गोरखपुर: युवा इंजीनियर ने अपने आविष्कार से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. गोरखपुर में रहकर पढ़ाई करने वाले महराजगंज जिले के युवा और प्रतिभावान इंजीनियर राहुल सिंह ने अंतराष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में लगातार तीन बार प्रथम स्थान हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. गोरखपुर के युवा इंजीनियर राहुल सिंह इस बार ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जो किसानों से लेकर जवानों तक के लिए उपयोगी साबित होगा.
बचपन से ही मेधावी हैं राहुल
गोरखपुर के दिव्यनगर एबीसी पब्लिक स्कूल में कक्षा 12वीं के छात्र राहुल सिंह मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय के डिजाइन इनोवेशन एंड इंक्वीवेशन सेंटर में युवा वैज्ञानिक हैं. राहुल मूलरूप से महराजगंज जिले के सिसवा बाजार बीजापार असमन छपरा गांव के रहने वाले हैं. तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे राहुल के पिता संजय सिंह किसान हैं. तो वहीं रासमुनि देवी गृहणी हैं. राहुल बचपन से ही मेधावी हैं.
खास है ये ड्रोन
राहुल ने ड्रोन को महज 80 हजार रुपए की लागत से तैयार किया है. उन्होंने इसका नाम 'लो कास्ट ड्रोन' रखा है. इसकी उपयोगिता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये जहां किसानों के लिए खेत में दवा छिड़काव में उपयोगी साबित होगा. तो वहीं ये ड्रोन बाढ़ और भूस्खलन में फंसे लोगों की जान बचाने के साथ सेना के जवानों की मदद में भी कारगर होगा. ये ड्रोन समुद्र से लेकर नदी तक की गहराई तक नाप सकता है.
किसानों को होगा लाभ
राहुल बताते हैं कि ये ड्रोन 2 किलोग्राम वजन का है. आमतौर पर बाजार में 7 से 8 लाख रुपए के मिलने वाले साधारण ड्रोन से बड़ा है. इसके साथ ही ये ड्रोन गुणों में भी उनसे काफी अलग भी है. किसानों की दवा छिड़काव की समस्या को देखते हुए उन्हें इसे बनाने का विचार आया. वे कहते हैं कि आमतौर पर किसानों को दवा छिड़कने के लिए बड़ा सा 20 लीटर का गैलन पीठ पर लादकर खेतों में दवा छिड़कनी पड़ती है. इससे उन्हें दवा के कारण शरीर पर इंफेक्शन भी हो जाता है. इससे उन्हें परेशानी होती है. इसके साथ ही दवा का छिड़काव भी बराबर नहीं हो पाता है. ऐसे में ड्रोन से दवा के छिड़काव में मात्रा बराबर रहेगी और फसल को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.
जवानों की करेगा मदद
राहुल बताते हैं कि ये ड्रोन किसानों के साथ जवानों तक के लिए उपयोगी है. क्योंकि, सेना इसमें लगे सेंसर की मदद से समुद्र और नदी की गहराई नापने के साथ बाढ़ और भूस्खलन में फंसे लोगों की फोटो को खींचकर लोकेशन पता कर उन तक पहुंच सकती है. इससे भयंकर बाढ़ में फंसे लोगों की जान बचाई जा सकती है. खास ये है कि ये ड्रोन लोगों की फोटो के साथ उनकी लोकेशन और वीडियो को भी बनाकर ड्रोन को संचालित कर रहे अधिकारियों के पास भेज सकता है.
अलग-अलग भाषाओं को समझ सकता है ड्रोन
ये ड्रोन रिमोट सिस्टम से संचालित होता है. इसके साथ ही इसकी सबसे खास बात ये है कि ये अलग-अलग भाषाओं को भी समझ सकता है. रिमोट सिस्टम से संचालित होने वाले ड्रोन को वायस सिस्टम से भी कनेक्ट किया गया है. जिससे किसानों को इसे संचालित करने में दिक्कत नहीं होने पाए. क्योंकि, किसान आमतौर पर ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं. ऐसे में किसान हिन्दी और भोजपुरी भाषा में ड्रोन को निर्देश देंगे, तो वो स्टार्ट होने के साथ अपने काम को भी बखूबी अंजाम देगा. अधिक संख्या में तैयार करने पर इसकी लागत 80 हजार से भी काफी कम हो जाएगी.
नए आविष्कार में लगे हैं राहुल
युवा इंजीनियर 12वीं में पढ़ने वाले 16 वर्षीय राहुल सिंह इसके पहले भी बैटरी से चलने और खुद से चार्ज होने वाली बाइक, बैटरी से चलने वाला और खुद से चार्ज होने वाला ट्रैक्टर और रोटी मेकर बनाकर लगातार तीन वर्ष से अंतरराष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम स्थान प्राप्त कर रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर अलग पहचान बनाई है. इसके साथ ही वे लगातार नए आविष्कार और नवाचार में लगे हुए हैं.
ये भी पढ़ें: