गोरखपुरः ‘नाथ पंथ के वैश्विक प्रदेय’ के बारे में जानना है, तो दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय आइए. यहां पर 20 से 22 मार्च तक इस विषय पर अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. तीन दिवसीय अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी में छह प्रमुख विषयों पर 36 तकनीकी सत्रों में देश और विदेश के 250 विद्वान ऑफलाइन और आनलाइन माध्‍यम से जुड़कर अपने विचार रखेंगे. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ 20 मार्च को तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के साथ विश्‍वविद्यालय की महत्‍वाकांक्षी योजना ‘अर्न बाय लर्न’ का शुभारम्‍भ भी करेंगे. इसके माध्‍यम से पहले चरण में 100 विद्यार्थी पढ़ाई के साथ रोजगार से भी जुड़ सकेंगे.


सीएम करेंगे उद्धाटन


दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से 20-22 मार्च तक आयोजित होने वाले 'नाथ पंथ के वैश्विक प्रदेय' विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में छह प्रमुख टॉपिक ‘भारतीय योग परम्‍परा एवं नाथ पंथ’, दर्शन-साधना-साहित्‍य और नाथ पंथ, नाथ पंथ सामाजिक-सांस्‍कृतिक एवं वैज्ञानिक आधार, नाथ पंथ के सांस्‍कृतिक स्‍थल एवं पर्यटन और नाथ पंथ एवं अंतरराष्‍ट्रीय साहित्‍य विषय पर आयोजित होगा. 20 मार्च को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के दीक्षा भवन में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ बतौर मुख्‍य अति‍थि अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का उद्घाटन करेंगे.


20 से 22 मार्च तक आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में सीएम के हाथों विवि की महत्वाकांक्षी योजना ‘अर्न बाय लर्न’ का लोकार्पण होगा. पहले चरण में 100 विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ उनकी क्षमता के मुताबिक रोजगार भी विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से प्रदान किया जाएगा. विद्यार्थियों के चयन की प्रक्रिया अधिष्ठाता छात्र कल्याण की ओर से शुरू की जा रही है. इसके साथ ही साथ ही गृह विज्ञान विभाग की ओर से सोविनियर शॉप और बिज़नेस इनक्यूबेटर सेल का भी लोकार्पण होगा. इसमें 500 विद्यार्थियों को रोजगार देने की तैयारी विश्‍वविद्यालय ने की है. विद्यार्थियों को 100 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से काम का भुगतान किया जाएगा. योजना में 500 विद्यार्थियों में 50 फीसदी छात्राएं होंगी.


‘भारतीय योग परंपरा एवं नाथ पंथ’ विषयक प्रथम सेक्टर में नाथ पंथ और दर्शन के विविध प्रस्थानों में व्याख्यात योग के विविध पक्षों पर पुष्कल मंथन होगा. इससे एक ओर जहां योग के अनेक अस्पष्ट और अनछुए पहलुओं को प्रकाश में लाने की दिशा में काम होगा. दूसरी ओर उनकी लोक का उपकार करने वाले और योग के माध्यम से नाथ पंथ के समायोजन का मूल्यांकन भी हो सकेगा. तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष माधव देश पांडेय, मॉरीशस से विश्वानन्द पुटिया, यूनिवर्सिटी ऑफ कंबोडिया से हो चियांगके के साथ पूरे भारत वर्ष से जुटे विद्वान अपने अपने विचार रखेंगे.


योग का प्रभाव


प्रथम सेक्टर के संयोजक प्रो मुरली मनोहर पाठक ने बताया कि भारत में योग की धारणा अत्यंत प्राचीन है. अथर्ववेद में योग द्वारा अलौकिक शक्तियां प्राप्त करने का उल्लेख है. कठ, तैत्तिरीय और मैत्रायणी उपनिषदों में योग का पारिभाषिक अर्थ में प्रयोग हुआ है. जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही योग की व्यवहारिक योग्यता में विश्वास रखते हैं. कालांतर में शिवावतार महायोगी गुरू गोरखनाथ ने जन सामान्य के लिए नाथ पंथ का प्रवर्तन किया. उनके मतानुसार शक्ति और शिव में कोई भेद नहीं है. शक्ति और प्रसर को तथा शिव, संकोच को भासित करते हैं. इन दोनों में जो योग को स्थापित कर देता है, वह सिद्ध योगीराज हो जाता है. इस खंड में दुनियाभर के ख्यातिलब्ध विद्वान अपने अपने विचार रखेंगे.


