Guru Purnima 2022: नाथपंथ की सर्वोच्च पीठ गोरक्षपीठ यानी गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath temple) में गुरु पूर्णिमा पर गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वहन सदियों से होता चला आ रहा है. ये पर्व गुरु के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव अर्पित करने का दिन है. गोरखनाथ मंदिर में इस बार गुरु पूर्णिमा पर संत, गणमान्य नागरिक और गोरक्षपीठ से जुड़े 5 हजार लोग आयोजन और सहभोज में सम्मिलित होंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को दोपहर बाद गोरखपुर पहुंचेंगे. बुधवार यानी 13 जुलाई की सुबह गुरु गोरक्षनाथ को ‘रोट’ का प्रसाद चढ़ने के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान भी शुरू हो जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस अवसर पर विशेष पूजन-अर्चन भी करेंगे.
सीएम योगी करेंगे विशेष पूजन-अर्चन
नाथ संप्रदाय की विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ गुरु गोरखनाथ मंदिर परिसर में 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा उत्सव श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. स्मृति भवन सभागार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डेढ़ हजार लोगों को आशीर्वचन देंगे. गुरु पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह 5 बजे से 6 बजे तक गोरक्षनाथ बाबा का विशेष पूजन-अर्चन करेंगे. इस दौरान वे उन्हें रोट का महाप्रसाद चढ़ाएंगे. गुरु गोरक्षनाथ की पूजा-अर्चना के बाद पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पूजा-अर्चना करेंगे. मंदिर में सभी देव-विग्रह और समाधियों पर पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विशेष पूजन करेंगे.
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सीएम देंगे आशीर्वाद
गोरखनाथ मंदिर में 6:30 बजे विशेष आरती होगी. इसके बाद अलग-अलग राज्यों से आए नाथ योगी और संत, महात्मा, गृहस्थ शिष्यों को गोरक्षपीठाधीश्वर आशीर्वाद देंगे. इसके बाद सीएम योगी स्मृति भवन सभागार में मंच पर विराजेंगे. यहां सुबह 10.30 बजे से 11.30 बजे तक भजन-कीर्तन के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिष्यों और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे. अपराह्न 12 बजे से सहभोज शुरू हो जाएगा. गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सहभोज में उपस्थित रहेंगे.
गुरु की महिमा आदिकाल से
सनातन हिन्दू धर्म की गौरवपूर्ण परंपरा में गुरु की महिमा आदिकाल से ही सर्वोच्च रही है. महायोगी गुरु गोरक्षनाथ से लेकर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ तक ने गुरु शिष्य परंपरा को समृद्ध किया है, बल्कि गुरु प्रतिष्ठा के प्रति दूसरों के प्रेरणास्रोत भी बने हैं. नाथ परंपरा के मूल में योग है. योग के मूल में गुरु-शिष्य परंपरा समाहित है. योग पूरी तौर पर व्यावहारिक क्रियाओं पर आधारित है. गुरु के बगैर योग को साधना मुश्किल ही नहीं असंभव है, ऐसे में योग और गुरु परंपरा को एक दूसरे का पूरक कहना गलत नहीं होगा. इस तर्क से नाथ पंथ और गुरु पूर्णिमा का जुड़ाव स्पष्ट हो जाता है. योग की परंपरा को अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए ही नाथ पंथ की स्थापना के समय से ही गुरु-शिष्य परंपरा उससे अनिवार्य रूप से जुड़ी हुई है.