Gorakhpur News: यूपी की गोरखपुर पुलिस (Gorakhpur Police) को चेकिंग के दौरान बड़ी सफलता हाथ लगी है. गोरखपुर के रामगढ़ताल से दुर्लभ कछुओं की तस्‍करी करने वाले अंतरराष्‍ट्रीय गिरोह के चार सदस्‍यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पश्चिम बंगाल और नेपाल के रास्‍ते 34 इंडियन फ्लैप सेल टर्टल  को चाइना समेत दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भेजा जा रहा था. पुलिस ने जब इन तस्‍करों को गिरफ्तार किया, तो 34 में से 19 कछुओं की मौत हो चुकी है. इन कछुओं की अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कीमत 10 लाख रुपए बताई जा रही है.


इन कछुओं के मांस को खाने में प्रयोग किया जाता है. तो वहीं इनसे शक्तिवर्धक दवाएं भी बनाई जाती है. गोरखपुर के एसपी सिटी कृष्‍ण कुमार बिश्‍नोई ने पुलिस लाइन्‍स के व्‍हाइट हाउस सभागार में गुरुवार को इस घटना का खुलासा किया. उन्‍होंने बताया कि सीओ कैंट योगेन्‍द्र सिंह और इंस्‍पेक्‍टर कैंट रणधीर मिश्रा की निगरानी में गोरखपुर की कैंट पुलिस निकाय चुनाव को लेकर मोहद्दीपुर में चेकिंग कर रही थी. इसी दौरान एक स्कॉर्पियो कार में बैठे चार युवकों की संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए उनसे पूछताछ की गई.


जब कार की तलाशी ली गई, तो 10 बारों में 34 इंडियन फ्लैप सेल टर्टल (कछुआ) बरामद हुए हैं. इन्‍हें 10 बोरों में भरकर कैंपियरगंज के रास्‍ते पश्चिम बंगाल और नेपाल होते हुए चाइना समेत दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों में भेजा जा रहा था. हालांकि इनमें 19 कछुओं की मौत हो गई थी. तस्‍कर इन कछुओं को रामगढ़ताल से पकड़कर चाइना समेत अन्‍य देशों में भेजने की फिराक में रहे हैं. तस्करों के पास से बरामद कछुओं को पुलिस ने वापस रामगढ़ताल में छोड़ दिया. 


पुलिस ने चार तस्करों को किया गिरफ्तार
गोरखपुर के एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नाई ने बताया कि आरोपियों की पहचान देवरिया जिले के एकौना थानाक्षेत्र के जगमांझा के रहने वाले वलिस्टर सिंह, गोरखपुर के कैंट थानाक्षेत्र के महरवा की बारी के रहने वाले सुग्रीव निषाद, बब्लू निषाद और संतकबीरनगर के बखिरा थानाक्षेत्र के झुगिया के रहने वाले दुर्गेश साहनी के रूप में हुई है. पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वह इन कछुओं को पहले कोलकाता भेजा जाता है. जहां ये कछुए करीब 350 रुपए प्रति किलो के रेट से बिकते हैं. 


एसपी सिटी ने आगे बताया कि एक कछुआ दो किलो के करीब होता है. जहां से बड़े गैंग इसे बंगलादेश भेज देते हैं. इन दिनों कोलकाता से अधिक इसकी नेपाल में डिमांड बढ़ गई है.  ऐसे में इन कछुओं के एवज में उन्हें इसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है. आरोपियों ने यह भी खुलासा किया है कि कछुओं की तस्करी के पीछे एक बड़ा गैंग काम कर रहा है. जो अमेठी, सुल्तानपुर वाया गोरखपुर दुर्लभ कछुओं की खेप पहुंचाने का काम कर रहा है. पुलिस ने दावा किया है कि जल्द ही इस गैंग के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।


मांस निकालने के बाद बनाई जाती है दवा
इन कछुओं का मांस निकालने के बाद हड्डी और कवच से शक्तिवर्धक दवा बनाई जाती है. इसके लिए गंगा में पाए जाने वाले कछुओं को बेहतर माना जाता है. जबकि बीच के हिस्से का मांस खाया जाता हैं. साइड के हिस्सों की कीमत बंगाल और त्रिपुरा में 5 से 8 हजार रुपए प्रति किलो मिलती है. जबकि थाईलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया और चीन में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपए प्रति किलो है. इसका मांस करीब 2 हजार रुपए किलो तक बिकता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांस की भी कीमत करीब 5 हजार रुपए किलो तक है. भारत में कछुओं की तस्करी का जाल बिहार, यूपी, बंगाल, असम आदि राज्यों में फैला है. 


गोरखपुर के एसपी सिटी कृष्‍ण कुमार बिश्‍नोई ने बताया कि इंडियन फ्लैप सेल टर्टल की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तस्‍करी करने वाले चार अंतरराष्ट्रीय तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. उन्‍होंने बताया कि पुलिस की टीम को 10 हजार रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा. इनके खिलाफ वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9, 51 (1), 1972 व 41, 42, 52 भारतीय वन्य अधिनियम 1927 के तहत केस दर्ज किया गया है. मृत पाए गए कछुओं का पैनल के चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम कराया जा रहा है.


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