Guddu Muslim News: उमेश पाल (Umesh Pal) हत्याकांड में नामजद पांच लाख रुपए के इनामी गुड्डू मुस्लिम (Guddu Muslim) का घर प्रयागराज (Prayagraj) के शिवकुटी थाना क्षेत्र के लाला की सरैया इलाके में है. यहीं गुड्डू मुस्लिम की पैदाइश हुई थी. यहां उसका बचपन बीता. वो बचपन में यहीं पर में अपने भाई बहनों के साथ खेलता था. इस घर में पिछले कई सालों से ताला लगा हुआ है.


एबीपी न्यूज़ गुड्डू मुस्लिम के इस घर पर पहुंचा तो तमाम चौंकाने वाली जानकारियां पता चली. गुड्डू मुस्लिम ने महज 13 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था. गुड्डू मुस्लिम पिता की डांट से नाराज होकर घर से भाग गया था. वो घर छोड़ने के बाद फिर कभी वापस लौट कर नहीं आया. वो माता पिता और बड़े भाई की मौत पर भी घर नहीं आया. ना ही शादी ब्याह या किसी त्योहार पर भी कभी घर आया. गुड्डू मुस्लिम पांच भाई बहनों में सबसे छोटा था.


असली नाम मोहम्मद मुस्लिम
उसके दो  भाई और दो बहने थीं. भाई-बहनों में सबसे बड़ी परवीन बानो थी. इसके बाद भाई फहीम था जिसकी कुछ साल पहले मौत हो चुकी है. इसके बाद भाई असलम था, जो इन दिनों दुबई में रहता है. चौथे नंबर पर दिव्यांग बहन नसरीन बानो है और पांचवें नंबर पर गुड्डू मुस्लिम. गुड्डू मुस्लिम की बहन नसरीन और पड़ोसियों के मुताबिक उसका असली नाम मोहम्मद मुस्लिम है. उसका गुड्डू नाम कभी नहीं था. यह नाम उसे बाद में किसी ने दिया. गुड्डू मुस्लिम के पूर्वज सुल्तानपुर जिले के गोसाईगंज इलाके के पास के रहने वाले हैं.


परिवारवालों ने तोड़ा नाता
पिता मोहम्मद शफीक उर्फ मिट्ठन कम उम्र में ही यहां आ गए थे और अपना मकान बना लिया था. वह कभी मुंशी गिरी का काम करते थे तो कभी राजमिस्त्री का. गुड्डू और उसके सभी भाई बहनों की पैदाइश इसी घर की है, घर में एक भी पक्का कमरा नहीं है. 2 कमरों में एक पर खपरैल है, तो दूसरी पर टिन शेड, घर से भागने के बाद गुड्डू मुस्लिम ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो आए दिन यहां पुलिस पहुंचती थी.पुलिस की छापेमारी से परेशान होने के बाद परिवार वालों ने गुड्डू मुस्लिम से नाता तोड़ दिया था. पिता मोहम्मद शफीक ने गुड्डू से कानूनी तौर पर भी अपना नाता तोड़ दिया था. तकरीबन 17 से 18 साल पहले गुड्डू के पिता की मौत हो गई थी. कुछ दिन बाद ही मां साजिदा बेगम ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया था. 


गुड्डू के भाई फहीम और भाभी की भी मौत हो चुकी है. बड़ी बहन परवीन के शौहर का भी इंतकाल हो चुका है. गुड्डू ना तो कभी घर लौट कर आया और ना ही परिवार के इन सदस्यों के जनाजे में शामिल हुआ. गुड्डू की हरकतों से उसकी दिव्यांग बहन नसरीन भी त्रस्त है. बहन का कहना है कि जो अपराधी है उससे सभी को डर लगता है. हम लोगों को भी उस से डर लगता है. ऐसे लोग किसी के सगे नहीं हो सकते. उसने जो गुनाह किया है उसकी सजा उसे मिलनी ही चाहिए.


बहन बोली- उसे सजा मिलनी चाहिए
बहन ने कहा कि उसका जो भी अंजाम होगा उस पर परिवार वालों को कोई दुख या रंज नहीं होगा. गुड्डू के घर पर एक नोटिस भी लगा हुआ है. यह नोटिस दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की तरफ से लगाया गया है. इसमें लिखा हुआ है कि स्पेशल सेल ने आर्म्स एक्ट के तहत इसी साल 31 मार्च को जो मुकदमा दर्ज किया था, उसमें गुड्डू से पूछताछ की जानी है. गुड्डू मुस्लिम को 25 अप्रैल को सुबह 10 बजे स्पेशल सेल ने अपने दफ्तर में तलब किया था. हालांकि 31 मार्च को होने वाले अपराध का यह नोटिस 22 मार्च को ही जारी हो गया था. इससे इस नोटिस पर सवाल उठने लगा है. गुड्डू की दोनों बहनें पड़ोस के ही एक मकान में रहती हैं. गुड्डू मुस्लिम के हिंदू होने का दावा भी खारिज हो गया. गुड्डू का परिवार इस्लाम धर्म को मानने वाला ही था.


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