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Budget 2020: नौकरीपेशा लोगों के लिए बुरी खबर, पीएफ में जमा पैसों पर भी लग सकता है टैक्स!
इन योजनाओं में निवेश पूरी तरह टैक्स फ्री था और इसकी कोई सीमा भी नहीं थी। सिर्फ यह सीमा थी कि नियोक्ता कर्मचारी के सीटीसी वेतन के 12 फीसदी के बराबर पीएफ में योगदान करेगा।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया। इस बजट में उन्होंने नौकरीपेशा लोगों के लिए कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने बड़ी राहत देते हुए टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए। हालांकि इस बजट में नौकरीपेशा लोगों के लिए झटके वाली खबर भी है। जी हां, दरअसल, अब टैक्स छूट के लिहाज से ईपीएफ, एनपीएस जैसे साधनों में निवेश की सीमा तय कर दी गई है जिसकी वजह से इन पर भी टैक्स लग सकता है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि टैक्स छूट के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), नेंशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और सुपरएनुएशन यानी रिटायरमेंट फंड में निवेश की संयुक्त ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तक कर दी है। बतादें कि अभी इन तीनों में टैक्स छूट का फायदा मिलता है। बजट डॉक्यूमेंट में कहा गया है, 'यह प्रस्ताव किया जाता है कि एक साल में कर्मचारी के खाते में नियोक्ता द्वारा भविष्य निधि, सुपरएनुएशन फंड और एनपीएस में निवेश की ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तय किया जाए.'
पहले टैक्स फ्री था निवेश इससे पहले इन योजनाओं में निवेश पूरी तरह टैक्स फ्री था और इसकी कोई सीमा भी नहीं थी। सिर्फ यह सीमा थी कि नियोक्ता कर्मचारी के सीटीसी वेतन के 12 फीसदी के बराबर पीएफ में योगदान करेगा।
नई कर व्यवस्था में सालाना 5 लाख से 7.5 लाख रुपए तक की आय पर अब 20 प्रतिशत की बजाय 10 प्रतिशत टैक्स लगेगा। लेकिन प्रस्तावित वैकल्पिक नए आयकर ढांचे के मुताबिक, इसे चुनने वाले करदाताओं को आयकर कानून की धारा 80सी और 80डी, यात्रा भत्ता और आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाले कर का लाभ और कटौती उपलब्ध नहीं होगी। नई व्यवस्था में ऐसी करीब 70 रियायतों को खत्म कर दिया गया है। अब करदाताओं को केवल 30 पर ही छूट का मौका मिलेगा।
एक्सपर्ट्स की मानें तो, पुराने विकल्प में 12.05 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री हो सकती है, जबकि नए स्लैब के मुताबिक मुताबिक 1 लाख 20 हजार 640 का टैक्स देना पड़ेगा। दरअसल, नई व्यवस्था में करीब 100 में से 70 डिडक्शन घटा दिए गए हैं।
कौन-कौन से प्रमुख रियातों को खत्म किया गया? दो बच्चों की ट्यूशन फीस, हाउस रेंट, लीव ट्रैवल अलाउंस, अलाउंस फॉर इनकम ऑफ माइनर, 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80सी (लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, प्रोविडेंट फंड, एनपीएस), 80सीसीसी (पेंशन फंड में योगदान), 80डी (हेल्थ इंश्योरेंस), 80ई (हायर एजुकेशन के लोन पर ब्याज का भुगतान), 80ईई (हाउस लोन पर ब्याज का भुगतान), 80ईईबी (इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीदने पर डिडक्शन), 80जी (डोनेशन)।
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