UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने गुरुवार को गोरखपुर एम्स (AIIMS) में हाल में बनाए गए ऑडिटोरियम और नेशनल सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च इन टोबैको कंट्रोल (Tobacco Control) का उद्घाटन किया. उन्होंने इस दौरान तंबाकू के सेवन के खतरे पर बात की. सीएम योगी ने कहा कि तंबाकू के सेवन और धूम्रपान से होने वाले नुकसान को सभी जानते हैं. धूम्रपान का हानिकारक असर आसपास रहने वालों को भी होता है. तंबाकू के खतरों से बचाव में डॉक्टरों की बड़ी भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि यूपी में सरकारी कार्यालयों में तंबाकू (Tobacco Ban in Govt Office) के सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कोई इसका उल्लंघन करेगा, तो दंड का भागी बनेगा.
खतरों के बारे में जानते हुए भी करते हैं सेवन - सीएम योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तंबाकू के उत्पादों पर उसके खतरों के बारे में लिखित और चित्रित उल्लेख होने के बावजूद लोग इनका सेवन कर रहे हैं. सीएम योगी ने कहा कि तंबाकू के खतरों से बचाव में डॉक्टरों की बड़ी भूमिका हो सकती है. डॉक्टर उनके यहां आने वाले हर मरीज को इसके प्रति जागरूक कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जो भी मरीज आपके पास आए तो उसे तंबाकू से बचने के लिए प्रेरित करिए. सीएम योगी ने कहा कि तंबाकू किसी प्रकार का हो, खतरनाक होता है. इसके नियंत्रण को लेकर एम्स ने जो अभियान शुरू किया है, उसमें राज्य सरकार अपना पूरा सहयोग देगी.
इसलिए सरकारी कार्य़ालयों में तंबाकू पर लगाया रोक
सीएम योगी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में किसी भी तरह के तंबाकू के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है. कोई इसका उल्लंघन करेगा तो दंड का भागी होगा. उन्होंने पांच साल पहले सचिवालय घूमने के वाकए का जिक्र करते हुए कहा कि सीएम बनने के बाद जब वह पहली बार सचिवालय का जायजा लेने निकले थे तो वहां जगह-जगह गुटखा-पान खाकर थूका हुआ मिला. तभी उन्होंने यह फैसला किया था कि सरकारी कार्यालयों में तंबाकू सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सिर्फ डिग्री हासिल कर लेने से डॉक्टर का काम पूरा नहीं हो जाता. डिग्री हासिल करने के बाद आगे विशाल संभावनाओं वाला क्षेत्र है जहां डॉक्टर समाज हित में बहुत कुछ नया कर सकते हैं.
सीएम योगी ने इस दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए लंबे समय तक अभिशाप बनी रही इंसेफेलाइटिस का जिक्र करते हुए कहा कि 1977-78 में आई इस बीमारी से 40 साल में 50 हजार बच्चों की मौत हो गई. 40 साल में इस पर एक भी रिसर्च पेपर देखने को नहीं मिला. हद तो इस बात की भी रही कि जापान से इंसेफेलाइटिस के लिए वैक्सीन 1906 में बना लिया था लेकिन भारत में यह सौ साल बाद 2006 में उपलब्ध हुई थी. जबकि कोरोना काल में महज नौ महीने में पीएम मोदी के मार्गदर्शन में देश में दो-दो स्वदेशी वैक्सीन तैयार हो गईं. यही नहीं देश मे कोरोना वैक्सीन की दो सौ करोड़ डोज दी जा चुकी है.
सीएम बनने पर इंसेफेलाइटिस कंट्रोल करना थी चुनौती - योगी
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 में जब वह सीएम बने तो उनके सामने इंसेफेलाइटिस को नियंत्रित करने की चुनौती थी. इसके पहले जब वह सांसद थे तो सदन में मुद्दे उठाते थे, सड़कों पर आंदोलन करते थे. उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस पर जारी संघर्ष के कारण ही पीएम मोदी ने गोरखपुर को एम्स दिया था. सीएम ने कहा कि इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएससी-पीएचसी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं तो सुदृढ़ की गईं. इसके साथ ही सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को नोडल बनाकर 9 विभागों को एक साथ जोड़ा. स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, जागरूकता के माध्यम से बचाव पक्ष को भी इलाज जितना ही महत्वपूर्ण माना. समन्वित प्रयासों का परिणाम है कि 4 साल में ही इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95 फीसद तक कमी आ चुकी है.
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