Exclusive: ज्ञानवापी के जिस हिस्से में होना है ASI का सर्वे वहां से abp न्यूज की आंखों देखी? सबकुछ जानें
Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी की छतें तकरीबन 30 फीट ऊंची है और छतों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है लेकिन अंदर का हॉल ऐसा नजर आता है जैसे वहां सालों से मस्जिद की मरम्मत व रंगाई पुताई नहीं की गई है.
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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में पिछले साल हुई कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान संवाददाता मोहम्मद मोईन नमाज के दौरान कई बार मस्जिद की विवादित जगह पर गए और उन्होंने अंदर की एक-एक जगह को अपनी आंखों से देखा. मस्जिद परिसर में नमाजियों को छोड़कर किसी अन्य को अंदर जाने की इजाजत नहीं होती.
एएसआई सर्वे के आदेश के बाद देश भर में एक बार फिर से चर्चा का सबब बनी ज्ञानवापी मस्जिद जमीन की सतह से तकरीबन पांच मीटर ऊपर है. नीचे तहखाना है और मस्जिद के मुख्य हिस्से तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियों का इस्तेमाल करना होता है. मस्जिद की पहली मंजिल तीन हिस्सों में है. ऊपर की मंजिल के इन्हीं तीनों हिस्सों में नमाज अदा की जाती है. सबसे पहले पश्चिमी दीवार के अंदर की जगह है, जहां पेश इमाम नमाज पढ़ाते हैं, तकरीर करते हैं और जलसों की कयादत करते हैं. यह जगह गुम्बद के ठीक नीचे है. इसके बाद बड़ा सा बरामदा है.
एंट्री गेट से मस्जिद में दाखिल होने पर सबसे पहले बड़ा सा आंगन पड़ता है. इसी आंगन से होकर बरामदे व मस्जिद के मुख्य हिस्से तक जाया जा सकता है. मस्जिद के आंगन के बीचों-बीच ही वह वजूखाना भी है, जिसके हौज में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद उसे पिछले साल सील किया जा चुका है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद की मौजूदा जगह के जिन हिस्सों में ASI का सर्वेक्षण होगा, उसमें वजूखाना शामिल नहीं है. मस्जिद में अभी कोई वजूखाना नहीं है. नमाज के लिए आने वाले ज्यादातर अकीदतमंद बाहर से ही वजू कर मस्जिद में दाखिल होते हैं.
मस्जिद के सभी हिस्से में लगे हुए हैं सीसीटीवी कैमरे
मस्जिद का गर्भ गृह और बरामदा मुगलकालीन पत्थरों से बनाया गया है. छतें तकरीबन 30 फीट ऊंची है और छतों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है, लेकिन अंदर का हॉल ऐसा नजर आता है जैसे वहां सालों से मस्जिद की मरम्मत व रंगाई पुताई नहीं की गई है. मस्जिद के सभी हिस्से में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. हरे रंग के सभी दरवाजों पर प्लास्टिक के ट्रांसपेरेंट यानी पारदर्शी पर्दे लगे हुए हैं. लाउडस्पीकर बेहद साफ्ट आवाज में ही बजते हैं. उनकी ध्वनि इतनी ही रहती है कि आवाज सिर्फ मस्जिद परिसर तक ही सीमित रहें और बाहर ना जाने पाए. मस्जिद के अंदर की पत्थर की दीवारें कई जगह से जर्जर होती भी नजर आती हैं. मस्जिद परिसर में सुरक्षा कर्मियों के लिए टीन का एक हाल नुमा कमरा बनाया गया है. इसके साथ ही साथ दो वॉच टावर भी हैं. मस्जिद के पीछे एक खंडहरनुमा बिल्डिंग के अवशेष भी नजर आते हैं.
पूर्वी हिस्से में है वजूखाना
ज्ञानवापी मस्जिद के सिर्फ पश्चिमी हिस्से में ही पक्की दीवार है. आंगन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में कोई दीवार नहीं है. उसे लोहे के एंगल से बैरिकेड किया गया है. आंगन के दक्षिणी हिस्से के ठीक सामने बाबा विश्वनाथ का गर्भगृह और नंदी जी की प्रतिमा है. आंगन के पूर्वी हिस्से में वजूखाने के साथ बने हुए शौचालयों की दीवार है. सील वजूखाने के बाई तरफ के बड़े हिस्से में सीआरपीएफ का कैम्प है. इसके बाकी बचे और दाहिनी तरफ के हिस्से में कोई दीवार नहीं है. इन हिस्सों को भी लोहे के ऐंगल्स से बैरिकेड किया गया है. बाहर का हिस्सा वह रास्ता है, जिससे वीआईपी श्रद्धालु गेट नंबर चार से इंट्री कर बाबा और नंदी जी के दरबार तक जाते हैं.
मस्जिद के नीचे के हिस्से में आज भी है तहखाना
इसके अलावा मस्जिद के गुंबद तक जाने के लिए पश्चिमी दीवार के पास एक बेहद पुरानी सीढ़ी भी है. यह सीढ़ी इतनी खस्ताहाल है कि अब आमतौर पर इसका इस्तेमाल नहीं होता. कोई जरूरत पड़ने पर गुम्बद तक जाने के लिए आंगन से लकड़ी या लोहे की सीढ़ी का उपयोग किया जाता है. मस्जिद के नीचे के हिस्से में आज भी तहखाना है. जितनी जगह में मस्जिद है, उसका नीचे का पूरा हिस्सा तहखाना है. तहखाने में कई दरवाजे हैं. कुछ दरवाजे लोहे और कुछ लकड़ी के हैं. खास मौकों को छोड़कर पिछले तीन दशकों से पूरा तहखाना बंद ही रहता है. तहखाने की पश्चिमी दीवार के पास ही खुले हिस्से में तीन मजारे भी हैं. ये मजारें किसकी हैं, इस बारे में अलग-अलग दावे हैं. हालांकि जिस जगह पर मजारे हैं, वह हिस्सा बैरीकेड है और वहां पैरा मिलिट्री फोर्स का पहरा रहता है.
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