Greater Noida Girls Hostel: ग्रेटर नोएडा के कुमारी मायावती गवर्नमेंट गर्ल्स पॉलिटेक्निक कॉलेज में 172 लड़कियों के हॉस्टल छोड़ने की घटना काफी विवादों में रही थी, जिसके बाद कॉलेज प्रशासन की ओर से सख्त कदम उठाए गए हैं. इसके तहत जहां कैंपस में लाइटिंग की बेहतर व्यवस्था की गई है तो वहीं परिसर के चारों ओर दीवारों फेंसिंग कर दी गई है. इसके साथ ही झाड़ियों को हटा दिया गया है. कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि इस मामले में जबरदस्ती डर फैलाया गया था. 


पिछले दिनों बादलपुर में स्थित मायावती पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों ने रात में अनजान लोगों द्वारा उनके दरवाजे खटखटाने और कमरे में झांकने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद डर की वजह से हॉस्टल में रहने वाली 187 में से 172 लड़कियां वापस घर लौट गईं थी. इस मामले को लेकर काफी बवाल भी देखने को मिला था. 


कॉलेज प्रशासन ने उठाया कदम
इस पूरे मामले पर एबीपी न्यूज़ ने कॉलेज के प्रिसिंपल श्याम नारायण सिंह से बात की उन्होंने इस घटना को उकसावे और जबरदस्ती डर फैलाने वाला बताया. उन्होंने कहा कि लड़कियों के डर को दूर करने के लिए प्रशासन ने कैंपस में लगी झाड़ियों को हटवा दिया है. सीसीटीवी कैमरे और पोल लाइट की संख्या बढ़ा दी है. आगे भी लड़कियों के डर को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कॉलेज द्वारा उठाए गए कदमों के बाद 172 में से 40 से 50 लड़कियां वापस भी लौट आईं हैं और वो खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. 


इस बारे में जब लड़कियों से बात की गई ओर फ़र्स्ट ईयर की छात्रा ने बताया कि हमें ज़बरदस्ती डराया गया था. जिसके चलते वो घर चले गए. कुछ लड़कियां लगातार कह रही थी कि कोई 1 हफ्ते से दरवाजा खटखटा रहा है. ड्रोन उड़ रहे हैं. कुछ लड़कियों ने कहा कि ये संभव नहीं है कि कोई हॉस्टल की दीवार फांदकर आ जाए. अगर कोई आ जाएगा तो वापस नहीं जा पाएगा. उन्होंने कहा कि कैंपस में लाइटिंग, फेंसिंग और सीसीटीवी कैमरे लगने के बाद वो सुरक्षित महसूस कर रही हैं. 


कॉलेज प्रिंसिपल ने कहा कि इस घटना को लेकर बताया कि जिस दिन घटना हुई उस दिन गार्ड नहीं थे और 187 में से सिर्फ 6 ही बच्चे हॉस्टल में बचे थे. पूरी घटना सिर्फ उकसावे की वजह से हुई. उस दिन बच्चे बात ही नहीं सुन रहे थे. बच्चों के डर को खत्म करने की पूरी कोशिश की गयी है अब बच्चे खुद वापस हॉस्टल आ रहे हैं और कुछ त्योहार बाद वापस आ जाएंगे. हालांकि इन तमाम बातों के बीच सवाल ये भी उठ रहे हैं कि अगर समय रहते छात्राओं के डर को दूर कर दिया जाता तो ये हालात ही नहीं बनते. 


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