Uttar Pradesh News: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine news) के बाद गोरखपुर (Gorakhpur) लौटे एमबीबीएस स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में लटक गया है. स्टूडेंट्स के साथ उनके माता-पिता भी बच्‍चों के भविष्‍य को लेकर परेशान हैं. वे सरकार (UP government) से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें किसी प्राइवेट कालेज में ही अटैच कर दिया जाए जिससे उनका भविष्य बर्बाद नहीं होने पाए. ऐसे युद्ध के हालात में उनका वहां जाना संभव नहीं है. वहीं वापसी के समय सरकार ने जो वायदा किया था, उसे पूरा करे जिससे उनका भविष्य बर्बाद होने से बच जाए. उनके परिजन भी सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके बच्‍चों का भविष्‍य बर्बाद होने से बचा लें.


भविष्य अंधकार में
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूक्रेन में फंसे एमबीबीएस करने गए स्टूडेंट को किन हालातों का वहां पर सामना करना पड़ा. कई दिन बंकरों और कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर ये स्टूडेंट्स बार्डर तक पहुंचे. इसके बाद भारत सरकार ने उनकी स्वदेश वापसी कराई. इन युद्ध के हालातों के बीच काफी कुछ बर्बाद हुआ. यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में पढ़ने वाले इन स्टूडेंट्स का भविष्य भी बर्बाद हो गया. बम के धमाकों के बीच उठे स्याह काले धुएं के बीच से बचकर लौटने वाले ये स्टूडेंट्स तो सही सलामत घर पहुंच गए लेकिन उनका भविष्य अंधकार में कहीं खो गया. 


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सरकार से की मांग
यूक्रेन जाने वाले स्टूडेंट्स में गोरखपुर के भी कुछ स्टूडेंट्स रहे हैं जिन्हें अब अपने भविष्य की चिंता है. वे सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनका भविष्य बर्बाद होने से बचा लें. देवांशी श्रीवास्तव, मनु शरण श्रीवास्तव और प्रीति गुप्ता  कहती हैं कि उनकी सरकार से मांग है कि सरकार उन्हें प्राइवेट कॉलेज में मर्ज कर दें जिससे उनका भविष्य बर्बाद होने से बच जाए. ऑनलाइन क्लासेज के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज होना भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि वे लोग योगी जी से मिले हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट के डिसीजन का इंतजार करें. उन्होंने कहा कि अब वे लोग इस हालात में वापस यूक्रेन पढ़ाई करने नहीं जाना चाहते हैं.


छात्रा की मां ने क्या कहा
यूक्रेन से लौटी एमबीबीएस स्टूडेंट देवांशी श्रीवास्तव की मां राजविंदर कौर कहती हैं कि, उनकी बेटी यूक्रेन में एमबीबीएस कर रही थीं. युद्ध के हालात में बच्‍चों को निकाला गया, वो काफी कठिन रहा है. उन्होंने कहा कि वे सरकार का इसके लिए धन्यवाद देती हैं. सरकार की ओर से बच्‍चों को कहीं मर्ज करने की बात कही गई थी. 1947 और 1971 के युद्ध के दौरान वापस लौटने वाले स्टूडेंट्स के लिए प्रोविजन रहा है, तो यहां के बच्चों के लिए प्रोविजन नहीं होने की बात क्यों की जा रही है. ये भी तो उसी हालात से निकलकर आए हैं. उन्होंने कहा कि ये सभी बच्चे भी नीट क्वालीफाई हैं. ऐसे में उनके बारे में सरकार सोचे जिससे उनका भविष्य भी बर्बाद होने से बच जाए.


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