Gorakhpur News: परिवहन विभाग का वर्कशॉप बना तालाब, बसों को निकालने के लिए क्रेन का लेना पड़ रहा सहारा
गोरखपुर (Gorakhpur) में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (Transport Corporation) के वर्कशॉप का खस्ताहाल है. यहां परिसर में बसों के चक्के फंस जा रहे हैं जिन्हें निकालने के लिए क्रेन का सहारा लेना पड़ रहा है.
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UP News: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (UP Road Transport Corporation) भले ही मोटी कमाई कर रहा है लेकिन गोरखपुर (Gorakhpur) के वर्कशॉप का हाल देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. वर्कशॉप परिसर पूरी तरह से तालाब बना हुआ है. जहां बस कंडम हो रही हैं तो वहीं ये तालाब नुमा परिसर बंदरों के लिए स्वीमिंग पूल बना गया है. तालाब बन चुके परिसर में हर रोज चालकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. दलदल हो चुके परिसर में बसों के चक्के फंस जा रहे हैं. उन्हें निकालने के लिए क्रेन का सहारा लेना पड़ रहा है.
क्या बोले अधिकारी?
गोरखपुर में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से संचालित बसों के रेलवे बस स्टेशन के ठीक बगल में वर्कशॉप स्थित है. यहां पर बसों की मरम्मत के साथ डीजल भरने का काम भी होता है. हालांकि एआरएम एके मिश्रा बताते हैं कि वर्कशॉप को राप्तीनगर स्थानांतरित कर दिया गया है. कार्य अंतिम चरण पर है. वहां पर वर्कशॉप बनते ही इस वर्कशॉप को स्थानांतरित कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बस स्टेशन का विस्तार वर्कशॉप को कवर करके कर दिया जाएगा.
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बाहर के जिलों से आती हैं बसें
बताया कि इस परिसर को बस स्टेशन के विस्तार में ले लिया जाएगा. यही वजह है कि कोई भी मरम्मत और नए निर्माण का कार्य यहां पर नहीं किया जाएगा. एआरएम एके मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के 16-17 बस अड्डे पीपीपी मोड में हैं. यहां पर गोरखपुर रोडवेज की 187 बसें हैं. इसके अलावा अनुबंधित और बाहर के जिलों से आने वाली बसें भी यहां पर आती हैं. उन्होंने बताया कि बसों की मरम्मत कराई जाती है. संचालन भी ठीक ढंग से हो रहा है. गड्ढे को पटवाने का काम चल रहा है.
क्या बोले बस चालक?
वहीं संविदा पर तैनात बस चालक चन्द्रभान मौर्या और बाबूलाल चौहान ने बताया कि बसों की हालत खस्ता है. यहां परिसर भी जर्जर हो चुका है. बसों का खड़ा करने की जगह ही नहीं है. परिसर 10-12 साल से तालाब बना हुआ है. जब भी वे लोग बस लेकर आते हैं, वो दलदल बन चुकी मिट्टी में फंस जाती है. यहां पर क्रेन की मदद से उसे निकालना रोज की बात है. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या ये है कि पुरानी हो चुकी बसों का कोई पुरसाहाल लेने वाला नहीं हैं. बसें खराब होती हैं, तो उनका पार्ट भी नहीं मिलता है. ऐसे में बसों का संचालन भी प्रभावित होता है.
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