Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी सर्वे (Gyanvapi Survey) में शिवलिंग (Shivling) मिलने के दावे को लेकर अब कार सेवा (Kar Seva) शुरू हो सकती है. काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के पूर्व महंत ने 15 जून के बाद कारसेवा करने का ऐलान किया है. लेकिन संत समाज इस पूर्व महंत की कार्यशैली का विरोध कर रहा है.


ज्ञानवापी सर्वे के बाद काशी में कारसेवा का माहौल बनने लगा है. पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने काशी में अयोध्या की तर्ज पर कारसेवा की घोषणा की है. कारसेवा की तैयारी अस्सी घाट से लेकर आदि केशव घाट के बीच की जाएगी. इसके लिए महंत ने हिंदू संगठनों का आह्वान किया है. आपको बता दें कि ज्ञानवापी को लेकर कोर्ट से लेकर सड़क तक हवा अब बदलती नजर आ रही है. वहीं संतों का एक धड़ा इस कारसेवा को उचित नहीं मान रहा. उनका कहना है कि मामला कोर्ट में है और जीत सुनिश्चित है और कासेवा से आपसी दूरियां बढ़ेंगी.


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क्या है कारसेवा?


कारसेवा पंजाब के 'करसेवा' से लिया गया शब्द है. इसका अर्थ अपने हाथों से समाजसेवा में योगदान देना है. पंजाब में करसेवा गुरुनानक जी के जमाने से चली आ रही है. वहीं अयोध्या आंदोलन में कारसेवा का मतलब सरयू नदी के जल से एक मुट्ठी बालू लाकर धार्मिक परिसर में डालना था लेकिन उस दौरान भीड़ ने इसका मतलब बदल दिया. अब स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती उत्तराखंड में संतों की जुटान करके ज्ञानवापी के लिए संदेश दे रहे हैं तो वहीं पूर्व महंत गंगा किनारे के मंदिरों में पूजन कर जनता को जगाने की मुहिम में जुट गए हैं.


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