ग्रेटर नोएडा, एबीपी गंगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का उल्लंघन करने वाले 14 बिल्डरों पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जानकारी प्राधिकरण के ACEO दीपचंद जी ने दी है।


ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण  के एसीईओ दीपचंद ने बताया कि एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के मुताबिक हाउसिंग द्वारा खुद निर्मित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में शोधन के बाद ही पानी को नाली में डालने का प्रावधान है। लेकिन, अधिकतर बिल्डर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इससे उत्सर्जित सीवरेज की जांच भी कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जिन बिल्डरों पर दो-दो लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया है।


इसमें मेसर्स सुपरटेक ईकोविलेज-2 सेक्टर-16 बी ग्रेटर नोएडा, गौड़ सिटी मेन गेट सेक्टर-16सी ताज हाईवे, पंचशील हायनिश जीएच-8बी सेक्टर-1, मेसर्स एसीई एसपायर जीएच-2 टेक जोन-4, अरिहंत आर्डेन जीएच-07 सेक्टर-1, मेसर्स सुपरटेक ईको विलेज-1 गेट नंबर-3 जीएच-8 सेक्टर-1, मेसर्स आरसिटी रिजेंसी सेक्टर-16सी, मेसर्स गौड़ सिटी 10वां एवेन्यू सेक्टर-16सी, मेसर्स पंचशील ग्रीन सेक्टर-16सी, मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड जीएच-01ए सेक्टर-1, मेसर्स ओमकार नेस्ट प्राइवेट लिमिटेड जीएच-08बी सेक्टर-टेकजोन-4, मेसर्स स्टारलैंड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड सेक्टर-टेकजोन-4, मेसर्स गौड़ संस प्रमोटर्स प्रा. लि. सेक्टर-16सी और मेसर्स अजय एंटरप्राइज प्रा. लि. जीएच-1 सेक्टर-2 शामिल हैं।



एसीईओ ने बताया कि नियमानुसार पहली बार दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसकी दोबारा पुनरावृत्ति करने पर 05 और तीसरी बार 10 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा। यदि इसके बाद भी बिल्डर ने नियमो का उल्लंघन जारी रखा तो लीज डीड की शर्तों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक संपत्ति, स्कूल या गांव के निजी आवासीय भवनों में इस प्रकार के काम करने पर पहली बार 2000 रुपये, दूसरी बार पांच हजार और तीसरी बार 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।