ग्रेटर नोएडाः अवैध था जेपी ग्रीन्स सोसायटी में कोरोना टीकाकरण के नाम पर लगाया गया कैंप, FIR दर्ज
जेपी ग्रीन्स सोसायटी में कोरोना टीकाकरण के नाम पर जो कैंप लगाया गया था वो अवैध था. सीएमओ डॉ दीपक ओहरी ने बताया कि 187 लोगों का टीकाकरण होने की बात सामने आई है. लेकिन, वॉयल असली थे या उनमें पानी भरा था, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.
नोएडा: ग्रेटर नोएडा के जेपी ग्रीन्स सोसायटी में कोरोना टीकाकरण के नाम पर जो कैंप लगाया गया था वो पूरी तरह अवैध साबित हुआ है. सीएमओ की शिकायत पर 5 नामजद और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. सीएमओ, एसडीएम और एसीपी की संयुक्त जांच टीम ने जांच में पाया कि मई के अंतिम सप्ताह में लगे टीकों की वॉयल का बैच नंबर अलीगढ़ के नाम पर अलॉट था. सीएमओ डॉ दीपक ओहरी ने बताया कि 187 लोगों का टीकाकरण होने की बात सामने आई है. लेकिन, वॉयल असली थे या उनमें पानी भरा था, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. क्योंकि, जिस वॉयल को टीका लगाने के बाद तीन दिनों तक बचाकर रखनी जरूरी होता है उन्हें नष्ट कर दिया गया था.
एफआईआर दर्ज
फिलहाल जांच टीम ने जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है. अब आगे की कार्रवाई जिला और शासन से होगी. वहीं, जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएमओ ने महामारी अधिनियम के तहत ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाने में एफआईआर दर्ज करा दी है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मानें तो वैक्सीनेशन का जो सर्टिफिकेट लाभार्थियों को दिया गया है वो अलीगढ़ का है. इसलिए, अलीगढ़ प्रशासन को भी इस बात की जानकारी दे दी गई है. वो भी अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं.
कड़ी कार्रवाई की जाएगी
पुलिस अधिकारियों की मानें तो चिकित्सा अधिकारी की शिकायत पर जेपी ग्रींस सोसायटी के पांच नामजद लोगों और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है, जल्द ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में जिन्हें वैक्सीन लगी है उनको जो सर्टिफिकेट दिया गया है वो अलीगढ़ पीएचसी का है जिससे ये साफ होता है कि वैक्सीनेशन कैंप में कहीं ना कहीं अलीगढ़ स्वास्थ्य महकमा शामिल है. फिलहाल, नोएडा पुलिस का साफ कहना है कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
असमंजस में हैं लाभार्थी
एबीपी गंगा की टीम ने जेपी ग्रीन्स सोसायटी के लोगों से भी बात करने की कोशिश की लेकिन कैमरे पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ. लेकिन, बिना कैमरे के कुछ लाभार्थियों ने ये जरूर कहा कि अब वो इस असमंजस में हैं कि उन्हें वैक्सीन लगी है या नहीं. क्योंकि, सीएमओ ने जांच के दौरान सभी लाभार्थियों से साफ कह दिया कि उन्हें वैक्सीन लगी है या पानी लगाया गया है ये स्पष्ट तभी हो सकता है जब वैक्सीन की वॉयल उन्हें मिलती.
जिला प्रशासन को खबर तक नहीं हुई
इस घटना के बाद एक सवाल जिला प्रशासन पर भी खड़ा होता है कि आखिरकार अलीगढ़ से टीम आकर के जिले में 2 दिन वैक्सीनेशन कैंप लगाकर 187 लोगों को टीकाकरण कैसे कर सकती है. जिला प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं होती है. कुछ दिन बीत जाने के बाद जो सर्टिफिकेट लाभार्थियों को मिलता है तो सवाल खड़ा होता है कि टीकाकरण हुआ गौतम बुद्ध नगर में और सर्टिफिकेट मिला अलीगढ़ का.
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