Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी की अदालत हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल किए ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में वैज्ञानिक सर्वे के निर्देश देने वाली याचिका पर फैसला सुनाएगी. इस मामले में 14 जुलाई को सभी पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है. जिसके बाद आज कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. इस साल मई में पांच महिलाओं द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने पहले एक अन्य याचिका में मंदिर परिसर के अंदर 'श्रृंगार गौरी स्थल' पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी थी. मस्जिद परिसर में एक संरचना मिली थी, जिसे हिन्दू पक्ष के लोगों ने शिवलिंग बताया तो वहीं दूसरे पक्ष ने फव्वारा होने का दावा किया था. 


हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने इससे पहले 14 जुलाई को कहा था, "हमने अदालत के सामने अपनी बात रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने 21 मई को हमारे पक्ष में फैसला सुनाया. हमने एएसआई से परिसर की जांच किए जाने पर अपनी बात रखी है. हमें अदालत के आदेश का इंतजार करना चाहिए." इससे पहले 6 जुलाई को, ज्ञानवापी मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करे. जिसमें एएसआई को पिछले साल एक वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण के दौरान वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए गए "शिवलिंग" की कार्बन डेटिंग सहित "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करने का निर्देश दिया गया था. 


जानें- क्या है मामला


याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर कहा कि मामला 19 मई, 2023 को शीर्ष अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जब उसने निर्देशों के कार्यान्वयन को 6 जुलाई, 2023 तक के लिए टाल दिया था. "शिवलिंग" की कार्बन डेटिंग में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में निहित निर्देशों का कार्यान्वयन सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश, वाराणसी की देखरेख और निर्देशन में ज्ञानवापी परिसर के परिसर में "शिवलिंग" के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी.


मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" को यह कहते हुए स्थगित कर दिया था, कि विवादित आदेश बारीकी से जांच के योग्य है. इसलिए इस आदेश का कार्यान्वयन अगली तारीख तक स्थगित रहेगा. पीठ ने "शिवलिंग" की आयु निर्धारित करने के लिए एएसआई द्वारा वैज्ञानिक जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की अपील पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया था. 


सभी पक्षों ने पेश की दलील


ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने पीठ को बताया था कि कार्बन डेटिंग और सर्वेक्षण जल्द ही शुरू होगा. यूपी सरकार की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए, जिसे एक पक्ष "शिवलिंग" का दावा करता है और दूसरा इसे फव्वारा कहता है. मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के विशेषज्ञ पहले ही बता चुके हैं कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.


दरअसल पिछले साल 16 मई को सर्वेक्षण के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में एक संरचना मिली थी, जिसे हिंदू पक्ष ने "शिवलिंग" और मुस्लिम पक्ष ने "फव्वारा" होने का दावा किया. हाईकोर्ट ने 12 मई को वाराणसी जिला न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 14 अक्टूबर, 2022 को "शिवलिंग" के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के आवेदन को खारिज कर दिया गया था. कोर्ट ने जिला न्यायाधीश को "शिवलिंग" की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू पक्ष के आवेदन पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी और तीन अन्य ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. 


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