ब्लैक फंगस पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को मिली जीत, रेट्रो बलबर तकनीक से बचाई संक्रमितों की आंखें
कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में रेट्रो बलबर तकनीक से ब्लैक फंगस का इलाज किया गया है. जिसके जरिए यहां भर्ती ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों की आंखों को बचाया गया है.
कानपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने ब्लैक फंगस के मामलों में बेहतरीन काम किया है. यहां पर भर्ती हुए 84 मरीजों में केवल छह की आंखें निकाली गयी. बाकी सभी को इन्जेक्शन के जरिए ठीक कर लिया गया. इनमें से 71 मरीजों की आंखों तक इन्फेक्शन पहुंच गया था.
रेट्रो बलबर तकनीक से बचाई गई संक्रमितों की आंखें
बताया जा रहा है कि कानपुर के GSVM में मरीजों के इलाज के लिए रेट्रो बलबर तकनीक का इस्तेमाल किया गया. नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञों ने ब्लैक फंगस के 30 रोगियों की रेट्रो बलबर तकनीक से आंखें बचा ली हैं. अभी तक बलबर तकनीक से ब्लैक फंगस से आंख बचाने का सिर्फ एक केस अमेरिका में रिपोर्ट है. इस तकनीक से आंखे बचाने संबंधी शोध को अमेरिका के जर्नल में भेजा गया है.
सीधे आंख में लगाई गई इंजेक्शन
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्ररोग विभाग में ब्लैक फंगस को लेकर दो शोध पूरे हुए हैं. पहला शोध रेट्रो बलबर तकनीक से रोगियों की आंख बचाने का है. इस तकनीक के इस्तेमाल से एक तो रोगियों की आंखें बच गईं, दूसरे सीधे आंख में इंजेक्शन लगाने पर कम मात्रा में दवा दी जाती है. आंखों में इंजेक्शन को लगा कर दिमाग तक संक्रमण पहुंचने से रोका गया.
बचाई गई संक्रमितों की आंखे
वहीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस से आंखों की नसे खराब होने के मामले में भी सफलता पायी. अमूमन ब्लैक फंगस का संक्रमण आंख तक पहुंचने के मामलों में आंख निकालनी पड़ती है. यहां पर संक्रमितों की आंखे बचायी गयी औऱ उनमें मूवमेंट भी आ गया. बता दें कि केवल छह मरीजों की आंखे निकाली गयी जिनमें संक्रमण काफी ज्यादा फैल गया था.