गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध का केन्द्र बनेगा. देश और विदेश के शोधार्थी नाथ पंथ और गुरु श्रीगोरखनाथ पर शोध कर जानकारी जुटा सकेंगे. इसके साथ ही नाथ पंथ के विस्तार, दर्शन और भौगोलिक पारिस्थितिकीय और अन्य विषयों पर भी विद्यार्थी परास्नातक के साथ छह माह का डिप्लोमा कोर्स कर सकेंगे. नाथ पंथ पर शोध को आगे बढ़ाने और इनके देश और विदेश में स्थल, योग और दर्शन के विस्तार के बारे में जानकारी जुटाने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से रूस, अमेरिका, स्पेन और नेपाल में गोरक्षनाथ शोध केन्द्र स्थापित करने की योजना बनाई है.
नाथ पंथ का विस्तार काफी अधिक है
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से ‘नाथ पंथ का वैश्विक प्रदेय’ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. इसमें देश और विदेश के कई विद्वान और प्रोफेसर आनलाइन और प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हुए. इसमें एक बात निकल कर सामने आई कि अभी तक हम नाथ पंथ की जड़ों को गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र से जुड़े होने के बारे में जानते रहे हैं. लेकिन, नाथ पंथ का विस्तार काफी अधिक है.
अलग-अलग जाति और धर्म के लोग देश और विदेश में रहते हैं. इसके साथ ही नाथ पंथ और बाबा गोरक्षनाथ की पीठ, मठ, मंदिर, धूना और गुफाएं भी देश के कई राज्यों सहित विदेशों में भी हैं. नेपाल में ही नाथ पंथ के मानने वाले काफी अधिक संख्या में हैं. उन्होंने बताया कि साल 2018 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ की स्थापना हुई. इसका भवन निर्माणाधीन है. उन्होंने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित शोधपीठ को केन्द्र में रखते हुए रूस, अमेरिका, स्पेन और नेपाल में भी गोरक्षनाथ शोध केन्द्र स्थापित किया जाएगा.
केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी फेलोशिप
उन्होंने बताया कि इससे अधिक से अधिक संख्या में शोधार्थी नाथ पंथ के बारे में जान सकेंगे. इसके माध्यम से शोध करने वाले शोधार्थियों को केन्द्र सरकार की ओर से फेलोशिप भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में परास्नातक स्तर पर चार नए कोर्स शुरू कर रहा है. दर्शन, भूगोल, हिन्दी और योगा में ये पाठ्यक्रम चलेंगे. हर कोर्स के साथ छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स कर सकेंगे. नई शिक्षा नीति के आधार ये सर्टिफिकेट कोर्स करना होगा.
इसमें नाथ पंर्थ के दर्शन, नाथ सर्किट के टूरिज्म स्थल, हठ योग पर कोर्स संचालित होगा. आंतरिक स्रोत से ढाई करोड़ रुपए जुटाएं हैं. हमारा सेंटर फलोशिप से चलेगा. चार पीएचडी और चार पीडीएफ दे रहे हैं. जो नाथ पंथ पर ही आधारित होगा. भारत और विदेश के छात्र भी यहां पर आकर छह माह का कोर्स कर सकते हैं. इसके अलावा नाथ संप्रदाय पर विश्वकोष तैयार किया गया है. कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने नाथ पंथ पर अंग्रेजी में एक किताब भी लिखी है. जिसका विमोचन सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया है.
इंरनेशनल सेल को सौंपी गई जिम्मेदारी
कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि, कार्ययोजना तैयार करके केंद्र की स्थापना करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेल को सौंपी गई है. इसके बाद इंटरनेशनल सेल उनके मार्गदर्शन में इस बाबत प्रस्ताव तैयार करने में जुट गया है. इन शोध केंद्रों से पीएचडी और पोस्ट डाक्टोरल करने वाले शोधार्थियों को फेलोशिप देने की योजना भी विश्वविद्यालय ने बनायी है, जिससे शोधार्थियों को शोध के दौरान आर्थिक दिक्कत का सामना न करना पड़े. इन शोध केद्रों के माध्यम से नाथपंथ के अंतरराष्ट्रीय प्रसार पर नए तथ्य लोगों के सामने लाने की विश्वविद्यालय प्रशासन की योजना है. इन केंद्रों से समय-समय पर आनलाइन और आफलाइन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाएगा.
एक दर्जन से अधिक डिग्री-डिप्लोमा कोर्स
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नाथपंथ पर एक दर्जन से अधिक डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का फैसला भी किया है. यह कोर्स योग, दर्शनशास्त्र, हिन्दी और भूगोल विभाग के दायरे में संचालित किए जाएंगे. कोर्स का प्रारूप बनाने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों को सौंप दी गई है. आठ अप्रैल को प्रस्तावित एकेडमिक काउंसिल की बैठक में विभागों द्वारा तैयार किए गए प्रस्तावों को रखा जाएगा. एकेडमिक काउंसिल की स्वीकृति मिलने के बाद प्रस्ताव पर कार्य परिषद की संस्तुति भी ली जाएगी. अगले सत्र से सभी कोर्सों को शुरू करने की विश्वविद्यालय की योजना है.
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