गोरखपुर: आप यूपी में रहते हैं और मुंबई के मरीन ड्राइव और जुहू चौपाटी का नजारा लेना चाहते हैं, तो निराश मत होइए. आप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर के रामगढ़ ताल आ सकते हैं. यहां पर आपको वो हर सुविधा और खूबसूरत नजारा दिखाई देगा, जो आपने पहले कभी नहीं देखा होगा. आजादी के पहले से ही उपेक्षा की शिकार सदियों पुरानी प्राकृतिक झील के किनारे आज यूपी के साथ बिहार और नेपाल से आने वाले पर्यटकों के लिए भी खासा रोमांच दिखाई देता है. ये यूपी का पहला वेटलैंड भी है.
सदियों पुरानी है रामगढ़ झील
गोरखपुर की रामगढ़ झील सदियों पुरानी है. ये झील जितनी पुरानी है, उतनी ही किवदंतियां भी इसके साथ जुड़ी हुई है. ये प्राचीन समय छठी शताब्दी में नागवंशी कोलिय गणराज्य की राजधानी था. इतिहासकार डॉ राजबली पांडेय लिखते हैं कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी में गोरखपुर का नाम रामग्राम था. यहां कोलीय गणराज्य स्थापित था. जनश्रुति है कि प्राचीन काल में ताल के स्थान पर एक विशाल नगर था. राजा के हठ से नाराज होकर सिद्ध ऋषि के श्राप की वजह से रामगढ़ जमीन में 40 फीट नीचे धंस गया और वहां पर ताल बन गया. लेकिन, सदियों पुराने इस ताल का किसी भी सरकार ने पुरसाहाल नहीं लिया. 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने के साथ ही इसकी सूरत बदलने लगी.
बदल गया रामगढ़ ताल का नजारा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ इस ताल का जीर्णोद्धार कराया, बल्कि इसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल कर फोरलेन, तोरणद्वार, स्ट्रीट लाइटें, सौंदर्यीकरण, वाटर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, मोटर बोट, नाव के साथ लाइट एंड साउंड शो शुरू कर इसे पर्यटन का केन्द्र बना दिया. चार सालों में ही रामगढ़ ताल का नजारा बदल गया. एक ओर झील, तो वहीं झील के सामने सड़क पर जुहू चौपाटी जैसा नजारा मन मोह लेता है. पहले यहां पर शाम के बाद महिलाएं और युवतियां आने से डरती रही हैं. लेकिन, अब यहां पर देर रात तक लोगों को घूमते देखा जा सकता है. यहां पर घूमने आईं खुशी सिंह, मनमीत कौर, स्नेहा, उमेश कुमार यादव बताते हैं कि यहां पर जुहू चौपाटी और मरीन ड्राइव जैसा नजारा मन मोह लेता है.
जुटती है लोगों की भीड़
रामगढ़ ताल इन दिनों मुंबई के मरीन ड्राइव सरीखा बन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है. ताल के किनारे ही घूमने की विशेष व्यवस्था है. रोजाना सुबह और शाम को टहलने वालों की भीड़ जुटती है. बोट जेट्टी के पास का एरिया पर्यटकों को लुभाता है. रामगढ़ ताल के किनारे ही यूपी के सबसे ऊंचा तिरंगा भी फहरता दिखेगा. यहां घूमने के दौरान ऐसा लगाता है, मानो मुंबई के जुहू चौपाटी और मरीन ड्राइव में घूम रहे हैं.
लगातार हुआ है काम
रामगढ़ ताल में रोजाना सैकड़ों लोग नौकायन का आनंद उठा रहे हैं. स्पीड बोट और जेट स्की की भी शुरूआत की गई है. जल्द ही यहां लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकेंगे. 45 करोड़ की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बन रहा है. योजना वाटर स्पोर्ट्स के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी तैयार किए जाने की है. कांप्लेक्स का निर्माण जुलाई तक पूरा होना है. नया सवेरा योजना के तहत रामगढ़ ताल के एंट्री प्वाइंट पर 75 लाख की लागत से एक तोरणद्वार बनाया गया है. साथ ही यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सड़क को फोरलेन बना दिया गया है.
शाम का नजारा देखने लायक होता है
एक किलोमीटर लंबे इस पाथ-वे पर ताल की खूबसूरती का आनंद उठाने के साथ ही व्यायाम के लिए ओपन जिम का निर्माण किया गया है. गोरखपुर के रामगढ़ ताल की वजह से शहर की एक अलग ही पहचान बन गई है. इन दिनों रामगढ़ ताल के लहरों की अठखेलियां ताल की खूबसूरती को और बेहतर बना रही है. तापमान बढ़ने और लगातार सफाई होने की वजह से ताल में अब जलकुंभी काफी कम नजर आ रही है. खाने-पीने के 100 से ज्यादा ठेले-खोमचे, भुट्टे, मुरमुरे से लेकर गोलगप्पों की दुकानों पर शाम को लोगों की भीड़ नजर आती है. यहां शाम का नजारा देखने लायक होता है.
सीएम योगी ने देखा था सपना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए सालों पहले एक सपना देखा था. वो सपना था, अपने शहर गोरखपुर की रामगढ़ ताल भी भोपाल और उदयपुर की तरह ही सिर्फ यहां के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि बौद्ध सर्किट के प्रमुख स्थान कुशीनगर, कपिलवस्तु और नेपाल जाने वाले सैलानियों के लिए भी पर्यटक स्थल बने. शहर के पूर्वी छोर पर स्थित 778 हेक्टेयर रकबे यानी 1800 एकड़ और 18 किमी परिमाप में फैला यहां का प्राकृतिक और खूबसूरत रामगढ़ ताल यूपी का पहला वेटलैंड भी बन गया है.
गटर में तब्दील हो चुकी थी झील
सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस वक्त ये सपना देखा था, उस समय ये झील महानगर के गटर में तब्दील हो चुकी थी. महानगर के करीब आधे दर्जन नालों का मल-जल सीधे इसमें गिरता था. किनारों से गुजरने पर पानी से दुर्गंध आती थी. झील का बड़ा हिस्सा जलकुंभी से पटा था. सिल्ट पटने से झील की औसत गहराई लगातार घट रही थी. पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से जैव विविधता लगातार घट रही थी. बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ इसके लिए संसद से लेकर सड़क तक लगातार आवाज उठाते रहे. इसमें गति तब आई जब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सूबे की कुछ अन्य झीलों के साथ रामगढ़ को भी राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल कर लिया.
बढ़ी है लोगों की संख्या
रामगढ़ ताल की पहचान अब रामगढ़ झील के रूप में बन रही है. सूरज जैसे-जैसे ढलने लगता है, पूर्वांचल के इस जुहू चौपाटी पर भीड़ बढ़ती जाती है. लोग यहां पर नौकायन और व्यू प्वाइंट का आनंद उठाते हैं. ये ताल 678 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इसके चारों ओर 10 मीटर चौड़ा और 14 किमी लंबा बांध बनाया गया है. हाईमास्क, एलईडी की रोशनी मन मोह लेती है. वर्ष 2009 में योजना की लागत 124 करोड़, वर्ष 2013 में 68 करोड़ बढ़ोत्तरी की गई. अब तक तकरीबन 125 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं.
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