(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gorakhpur: राप्ती के तट पर राम प्रसाद बिस्मिल को अनोखी श्रद्धांजलि, रेत की आकृति बनाकर किया गया याद
Ram Prasad Bismil: शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की शहादत को याद करते हुए हर साल कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस साल गोरखपुर में 19 दिसंबर को सैंड आर्टिस्ट ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.
UP News: आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 'काकोरी कांड' (Kakori Kand) के बलिदानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) को अनोखी श्रद्धांजलि दी गई. 19 दिसंबर 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर (Gorakhpur) जेल में अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी की सजा दी थी. 'काकोरी बलिदान दिवस' पर राप्ती नदी के तट पर रेत से आकृति बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
कलाकार महेश शर्मा ने छह घंटे की कड़ी मेहनत के बाद रेत और रंग के माध्यम से अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की आकृति को उकेरकर जीवंत कर दिया. 19 दिसंबर 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी के बाद अंतिम संस्कार किया गया था. गुरुकृपा संस्थान के निदेशक बृजेश राम त्रिपाठी ने बताया कि हर वर्ष बलिदान दिवस पर इस तरह के आयोजन करते हैं. संस्थान की महिला पदाधिकारियों ने कहा कि अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल से युवाओं को प्रेरणा लेने की जरूरत है. देश को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान देने वाले इन्हीं शहीदों की वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं.
कलाकार ने शेयर किया अपना अनुभव
शिल्पकार महेश शर्मा ने बताया कि सुबह 5:00 बजे से रेत शिल्प से अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि 6 घंटे की अथक मेहनत के बाद उन्होंने इस रेत शिल्प पर उनकी आकृति उकेरी है. वे लोग अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को उनके बलिदान के लिए याद कर रहे हैं. उनकी आकृति को बना कर वे काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. अमर शहीद को श्रद्धांजलि देने आए ट्रांसजेंडर निशा ने बताया कि किन्नर समाज की मुख्यधारा में आकर अब शहीदों को नमन कर रहा है. वे भी इसी समाज का हिस्सा हैं और इन्हीं शहीदों की वजह से आज भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं. हमारी युवाओं को भी शहीदों से प्रेरणा लेकर देश को सुरक्षित रखने में योगदान देना चाहिए.
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