Gorakhpur Smart Police: यूपी के गोरखपुर में स्मार्ट पुलिसिंग की झलक देखने को मिल रही है. गोरखपुर जोन के सभी थानों पर अब आने वाले फरियादियों को निराश होकर नहीं लौटना पड़ेगा. फाइव स्टार होटलों की तर्ज पर महिला पुलिसकर्मी उनका हाथ जोड़कर वेलकम करेंगी. इसके साथ ही उनकी समस्याओं के निस्तारण का भरोसा भी दिलाया जाएगा. थाना परिसर में प्रवेश के बाद उन्हें मीठा खिलाकर मेहमान की तरह पानी भी पिलाने की व्यवस्था की जा रही है. एडीजी जोन अखिल कुमार की पहल पर यूपी के गोरखपुर जोन के सभी थानों पर इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया है.


गोरखपुर के कैंट थाने से इसकी प्रयोग के तौर पर शुरुआत की गई. इस पहल का अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार ने इसे जोन के सभी थानों पर लागू कर दिया है. इसके लिए पुलिसकर्मियों को बाकायदा 7 स्‍टार होटलों में 10 दिन की ट्रेनिंग दिलाई गई है. परेशान हाल में थाने पर आने वाले पीड़ितों के भीतर न्‍याय पाने और पुलिस के सकारात्मक व्यवहार से विश्वास जगाने के लिए इस पहल को शुरू किया गया है. आमतौर पर थानों पर जाने वाले पीड़ितों को अक्सर इस बात का डर रहता रहा है कि उन्हें न्याय मिलेगा कि नहीं मिलेगा. इसके साथ ही पुलिस वालों के व्यवहार को लेकर भी उनके मन में संशय रहता रहा है, लेकिन अब ये बदलाव भी थाने पर आने वाले पीड़ितों को सुकून देगा.


हाथ जोड़कर स्वागत करेंगे पुलिसकर्मी


गोरखपुर जोन के एडीजी अखिल कुमार ने बताया कि गोरखपुर जोन के सभी थानों पर आने वाले फरियादियों को हाथ जोड़कर नमस्ते कर उनका वेलकम किया जाए. उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्हें यथोचित स्थान पर ले जाएं. उन्हें मीठा खिलाकर पीने के लिए पानी पिलाएं. इसकी मंशा ये है कि थाने पर आने वाला व्यक्ति किसी न किसी तरह से पीड़ित रहता है. ऐसे में उसकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं होती है. वो न्याय की उम्मीद से आता है. उससे अच्‍छा व्‍यवहार करें. उनके प्रति अपनी विचारधारा सकारात्मक रखें. पुलिसकर्मी की बॉडी लैंग्‍वेज ऐसी हो कि उसे हम रिसीव कर रहे हैं.


पुलिसकर्मियों को दिलाई गई ट्रेनिंग


गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार ने कहा कि जब हम बड़े होटलों में जाते हैं, तो वे किस तरह से अच्छे ढंग से रिसीव करके ले जाते हैं और बिठाते हैं. वहीं पद्धति यहां पर लाने की कोशिश की है. उन्होंने बताया कि कैंट थाने में इसकी शुरुआत की गई है. कैंट में इसकी शुरुआत इसलिए की गई है, क्योंकि ये हमारा सबसे महत्वपूर्ण थाना है. इसमें जो हमारे कर्मी हैं, उनकी ट्रेनिंग होटल में कराई गई है. उनकी 10 दिनों तक ट्रेनिंग कराई गई है. इसके बाद प्रयोग के तौर पर कैंट में इसे शुरू किया गया है. इसका अच्छा रिस्पॉन्स आने के बाद जोन के सभी थानों में इसे लागू किया जाएगा.


एडीजी जोन ने कहा, मंशा स्पष्ट है कि हमारी जो सोच है, खासकर थाने लेवल पर जो भी पीड़ित आते हैं, इसमें 90 प्रतिशत लोग गरीब होते हैं. इनकी कोई पहचान, पकड़ और पैरवी करने वाला नहीं होता है. ऐसे लोगों से जब हम सिर झुकाकर मिलेंगे, तो स्वाभाविक है ऐसे लोगों और आम लोगों के प्रति हमारा नजरिया सकारात्मक रूप से निकलकर सामने आएगा.


ये भी पढ़ें- Uttarakhand Flood: उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी, भूस्खलन से कई रास्ते बंद, आपदा मद में केंद्र से मिले 413 करोड़