Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजू खाने का भी सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज गुरुवार (22 अगस्त) को हुई सुनवाई में मस्जिद कमेटी ने अपना जवाब दाखिल किया. याचिकाकर्ता राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने मस्जिद कमेटी के जवाब पर अपना रिज्वाइंडर दाखिल करने के लिए कोर्ट से दो हफ्ते की मोहलत मांगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी.


मस्जिद कमेटी के जवाब में याचिका को खारिज किए जाने की अपील की गई है. मस्जिद कमेटी ने अपने जवाब में कहा है कि याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पक्षकार नहीं बनाया गया है, जबकि यह जमीन वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड है. जिसमें कहा गया कि राखी सिंह के मूल केस और हाई कोर्ट में दाखिल की गई पुनरीक्षण याचिका दोनों में ही यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पक्षकार नहीं बनाया गया है. ऐसे में याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.


मस्जिद कमेटी की तरफ से यह भी दलील दी गई कि यह मामला 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट और वक्फ एक्ट से बाधित है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कथित शिवलिंग को संरक्षित रखने का आदेश दिया है. ऐसे में वजू खाने का सर्वेक्षण नहीं कराया जा सकता. इस मामले में वाराणसी की जिला अदालत का फैसला पूरी तरह सही है. सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.


यह पुनरीक्षण याचिका श्रृंगार गौरी केस की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह की तरफ से दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि जिस तरह से ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वे किया गया है, उसी तरह से सील वजू खाने का भी सर्वे किया जाना चाहिए. दो साल पहले कथित शिवलिंग मिलने के बाद पूरे वजू खाने को सील कर दिया गया था.याची राखी सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता सौरभ तिवारी कोर्ट में पक्ष रख रहे हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी पैरवी कर रहे हैं. मामले की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में हो रही है. 


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