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Lok Sabha Election 2024: OBC पार्टी और NOTA का मेल, NDA के साथ हो गया खेल, कालीशंकर ने कहा- 'गठबंधन को हुआ फायदा'

कालीशंकर ने कहा कि इस बार के चुनाव की तुलना पिछले चुनाव से की जाए तो देखने को मिलेगा कि ऐसा उलट फिर हुआ है कि जहां प्रत्याशी जितने मार्जिन से हारे हैं, उससे अधिक वहां पर नोटा पड़ा है.

Lok Sabha Election Result 2024: ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि उनकी चुनाव में भागीदारी भले नहीं रही है क्योंकि चुनाव के ठीक पहले उनकी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ है. लेकिन ओबीसी पार्टी और ओबीसी आर्मी ने आमजन के साथ ही अधिकारियों अपने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि जो काम घातक हो उसे वोट दें. उन्होंने कहा कि चाहे कांग्रेस पार्टी हो और चाहे सपा हो या फिर जो जाती है आधार पर बनी पार्टियां हैं, जिन्होंने जनता को सब्जबाग दिखाया था. चाहे निषाद पार्टी, राजभर की पार्टी, पटेल की पार्टी और मौर्या की पार्टी शामिल है. उन्होंने अपील की थी कि नोटा दबाइएगा.

ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि जब ये पार्टियां सत्ता में रहीं तो ओबीसी की बात नहीं किए. जब ये सत्ता में रहे, तो इन्हें पीडीए भी याद नहीं आया. उसे समय इन्हें आबादी के हिसाब से भागीदारी याद नहीं आई. जब यह सत्ता में रहे तो इन्हें जाति जनगणना याद नहीं आई. सत्ता से हटते ही इनका प्रेम उमड़-उमड़कर ओबीसी के प्रति बढ़ने लगा. ओबीसी समाज लगातार धोखा खा रहा था. जो उनका संवैधानिक अधिकार रहा है, आजादी इए बाद से आबादी के अनुसार जो आरक्षण की वे मांग कर रहे हैं. वह अधिकार कहीं न कहीं धोखेबाजी के चक्कर में फंस गया है. यही वजह है कि उन लोगों ने नोटा दबाया.

इस बार के चुनाव की तुलना पिछले चुनाव से की जाए तो देखने को मिलेगा कि ऐसा उलट फिर हुआ है कि जहां प्रत्याशी जितने मार्जिन से हारे हैं, उससे अधिक वहां पर नोटा पड़ा है. यूपी की तमाम ऐसी सीटें हैं, जो प्रभावित हुई हैं. यह उनकी झांकी थी. ओबीसी पार्टी 2027 में देश की यह पहले पिछड़ों की पार्टी बनी है, जो अपने दम पर सरकार बनाई गई और अपने हक और अधिकार कानून बनाकर लेकर रहेगी.

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ओबीसी समाज अब काफी होशियार
एक सवाल के जवाब में काली शंकर ने कहा कि जनता बहुत होशियार हो चुकी है. जनता को 1947 के पहले वाली जनता न समझा जाए. अब बहुत से पढ़े-लिखे लोग आ गए हैं. ओबीसी समाज अब काफी होशियार हो चुका है. सबसे अधिक असर इस चुनाव में किसी ने डाला है, तो वह ओबीसी समाज और वोटर्स ने प्रभाव डाला है. कई सीटों पर डबल इंजन की सरकार के हारने का जो सबसे बड़ा कारण है ओबीसी पार्टी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट जाकर जाति जनगणना के लिए जब उत्तर प्रदेश की सरकार को नोटिस दिलाया. 

विपक्ष ने जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जाति जनगणना करने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने साफ कहा था कि वह जाति जनगणना नहीं कराएंगे. इसके बाद ओबीसी समाज ने गांठ बांध लिया कि अभी वह क्या बोले, समय आने पर बता देंगे. जब बटन दबाने की बारी आई तो कुछ लोगों ने नोटा का बटन दबा दिया. अन्य लोगों से उन्होंने हवन किया था कि अगर वोट देना है तो ऐसी पार्टी को वोट दें, जो कम घातक हो.

ओबीसी पार्टी चुनाव में नहीं थी. उनकी पार्टी चुनाव में रहती तो माहौल और एजेंडे और नैरेटिव सेट किया जा रहा था, वो कुछ और होता. 2027 के चुनाव में ओबीसी पार्टी प्रमुख पार्टियों में होगी और ओबीसी समाज के लोगों के हक अधिकार के लिए उभरकर आगे आएगी. ओबीसी पार्टी साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी. 

ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि कई सीटों पर जो उलट फिर हुआ वह स्वाभाविक है. जो एग्जिट पोल दिखाएं जा रहे थे वह कहीं न कहीं हाइपोथेटिकल थे. जनता की नब्ज टटोलने का काम नहीं किया गया. एक रूम में बैठकर एग्जिट पोल निकाल दिया गया. जातिगत जनगणना नहीं करने की जो बात कही गई उसका भी नुकसान सर्वाधिक उठाना पड़ा. ओबीसी आर्मी और ओबीसी पार्टी ने जो काम घातक को वोट देने आह्वान किया था, उसका भी असर हुआ है. एनडीए से ओबीसी समाज नाराज था. इसका भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. 

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