हाल ही में पूर्वांचल विद्युत निगम के निजीकरण को लेकर जमकर बवाल हुआ. बिजली कर्मियों के दो दिन के कार्य बहिष्कार के बाद सरकार ने फिलहाल निजीकरण का फैसला वापस ले लिया. लेकिन साथ ही समझौते में ये शामिल किया कि 15 जनवरी तक हर महीने विद्युत क्षेत्र में सुधार की समीक्षा होगी.
जूनियर इंजीनियर संगठन के अध्यक्ष जीवी पटेल ने बताया, "समझौते के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने वर्तमान व्यवस्था में सुधार के लिए पहल की है. संघर्ष समिति ने केन्द्र एवं डिस्कॉम स्तर पर सुधार समिति का गठन किया है. ये समितियां क्षेत्रीय अधिकारियों से व्यापक विचार-विमर्श कर अपने सुझाव पेश करेंगी. राजस्व वसूली में वृद्धि, बेहतर उपभोक्ता सेवा, तकनीकी आवश्यकताओं एवं आवश्यक सुधारों के संबंध में प्रत्येक डिस्कॉम मुख्यालयों पर विद्युत वितरण कम्पनियों की वर्तमान व्यवस्था में ही ‘सुधार संगोष्ठी’ का आयोजन किया जायेगा."
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि बिजली कर्मी सिर्फ सुधार पर ही ध्यान नहीं दे रहे, बल्कि पहले से काम कर रही निजी कंपनियों की खामियां भी सामने ला रहे हैं, जिससे सरकार को विश्वास दिला सकें कि निजीकरण विकल्प नहीं हो सकता. यूपी राज्य विद्यु उपभोक्ता परिषद ने NPCL और टोरंट पावर पर करार की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इसका बाकायदा ऊर्जा मंत्री को करार की शर्तों के उल्लंघन संबंधी दस्तावेज सौंपे गए हैं. जिसके बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष से करार की शर्तों के उल्लंघन का ब्यौरा तलब किया है. अवधेश वर्मा ने बताया की टोरंट कंपनी 2200 करोड़ रुपये और रेगुलेटरी सरचार्ज दबाए बैठी है. महंगी बिजली खरीदकर टोरंट को देने से कारपोरेशन को 9 साल में 1350 करोड़ के नुकसान का दावा किया. उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि दोनों कंपनियों से करार खत्म किया जाए.