Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट मुस्लिम पक्ष की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, लेकिन आज आने वाले इस फैसले से पहले ही मुस्लिम पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में अब एक सप्लीमेंट्री एफिडेविट दाखिल किया गया है. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ़ से दाखिल इस हलफनामे में अदालत से अपील की गई है कि वाराणसी ज़िला अदालत के सर्वे कराने के फ़ैसले और हिंदू पक्ष की याचिका ख़ारिज की जाए. इसके लिए 1957 के जनरल सिविल रूल के नियम 17 का हवाला दिया गया है.


मस्जिद कमेटी के सीनियर एडवोकेट फरमान नकवी का कहना हैं कि सर्वे के लिए होने वाला खर्च एडवांस में उस पक्ष की तरफ़ से जमा होना चाहिए था, जो पक्ष ऐसा चाहता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसीलिए हिंदू पक्ष की अपील और वाराणसी जिला कोर्ट का ASI से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का फ़ैसला रद्द किया जाए. मस्जिद कमेटी का यह सप्लीमेंट्री एफिडेविट बुधवार शाम मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच को दिया गया है.


आज हाईकोर्ट सुना सकता है फैसला


दरअसल ज्ञानवापी के सर्वे कराए जाने के वाराणसी जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने 21 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिस पर चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद 27 जुलाई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. इस मामले पर आज हाईकोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. इस मामले में पर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी हो चुकी हैं. 


दोनों पक्षों की दलील पूरी


मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जिला अदालत ने सर्वे का फैसला अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दिया है. ये मामले 1991 प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट के तहत सुनने के लायक ही नहीं है. सर्वे की वजह से मस्जिद की ढांचे को नुकसान हो सकता है. इस मामले में एएसआई ने इतनी जल्दी क्यों दिखाई. वहीं हिन्दू पक्ष की दलील है कि राम जन्म भूमि में भी ऐसा सर्वे हुआ था, पर वहां कोई नुकसान किसी तरह का नही हुआ. वहीं एएसआई ने भी कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है कि सर्वे से इमारत को कोई नुकसान नहीं होगा. 


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