Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में छात्र संघ बहाल करने की मांग को लेकर 11 दिन से धरना चल रहा था, जो गुरुवार को खत्म हुआ. यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन पर कुलपति ने 10 दिन के अंदर छात्रसंघ चुनाव कराने का आश्वासन दिया, जिसके बाद 11 दिन से धरने और तीन दिन से भूख हड़ताल पर गए छात्रों ने खुशी के साथ धरना खत्म किया. इसके बाद विश्वविद्यालय के छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई.
बता दें, साल 2016 के बाद से ही दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुआ है. अब अगर छात्रसंघ चुनाव दोबारा शुरू होते हैं तो 6 साल बाद एक बार फिर छात्र नेता वोट मांगते और छात्र-छात्राएं मताधिकार का प्रयोग करते दिखाई देंगे.
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यूनिवर्सिटी के छात्रों को मिला संबद्ध महाविद्यालय के छात्रों का साथ
गौरतलब है कि दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पर पिछले 11 दिन से छात्र संघ चुनाव कराने को लेकर धरना-प्रदर्शन चल रहा था. स्टूडेंट्स छात्र संघ चुनाव कराने की जिद पर अड़े थे. 11 दिन पहले इस धरने में संबद्ध महाविद्यालयों के छात्र भी शामिल होने लगे. एफिलियेडेट कॉलेज के छात्रों ने भी धरने को समर्थन देना शुरू कर दिया. इस बीच सात छात्र तीन दिन पहले भूख हड़ताल पर चले गए. आंदोलन की धार तेज हुई, तो पुलिस और प्रशासनिक अमला भी सक्रिय हो गया.
इस बीच गुरुवार को धरना दे रहे छात्र-छात्राएं मानव श्रृंखला बनाकर विश्वविद्यालय के सामने चक्काजाम करने के लिए बैठे तो मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट अंजनी कुमार सिंह ने उन्हें समझाकर प्रशासनिक भवन में धरने के लिए मनाया. इसके पहले छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर पौने तीन घंटे तक ताला लगाकर आने-जाने पर भी रोक लगा दी थी.
कुलपति ने जूस पिलाकर तुड़वाई भूख हड़ताल
गोरखपुर के सिटी मजिस्ट्रेट अंजनी कुमार सिंह और कैंट इंस्पेक्टर शशिभूषण राय ने धैर्य का परिचय देते हुए छात्रों के आंदोलन को उग्र नहीं होने दिया. इस बीच कुलपति के साथ अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अजय सिंह की वार्ता का सकारात्मक हल निकलता हुआ दिखाई दिया. नतीजा कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के नीचे धरना और भूख हड़ताल पर गए सात छात्रों योगेश प्रताप सिंह, सुंदरम राय, राहुल यादव सत्यम, जतिन मिश्रा, सतीश प्रजापति, उज्जवल सिंह, अंकित पाण्डेय को बारी-बारी से जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया.
इसके बाद छात्रों ने भी खुशी का इजहार किया. कुलपति के आश्वासन पत्र को पढ़कर अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने छात्रों को 10 दिन के अंदर शासन के नियमों के अनुसार उनसे वार्ता के बाद चुनाव कराने के फैसले पर निर्णय लेने के लिए हामी भर दी. छात्र नेताओं ने बताया कि कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की तरफ से रोक लगाई नहीं गई. शासन को पत्र लिखकर भेज दिया गया है. अगर शासन का आदेश आया तो 10 दिन के अंदर चुनाव संपन्न करा लिया जायेगा. छात्र नेता कुलपति के आश्वासन पर भूख हड़ताल समाप्त कर चुके हैं.
गोरखपुर विश्वविद्यालय से निकले कई बड़े नेता
इस बार गोरखपुर विश्वविद्यालय में चुनाव हुए तो 6 साल बाद छात्र संघ एक बार फिर गुलजार दिखाई देगा. इसके साथ ही चुनाव के माहौल के बीच छात्र नेता वोट मांगते हुए नजर आएंगे. सभी छात्र-छात्राओं को भी चुनाव में मताधिकार का अवसर मिलेगा. बता दें, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से 329 महाविद्यालय संबद्ध हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय के साथ महाविद्यालयों में भी चुनाव होने से वहां का भी माहौल बदला हुआ सा नजर आएगा. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में साल 2016 में अंतिम बार चुनाव हुआ था. इसके पहले भी 10 साल तक चुनाव नहीं हुए थे. प्रदेश और देश की राजनीति में गोरखपुर विश्वविद्यालय ने राजनाथ सिंह सरीखे कई बड़े राजनेताओं को राष्ट्रीय राजनीति के शीर्ष तक पहुंचाया है.