गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति बन गए हैं. महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय में इसी सत्र से अध्‍यापन कार्य प्रारम्‍भ हो जाएगा. ये विश्‍वविद्यालय गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नार्सिंग की आधारशिला पर ही खड़ा हुआ है. विश्‍वविद्यालय कार्यसमिति का प्रस्‍तावित प्रारूप भी तैयार कर लिया गया है. 24 जून को कार्य परिषद की पहली बैठक में कई प्रस्‍तावों पर मुहर लगेगी. इस विश्‍वविद्यालय की परिकल्‍पना यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की रही है. ये उनके ड्रीम प्रोजेक्‍ट में रहा है. यहां पर स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े रोजगार परक कार्यक्रम को संचालित किया जाएगा. 
 
2005 में विश्‍वविद्यालय की परिकल्‍पना पर काम शुरू किया गया 
मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने साल 2005 में इस विश्‍वविद्यालय की परिकल्‍पना पर काम करना शुरू कर दिया. इसके बाद इसे मूर्तरूप देने के कार्य को आगे बढ़ाया जाने लगा. इस बीच मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ लगातार दौरा और निरीक्षण कर कार्य की प्रगति की भी जानकारी लेते रहे. अब वे महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय बालापार गोरखपुर के कुलाधिपति बने हैं. उत्तर प्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय अधिनियम जो सरकार ने पास किया है. उसके अनुसार इस विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति गोरक्षपीठाधीश्‍वर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ होंगे.


52 एकड़ जमीन उपलब्‍ध कराई गई है
महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने बताया कि 24 जून को एक्जिक्‍यूटिव काउंसिल की पहली बैठक होने जा रही है. इस विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति महंत योगी आदित्‍यनाथ हैं. डॉ अतुल वाजपेयी कुलपति और डॉ प्रदीप राव को कुलसचिव बनाया गया है. परिसर में गोरक्षपीठ की शै‍क्षणिक संस्था महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा संचालित नर्सिंग कालेज में पहले से ही 600 बच्‍चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बीएएमएस में 150 विद्यार्थियों का प्रवेश इस सत्र में होगा. अगले सत्र से अन्‍य रोजगार परक कोर्स को संचालित किया जाएगा. इस विश्‍वविद्यालय को 52 एकड़ जमीन उपलब्‍ध कराई गई है. इसका बाद में विस्‍तार होगा.


कार्यसमिति का प्रस्तावित प्रारूप भी है तैयार
महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप राव ने बताया कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्‍यक्ष और पूर्व कुलपति प्रो यूपी सिंह को प्रति कुलाधिपति बनाया गया है. इस निजी विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी को बनाया गया है. विश्वविद्यालय के कार्य परिषद की पहली बैठक भी 24 जून को होगी. महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. इस विश्वविद्यालय में इसी सत्र से प्रवेश के साथ अध्यापन कार्य भी शुरू होने वाला है. विश्वविद्यालय कार्यसमिति का प्रस्तावित प्रारूप भी तैयार कर लिया गया है.


कार्यसमिति की पहली बैठक 24 जून को होगी 
गोरखपुर के महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ प्रदीप राव को कुलसचिव नियुक्त किया गया है. डॉक्टर राव ने बताया कि कार्यसमिति में आठ सदस्य हैं. कार्यसमिति की पहली बैठक 24 जून को दोपहर एक बजे से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सभागार में की गई है. शासी निकाय द्वारा नाम निर्दिष्ट प्रख्यात शिक्षा शास्त्री में धर्माचार्य महंत योगी मिथलेशनाथ, रामजन्‍म सिंह पूर्व प्रधानचार्य महाराणा प्रताप इंटर कालेज गोरखपुर, अधिवक्ता प्रमथनाथ मिश्र सम्मिलित हैं.


डॉ राव ने बताया कि इसके अलावा मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर डॉ सीएम सिन्हा एवं डॉ एसएन सिंह को कार्य समिति में स्थान मिला है. राज्य सरकार की ओर से संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा ब्रह्मदेव, विश्वविद्यालय की ओर से गुरु श्री गोरक्षनाथ कालेज आफ नर्सिंग की प्रधानाचार्य डॉ डीएस अजीथा, सह आचार्य के रूप में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय बीएड विभाग की प्रोफेसर शोभा गौड़ सम्मिलित हैं. बैठक की कार्यवृत्त शीघ्र ही सभी सम्मानित सदस्यों को भेज दी जाएगी.


विश्वविद्यालय का भवन बनकर तैयार हो चुका है
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय जिले का तीसरा विश्वविद्यालय बन गया है. इसी साल 22 अप्रैल को राज्यपाल ने प्रदेश में जिन तीन निजी विश्वविद्यालयों के संचालन का अध्यादेश जारी किया है, उसमें गोरखनाथ विश्वविद्यालय भी सम्मिलित है. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 30 से अधिक रोजगार परक पाठ्यक्रमों के संचालन की योजना बनाई है. सदर तहसील के सोनबरसा और सिक्टौर गांव में विश्वविद्यालय का भवन बनकर तैयार हो चुका है.


शोधार्थियों को शोध की सुविधा भी प्रदान की जाएगी
विश्वविद्यालय के लिए खरीदी गई भूमि को विनियमित करने पर पिछले मार्च माह में ही कैबिनेट की बैठक में मुहर लग चुकी है. शासन द्वारा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने विश्वविद्यालय परिसर का मौका मुआयना किया था. जिसमें शासन के मानक पर विवि पूरी तरह खरा पाया गया. करीब 52 एकड़ में अत्याधुनिक संसाधनों के साथ स्थापित होने वाले इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को बाजारोन्मुखी और रोजगार परक पाठ्यक्रमों का विकल्प तो मिलेगा, इसके साथ ही शोधार्थियों को शोध की सुविधा भी प्रदान की जाएगी.


ये हैं कोर्स 
विश्‍वविद्यालय में विद्यार्थी बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस, बीडीएस, एमबीबीएस, बीफार्मा (आयुर्वेद व एलोपैथ), डीफार्मा (आयुर्वेद व एलोपैथ), बीएससी एलटी, बीए/बीएससी यौगिक साइंस, बीएससी एजी, बीए ऑनर्स, बीएससी ऑनर्स (मैथ व बायो), बीएससी कंप्यूटर, बीकॉम, बीएड, बीएससी-बीएड, बीए-बीएड, बीपीएड, पैरा मेडिकल का सर्टिफिकेट, बीसीए, बीबीए, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स, शास्त्री ऑनर्स की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे.


बने विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय
1932 में परिषद की स्थापना के साथ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने पूर्वांचल की शिक्षा व्यवस्था के जिस मॉडल का सपना देखा था, वो गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में आज पूरा हो गया है. हालांकि, 1956 में दिग्विजयनाथ जी के ही प्रयास से गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई थी. लेकिन, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अंतर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना का स्वप्न अब साकार हुआ है. डॉ राव ने कहा कि ये विश्वविद्यालय विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय बने, इसके लिए हम संकल्पित हैं.


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