Grater Noida News: दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-1 लागू होने के बाद नियमो को सख्ती से लागू कराने की बात कही जा रही है लेकिन नोएडा ग्रेटर नोएडा में रियल्टी ये है कि सड़कों के किनारे डस्ट और मिट्टी के ढेर नजर आ रहे हैं. जो हवा के साथ उड़कर प्रदूषण को बढ़ाने का काम कर रहे है. यहां पर न तो पानी का छिड़काव होता हुआ नजर आ रहा और न ही इन्हें ढकने की कोशिश की गई है.
आपको बता दे बिल्डरों की संस्था क्रेडाई (Confederation of Real Estate Developers Association of India) ने भी दिल्ली एनसीआर में बिल्डरों से अपील की है कि वो अपने 500 मीटर से अधिकार निर्माणाधीन साइट पर एंटी स्मॉग गन जरूर रखें ताकि समय समय पर पानी का छिड़काव कर डस्ट को उड़ने से रोका जा सके. वैसे तो नोएडा ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों कि अधिकांश साइट पर कार्य बंद है लेकिन जहां पर कार्य चल रहा वहा कुछ जगहों पर एंटी स्मॉग गन तैनात मिली तो कुछ जगहों पर नहीं मिली.
निर्माणाधीन साइट पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य
हालांकि एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान पॉल्यूशन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा ने कहा कि, 500 मीटर से बड़ी निर्माणाधीन साइट पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य है. साथ ही खुले में तंदूर लगाने पर भी रोक लगाई गई है. इतना ही नहीं वाहनों से निकलने वाले धुएं के बाद अगर नोएडा ग्रेटर नोएडा में सबसे ज्यादा पॉल्यूशन किसी से होता है तो वो डस्ट से क्यो की हवा के साथ डस्ट उड़कर प्रदूषण को और बढ़ाने का काम करती है.
पॉल्यूशन विभाग के अधिकारियों की माने तो सबसे ज्यादा डस्ट नोएडा एक्सटेशन में उड़ती है. पॉल्यूशन विभाग ने पूरे जिले में करीब 30 से अधिक स्पॉट भी चिन्हित किए है. जहां वो निगरानी भी करते है लेकिन जब पॉल्यूशन सड़कों के किनारे पड़ी डस्ट के उड़ने से होता है. तो इनकी रोकथाम के लिए जिम्मेदार विभाग कोई ठोस कदम उठा रहे है या नहीं जब इसकी पड़ताल की तो तस्वीरे बिल्कुल अलग नजर आईं.
हमारी टीम कई जगह गई जहा डस्ट और मिट्टी सड़क किनारे पड़ी हुई नजर आईं लेकिन न वहा पर पानी का छिड़काव किया जा रहा था और न उन्हें ढका गया था. यही डस्ट हवा के साथ उड़कर पॉल्यूशन के स्तर को बढ़ाती है जिसकी वजह से बुजुर्ग बच्चों और जो अस्थमा के मरीज हैं उन्हें काफी दिक्कत होती है.
ये भी पढ़ें: