Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी (Varanasi) जिला जज के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में सोमवार से शुरू हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के सर्वेक्षण पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दाखिल कर दी है. ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने इस याचिका में 21 जुलाई को आए जिला जज के फैसले को रद्द किए जाने और अंतिम फैसला आने तक इस पर रोक लगाए जाने की गुहार लगाई गई है.
मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ये याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देकर इस याचिका को अर्जेंसी के आधार पर आज ही सुनने की अपील भी की गई है. हाईकोर्ट में आज ही दोपहर के वक्त याचिका पर सुनवाई हो सकती है. मस्जिद कमेटी ने याचिका में अपनी तमाम दलीलें पेश की हैं. याचिका में कहा गया है कि जिला जज ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला दिया है.
मुस्लिम पक्ष ने याचिका में दी दलील
मस्जिद कमेटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 मई को ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए जिला जज को सिर्फ ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत सिविल वाद की पोषणीयता पर ही सुनवाई का अधिकार दिया था. अभी तक जब वाद की पोषणीयता पर ही फैसला नहीं हुआ है तो कोर्ट कैसे सर्वेक्षण का आदेश जारी कर सकती हैं. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वेक्षण कराए जाने के एक पुराने आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने को भी आधार बनाया गया है.
आज ही हो सकती है सुनवाई
मस्जिद कमेटी की याचिका में एएसआई की सक्रियता पर भी सवाल उठाए गए हैं. कहा गया है कि राखी सिंह के जिस केस में जिला जज ने 21 जुलाई को फैसला सुनाया, उस मामले में एएसआई पक्षकार नहीं है. एएसआई ने सिर्फ कुछ घंटों बाद ही जिस तरह से सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू की, वह उसकी मंशा पर सवाल खड़े करता है. मस्जिद कमेटी की याचिका के साथ 8 संलग्नक भी लगाए गए हैं. याचिका हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग में दाखिल की जा चुकी है. कुछ घंटों बाद ही यह सूची बंद हो सकती है और इस पर आज ही सुनवाई भी संभव है. अगर किन्ही वजहों से आज सुनवाई नहीं हो पाती है तो कल सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई को शाम 5:00 बजे तक ही रोक लगाई हुई हैं. हिंदू पक्ष ने इस मामले को लेकर पहले ही हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल कर रखी है. कैविएट दाखिल होने से अदालत कोई फैसला सुनाने से पहले हिंदू पक्ष को भी सुनवाई का मौका देगी. हिंदू पक्ष की तरफ से कई बड़े वकील बहस करने के लिए तैयारी किए हुए हैं.