में नाज़िल हुआ क़ुरआन'
बेलाल मस्जिद अलहदादपुर के इमाम कारी शराफत हुसैन कादरी ने बताया कि रमज़ान के इस मुकद्दस महीने में कुरआन-ए-पाक नाज़िल हुआ. कुरआन-ए-पाक का पढ़ना देखना, छूना, सुनना सब इबादत में शामिल है. कुरआन-ए-पाक पूरी दुनिया के लिए हिदायत है. हमें कुरआन-ए-पाक के मुताबिक बताएं उसूलों पर जिंदगी गुजारनी चाहिए. अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर कुरआन-ए-पाक 23 साल में नाज़िल हुआ. कुरआन-ए-पाक पर अमल करके ही पूरी दुनिया में अमन और शांति कायम की जा सकती है.
मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर के इमाम मौलाना मो. फिरोज निजामी ने कहा कि रमजान का महीना हर साल रहमत, बरकत, और मगफिरत का न मिटने वाला खजाना लेकर हमारे बीच आता है. इस महीने का एक खास मकसद यह है कि हम परहेज़गार बन जाए. इस मुबारक महीने की कुछ ऐसी अहम जिम्मेदारियां हैं, जिसे पूरा करना हर खासो आम मुसलमान का दीनी फरीजा है. रोज़े की हालत में भूख व प्यास के एहसास के जरिया हमें अपने आस-पास के मुसलमान भाईयों की जरूरतों का भी ख्याल करना चाहिए. यह भी एक इबादत है.
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