Greater Noida News Today: ग्रेटर नोएडा के दादरी थाना पुलिस ने फर्जी लोन और क्रेडिट कार्ड दिलाने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस मामले में दो जालसाजों गोविंद और विशाल को गिरफ्तार किया है. इस गिरोह में एक महिला बैंक मैनेजर भी शामिल है, जो फिलहाल फरार है.
यह गैंग ने अब तक 15 से 20 करोड़ रुपये की ठगी की वारदात को अंजाम दे चुका है. बीते 7 अक्टूबर को पुलिस ने अमित राठौर नाम के युवक की हत्या का खुलासा किया था. पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि डेढ़ करोड़ रुपए के विवाद में उसके ही कुछ साथियों ने उसकी हत्या की थी.
आरोपियों के पास से बरामद हुई ये चीजें
इस हत्या की जांच के दौरान ही पुलिस को ये भी पता चला कि अमित और उसके साथी फर्जी लोन और क्रेडिट कार्ड दिलाने का धंधा चला रहे हैं. बुधवार (16 अक्टूबर) को पुलिस ने पूरे गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनकी पहचान गोविंद और विशाल के रुप में हुई है.
गिरोह में एक महिला भी शामिल है, जो दिल्ली के एक निजी बैंक में मैनेजर है.पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 206 डेबिट और क्रेडिट कार्ड, 58 पासबुक, 40 आधार कार्ड, 40 पैन कार्ड, 70 चेक बुक, 6 स्वाइप मशीन, 30 मोबाइल फोन बरामद किया है. इसके अलावा दो कीपैड मोबाइल फोन और एक टाटा हैरियर गाड़ी भी बरामद की है.
लोन दिलाने के नाम करते थे फ्रॉड
डीसीपी साद मिया खान ने बताया कि मृतक अमित, रामानन्द उर्फ रमेश, सचिन तंवर, अनुज यादव, हिमांशु , ओमप्रकाश, गोविंद, विशाल और उसकी पत्नी नेहा जो एक बैंक में मैनेजर है, इस गिरोह में शामिल हैं. यह सब लोग एक कंपनी बनाकर फर्जी तरीके से लोन दिलाने का काम करते थे.
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि आधार कार्ड और रेंट एग्रीमेंट पर फर्जी तरीके से नाम, पता और मोबाइल नंबर बदलकर कंपनी मेफर्स फैशन प्राइवेट लिमिटेड की पे स्लिप के आधार पर बैंक में खाता खुलवाते थे. इसके बाद उसमें 6 से 9 महीने तक सैलरी के नाम पर एक मोटी रकम ट्रांसफर करते थे.
आरोपियों ने बताया कि जिस व्यक्ति के नाम पर लोन कराया जाता था, उसके नाम पर एक नया मोबाइल सिम भी खरीदा जाता था. इसी नंबर को बैंक में अपडेट कर दिया जाता था. मोबाइल और सिम भी यह लोग अपने पास रखते थे. सिविल स्कोर बढ़ने पर पे स्लिप के आधार पर ये लोग बैंक से 40 से 50 लाख रुपये का लोन और दो-तीन लाख रुपये की लिमिट का क्रेडिट कार्ड जारी करवा लेते थे.
क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते में आए लोन के रुपयों का एक्सेस खुद रखते थे. यह लोग जिस व्यक्ति के नाम पर क्रेडिट कार्ड और लोन जारी करवाते थे, उसे 40 से 50 हजार रुपये और किसी को एक लाख रुपये तक भी दे देते थे. बाकी पैसे का यह लोग खुद इस्तेमाल करते थे.
पुलिस ने क्या कहा?
इस गिरोह के फर्जीवाड़े का खुलास करते हुए डीसीपी साद मिया ने बताया कि यह लोग लोन और क्रेडिट कार्ड की दो से तीन ईएमआई जमा करते थे. उसके बाद एड्रेस चेंज कर देते थे, दो से तीन महीने बाद जब ईएमआई जमा नहीं होती थी तो बैंक वाले दिए गए पते पर संपर्क करते थे.
डीसीपी साद मिया खान के मुताबिक, एड्रेस फर्जी होने के कारण बैंक के लोगों को मौके पर कोई नहीं मिलता था और मोबाइल नंबर पर भी संपर्क नहीं होता था. उन्होंने बताया कि लोन करने पर जो रुपए बचते थे, उसे मृतक अमित कुमार इन सब लोगों में उनके काम के हिसाब से बांट देता था. एक व्यक्ति का लोन पास होने पर इन लोगों को कमीशन के नाम पर लगभग 4 से 5 लाख रुपये मिलते थे.
हत्या की जांच से हुआ खुलासा
गौरतलब है कि 6 अक्टूबर को पैसे के लेनदेन को लेकर ही अमित राठौर की उसके दोस्तों के जरिये हत्या कर दी गई थी. पुलिस इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इस हत्याकांड की जांच के दौरान पूरे मामले का खुलासा हुआ है.
पुलिस ने बुधवार को दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अभी इस मामले में एक महिला बैंक मैनेजर फरार चल रही है, जबकि हत्या के मामले में एक और आरोपी फरार चल रहा है. जिसकी पुलिस तलाश कर रही है.
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