Gyanvapi Case: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर विवाद मामले में अहम सुनवाई होगी. इससे पहले ज्ञानवापी परिसर से जुड़ा एक पुराना मूल वाद 1991 लॉर्ड स्वयंभू विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी भी रहा है, जिसकी कई कड़ियां आज के सर्वे रिपोर्ट के फैसले पर निर्भर हैं. ऐसे में ज़रूरी है कि काशी ज्ञानवापी मामले से जुड़े दो प्रमुख मामले 1991 लॉर्ड स्वयंभू विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामियां मसाजिद और राखी सिंह के वाद को स्पष्ट रूप से समझा जाए. इसी विषय को लेकर एबीपी लाइव ने वादी अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी से खास बातचीत की है.
अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने राखी सिंह का वाद और 1991 लॉर्ड स्वयंभू विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी मामले में अंतर बताते हुए कहा कि राखी सिंह का वाद पांच महिलाओं द्वारा नियमित दर्शन पूजन से जुड़ा है जो ज्ञानवापी परिसर के सिर्फ प्लॉट नंबर 9130 से संबंधित है. यह व्यक्तिगत वाद है, इससे आम जनमानस को कोई प्रभाव नहीं होगा, जबकि 1991 लॉर्ड स्वयंभू विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाला वाद मलिकाना हक से जुड़ा है.
विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि यह मामला सबसे मूल वाद से जुड़ा है. ज्ञानवापी परिसर के तीन प्लॉट से संबंधित है 9130, 9131 और 9132. 1991 पुराना वाद जनप्रतिनिधि मामला है और यह देश के सारे हिंदुओं की तरफ से देश के सारे मुसलमान के खिलाफ वाद है.
एएसआई सर्वे को लेकर कही ये बात
इस दौरान जब एबीपी लाइव ने ASI सर्वे को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि, अभी तक जो सर्वे हुआ है वह पूर्ण सर्वे नहीं है. वह सिर्फ उन बिंदुओं के आधार पर है जिनमें राखी सिंह का वाद है. माननीय उच्च न्यायालय ने ASI को अनेक बिंदुओं पर पुनः सर्वे के लिए निर्देशित भी किया है जिसको ASI को पूरा करके सबमिट भी करना है.
वाराणसी कोर्ट में 18 दिसंबर को पेश हुई एएसआई रिपोर्ट सार्वजनिक करने के सवाल पर अधिवक्ता ने कहा कि ASI रिपोर्ट देश के समक्ष आना एक पार्ट ऑफ रिकॉर्ड का मामला है. सबसे प्रमुख बात यह है कि जनरल रूल व सिविल नियम के मुताबिक सील पैक में एएसआई रिपोर्ट को सबमिट करना उचित नहीं है. इस सील पैक को समाप्त करके माननीय जनपद न्यायाधीश आदेश देंगे.