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Gorakhpur के कसरवल कांड केस में गवाही में नहीं हाजिर हुए पुलिसकर्मी, संजय निषाद पर तय हो चुके हैं आरोप
वकील ने बताया, इस मामले में कोर्ट ने सभी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर 10 अक्टूबर को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया. इस मामले में थानाध्यक्ष श्यामलाल यादव और अन्य पुलिसकर्मी हाजिर नहीं हुए.
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Uttar Pradesh News: निषाद आरक्षण को लेकर हुए गोरखपुर (Gorakhpur) के सहजनवां थानाक्षेत्र के कसरवल कांड (Kasarwal case) में 12 अक्टूबर को यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमएलसी डॉ. संजय निषाद (Cabinet Minister Sanjay Nishad) पर हत्या समेत अन्य धाराओं में आरोप तय हो चुका है. इस मामले में सोमवार को थानाध्यक्ष समेत अन्य पुलिसवालों की गवाही होनी थी लेकिन इस घटना में गोली का शिकार हुए सुजीत कुमार की ओर से कोर्ट के माध्यम से हुए केस में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद 10 अक्टूबर को पुलिस को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करना था. उनके हाजिर नहीं होने की वजह से इस मामले में गवाही नहीं हो सकी. इसमें अग्रिम तारीख 21 अक्टूबर लगी है.
क्या आरोप लगाया था
इस मामले में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद ने पुलिसवालों पर गोली चलाने और हत्या का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्हें और उनके समर्थकों को फर्जी मुकदमें में फंसाया गया. विपक्षी पार्टियों ने द्वेषपूर्ण कार्य किया और निषाद समाज के लोगों का शोषण भी किया. उन्हें न्याय मिलेगा. दोषी पुलिसवाले फरार हैं. ऐसे में ये साफ होता है कि वे दोषी हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई होने के बाद वे सरकार से उन्हें बर्खास्त करने की मांग करेंगे.
वकील ने क्या बताया
इस मामले में डा. संजय निषाद की ओर से केस देख रहे दीवानी न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश निषाद की ओर से कमलेश साहनी एडवोकेट ने बताया कि गोरखपुर के सिविल कोर्ट में स्पेशल जज पास्को तीन/एमपी एमएलए नम्रता अग्रवाल की कोर्ट में स्टेट बनाम संजय निषाद के केस में तत्कालीन सहजनवां थानाध्यक्ष श्यामलाल यादव और अन्य पुलिसकर्मियों की गवाही होनी थी लेकिन अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वितीय/एमपीएलए के कोर्ट में गोली का शिकार हुए सुजीत कुमार बनाम एसओ सहजनवां के केस में पुलिसवालों के खिलाफ कोर्ट में तारीख पर हाजिर नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी हो गया. इस मामले में कोर्ट ने सभी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर 10 अक्टूबर को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया. इस मामले में थानाध्यक्ष श्यामलाल यादव और अन्य पुलिसकर्मी हाजिर नहीं हुए.
साहनी ने कहा कि, यही वजह है कि स्टेट बनाम डा. संजय कुमार निषाद के केस में 12 अक्टूबर को डा. संजय निषाद के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में हुए केस में आरोप तय हो गए. इसी मामले में पुलिसवालों की गवाही होनी थी लेकिन इस घटना से जुड़े दूसरे मुकदमें में गैर जमानती वारंट होने की वजह से पुलिस वाले हाजिर नहीं हुए. वे अधिवक्ता के माध्यम से नकल निकलवाकर हाईकोर्ट से जमानत कराने के प्रयास में हैं. इस केस के साथ ही स्टेट बनाम चंद्रिका के केस में 21 अक्टूबर की तारीख कोर्ट ने लगाई है. इस केस के साथ स्टेट बनाम चंद्रिका वगैरह का केस भी इसी कोर्ट में चल रहा है. दोनों ही मामले में तत्कालीन सहजनवां थानाध्यक्ष श्यामलाल यादव की ओर से केस दर्ज किया गया था. इसमें दोनों एफआईआर में दो चार्जशीट लगाई गई थी लेकिन एक ही घटना में केस होने की वजह से दोनों केस एक साथ चल रहे हैं. इसमें एक साथ ट्रायल होगा.
साहनी ने आगे कहा, सुजीत कुमार बनाम एसओ सहजनवां का केस अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वितीय/एमपी-एमएलए के कोर्ट प्रभात कुमार की कोर्ट में चल रहा है. आरपीएफ बस्ती की ओर से दर्ज 174 रेलवे एक्ट के तहत स्टेट बनाम डा. संजय कुमार निषाद के केस में रेलवे ट्रैक को जाम करने और आवागमन बाधित करने के मामले में 18 अक्टूबर की तारीख पड़ी है. स्टेट बनाम चंद्रिका के केस में 37 आंदोलनकारियों को पुलिस ने आरोपी बनाया था. इस केस में तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है. इन सभी को जेल भेजा गया था. इसके अलावा स्टेट बनाम डा. संजय निषाद को भी जेल जाना पड़ा था. इसके बाद जमानत पर वे जेल से बाहर आए.
क्या था पूरा मामला
गोरखपुर के सहजनवां थानाक्षेत्र के कसरवल में 7 जून 2015 को निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) की ओर से डा. संजय निषाद के नेतृत्व में निषाद आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन में इटावा के 21 वर्षीय अखिलेश कुमार निषाद की गोली लगने से मौत हो गई थी. वहीं सुजीत कुमार गोली लगने से घायल हो गया था. इस मामले में पुलिस ने डा. संजय निषाद समेत 37 अन्य लोगों को दो केस में आरोपी बनाया था. इसके अलावा आरपीएफ की ओर से भी आवागमन बाधित करने का केस दर्ज किया था. कसरवल कांड में डॉ. संजय निषाद के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में आरोप तय होने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं.
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