Greater Noida Cyber Police: साइबर हेल्पलाइन मुख्यालय गौतम बुद्ध नगर और बिसरख थाना टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी करते हुए शातिर ठगों के गिरोह का खुलासा किया. इस दौरान चार शातिर ठगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने ठगों के कब्जे से 4 डेस्कटॉप, 3 लैपटॉप, 9 स्मार्ट मोबाइल फोन, 14 कीपैड फोन, दो प्रिंटर और कॉलिंग डाटा बरामद किया. यह लोग एक ऑफिस बनाकर वहीं से लोगों को लोन देने के नाम पर ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम दे रहे थे. अभी इस गिरोह का 2 सदस्य फरार है.
यह शातिर ठग आम लोगों को कॉल करते थे, उसके बाद उन्हें अपनी बातों में फंसाते थे और धानी ऐप से खुद को बता कर मिनटों में लोन देने की बात करते थे. उसके बाद फाइल चार्ज के नाम पर उन लोगों से 30 से 35000 तक जिस हिसाब का उनका लोन होता था, ऐसे पैसे डॉक्यूमेंट के साथ मंगवा लेते थे. इस दौरान यह लोगों को 5 लाख से लेकर 20 लाख तक का लोन देने की बात कहते थे.
आरोपियों के कब्जे से क्या मिला?
इसी तरह की शिकायत मिलने के बाद साइबर हेल्पलाइन गौतमबुद्ध नगर की टीम इस गिरोह की तलाश में जुट गई. पुलिस को पता चला कि बिसरख थाना क्षेत्र के गौर सिटी सेंटर के छठे फ्लोर पर इन लोगों के द्वारा ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. इसके बाद साइबर टीम और बिसरख थाना पुलिस मौके पर पहुंची और उन्होंने वहां से 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने इस दौरान बिहार निवासी अश्वनी, एटा निवासी बॉबी, बरेली निवासी मोहित और बिहार निवासी पवन को गिरफ्तार किया. आरोपियों के कब्जे से लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य सामान बरामद किया गया. एक महिला और एक पुरुष इस गिरोह के दोनों सदस्य अभी भी फरार चल रहे हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है.
लोग देने के बहाने करते थे ठगी
यह लोग पिछले एक वर्ष से इस तरह के गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं और हजारों लोगों को अपने ठगी का निशाना बना चुके हैं. यह अब तक करोड़ों रुपये की ठगी की घटना को अंजाम दे चुके हैं. पुलिस का कहना है कि अभी इनके पूरे डाटा को खंगाला जा रहा है. उसके बाद ही पता चल पाएगा कि इन्होंने कितने करोड़ रुपये की ठगी की है. एडिशनल डीसीपी विशाल पांडे ने बताया कि इस गिरोह के द्वारा जनता के साथ फोन पर धानी कंपनी के प्रतिनिधि बनकर कॉल कर और लोन की आवश्यकता वाले लोगों को सस्ती दरों पर पर्सनल लोन/होम लोन/बिजनेस लोन आदि का लालच देते थे. इसके बाद फाइल चार्ज, वेरिफिकेशन फीस, लीगल चार्ज आदि के नाम पर बैंक खातों में रुपये डलवा लेते थे. उसके बाद फोन उठाना बंद कर देते थे और अपने नंबर बंद कर लिया करते थे.
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