‘भारतीय योग-परंपरा एवं नाथ पंथ के मुख्य वक्ता’ पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के शारीरिक शिक्षा विभाग से प्रो. राजीव चौधरी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी से डा. देवेश कुमार मिश्र, बीआर आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से प्रो. मनोज कुमार, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग से डा. धनंजय मणि त्रिपाठी और मीनाक्षी जोशी, निदेशक कुंडलिनी योग रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ से डा. दीनानाथ राय, नव नालंदा केंद्रीय विश्वविद्यालय नालंदा राजगीर के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो विजयकर्ण, लोयला कॉलेज चेन्नई प्रो. सुमन केएस बेन, गुजरात के बल्लभ विद्यानगर से प्रो. निरंजन पटेल, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो.रंजन कुमार त्रिपाठी, जम्मू के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. मनोज कुमार मिश्र, नागपुर से प्रो मधुसूदन पेन्ना, जेएनयू से प्रो संतोष कुमार शुक्ल उपस्थित रहेंगे. कुलपति प्रो राजेश सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित हो रही अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक कला संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो नंदिता सिंह हैं.


पोस्टर प्रतियोगिता का होगा आयोजन


दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से नाथ पंथ पर आयोजित होने वाली तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में छात्रों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए नाथ पंथ पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता, सांस्कृतिक संध्या और पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन होगा. पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन विश्वविद्यालय स्तर और कॉलेज स्तर पर अलग-अलग किया जाएगा.


अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में पांच प्रमुख क्षेत्रों पर देश-विदेश के विद्वान मंथन करेंगे. इसके अलावा विश्व भर में उपलब्ध नाथपंथ के साहित्य के संकलन और अनुवाद के लिए एक छठे सत्र का भी आयोजन किया जा रहा है. ये सत्र नाथ पंथ में उपलब्ध साहित्य के संकलन और अनुवाद पर केंद्रित होगा. इस सेक्टर में हिंदी और संस्कृत भाषा को छोड़कर भारतीय और विदेशी भाषाओं में उपलब्ध साहित्य के अध्ययन और उनके अनुवाद की संभावनाओं को तलाशने के साथ उन्हें पूरा करने की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाएंगे.


संगोष्ठी में भारतीय प्रायद्वीप के साथ साथ मॉरीशस, नेपाल, तिब्बत, पश्चिम बंगाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में नाथपंथ के प्रभाव पर 40 विद्वान अपने विचार ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में प्रस्तुत करेंगे. आकर्षण का केंद्र में विश्व हिंदी सचिवालय, मारीशस से प्रो. विनोद मिश्र, नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से डा. श्वेता दीप्ति, हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति प्रो. हरमेंद्र सिंह बेदी, जयपुर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कला संकाय, प्रो. नंद किशोर पांडेय, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो.संजीव कुमार दुबे, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलपति प्रो. रामसजन पांडेय होंगे. इस सत्र में विश्वभर में उपलब्ध नाथ पंथ के साहित्य के संकलन और अनुवाद की दिशा में भी काम होगा.


कुलपति होंगे शामिल


काशी हिंदू विश्वविद्यालय से प्रो. मनोज कुमार सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डा. योगेंद्र प्रताप सिंह, जवाहर लाल नेहरू से प्रो. कपिल कपूर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से प्रो. केके सिंह, रेलिजन वर्ल्ड से डा. भव्य श्री, वीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा से डा. विवेक प्रकाश सिंह, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि से डा. चंद्रकांत सिंह, तेजपुर केंद्रीय विवि से प्रो. अनंत कुमार नाथ, पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय शिलांग से प्रो. हितेंद्र मिश्र, असम विश्वविद्यालय से डॉ. सत्यदेव, कल्याणी विश्वविद्यालय के डा. हिमांशु होंगे.


अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक प्रो. नंदिता सिंह ने बताया कि छठवें सत्र के उप-विषय के रूप में भक्ति आंदोलन, नाथ साहित्य और गोरखनाथ, नाथ पंथ और भारतीय संत साहित्य, नाथ पंथ और संस्कृत एवं जनपदीय साहित्य, नेपाल, भूटान एवं अन्य भारतीय प्रायद्वीप में नाथ पंथ, बंगाल एवं पूर्वोत्तर भारत में नाथ पंथ का प्रभाव, नाथ पंथ का अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य निर्धारित किया गया है.


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