Guest House Kand: उत्तर प्रदेश के कुख्यात स्टेट गेस्ट हाउस की घटना के करीब 28 साल बाद राज्य की राजनीति फिर से सुर्खियों में आ गई है. बसपा ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को घटना की याद दिलाते हुए कहा है कि उन्हें 2 जून 1995 को याद करना चाहिए जब सपा सरकार के कार्यकाल में लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस में एक 'दलित की बेटी' (Mayawati) पर हमला हुआ था. यह चर्चा तब शुरू हुई, जब अखिलेश अनुसूचित जाति को अपने पक्ष में करने का अभियान शुरू कर रहे हैं और सोमवार को उन्होंने दिवंगत कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया.


स्टेट गेस्ट हाउस की घटना 2 जून 1995 को हुई थी, जब सपा कार्यकर्ताओं ने स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव किया था, जहां मायावती बसपा विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. बीएसपी, सपा-बसपा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने की तैयारी में थी. सपा नेताओं ने गेस्ट हाउस पर धावा बोल दिया और बसपा विधायकों और मायावती को कई घंटों तक बंद रखा. खबरों के मुताबिक, उनके कमरे में तोड़फोड़ की गई, जातिसूचक और यौन अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया. आखिरकार बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे. तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा ने मुलायम सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया और मायावती और बसपा विधायकों को बचाने के लिए पुलिस बल भेजा गया. बाद में, उन्होंने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई.


मायावती और मुलायम सिंह के बीच दुश्मनी ने अपने-अपने वोट-बैंक को भी विभाजित कर लिया. हालांकि मायावती और अखिलेश ने 2019 के आम चुनावों में हाथ मिलाया था, लेकिन महीनों के भीतर गठबंधन टूट गया. दिलचस्प बात यह है कि पिछले सालों में मायावती इस कुख्यात घटना के बारे में बात करने से बचती रही हैं और अब उनकी टिप्पणी से संकेत मिलता है कि वह अनुसूचित जाति और ओबीसी को एक साथ लाने के अखिलेश के कदम को रोकना चाहती हैं.


स्टेट गेस्ट हाउस बीजेपी के नैरेटिव का हिस्सा होगा
इस बीच, बीजेपी ने अनुसूचित जाति को कुख्यात स्टेट गेस्ट हाउस हमले की याद दिलाते हुए कहा है कि कैसे बीजेपी नेताओं ने बसपा प्रमुख मायावती को सपा कार्यकर्ताओं की भीड़ से बचाया था. पार्टी सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में स्टेट गेस्ट हाउस बीजेपी के नैरेटिव का हिस्सा होगा.


यूपी बीजेपी एससी/एसटी विंग के प्रमुख राम चंद्र कन्नौजिया ने कहा कि फर्रुखाबाद के तत्कालीन बीजेपी विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी जैसे बीजेपी नेताओं की भूमिका, जिन्होंने मायावती को नाराज सपा कार्यकर्ताओं से बचाया था, 14 अप्रैल से 5 मई के बीच प्रदेश के सभी 75 जिलों में आयोजित होने वाली कार्यशालाओं में चर्चा की जाएगी. कांशीराम को महिमामंडित करने के लिए बीजेपी और सपा के बीच छिड़े अभियान के दो लक्ष्य हैं, दलितों को लुभाना, क्योंकि उनकी यूपी के राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण चुनावी भूमिका है और उन्हें बसपा से दूर करना जो उन्हें अपनी राजनीति का मुख्य हिस्सा मानती है.


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हम सामाजिक रूप से उत्पीड़ित मुद्दों को उठाते रहे हैं- सपा
कन्नौजिया ने कहा कि सपा के शासन में दलितों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया. हालांकि, सपा प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी दलितों के मुद्दों का समर्थन कर रही है, जो बीजेपी सरकार के तहत भारी दबाव में हैं. गांधी ने कहा, हम सामाजिक रूप से उत्पीड़ित मुद्दों को उठाते रहे हैं.