Gyanvapi Masjid: शिवलिंग मिलने के दावे के बाद वाराणसी (Varanasi) की विवादित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) का वजूखाना अदालत के आदेश पर सील किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वाराणसी के डीएम को मस्जिद में वजू की वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर वाराणसी प्रशासन ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है.
उम्मीद जताई जा रही है कि प्रशासन सोमवार से शुरू हो रहे नए हफ्ते में वजू की वैकल्पिक व्यवस्था शुरू करा सकता है. अस्थाई वजूखाना मस्जिद के आंगन में ही बनाए जाने की तैयारी है. आंगन में जिस जगह अस्थाई वजूखाना बनाया जाना है, वह एंट्री गेट के ठीक बगल की जगह हो सकती है.
अस्थाई वजूखाने को लेकर ये है तैयारी
सूत्रों के मुताबिक प्रशासन ने इस बारे में मस्जिद की इंतजामिया कमेटी से बात कर उसे इस व्यवस्था के लिए राजी भी कर लिया है. अस्थाई वजूखाने के लिए नमाजियों की सुविधा का ध्यान तो रखा ही जा रहा है, लेकिन साथ ही यह भी कोशिश है कि बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए आने वाले लाखों सनातनी श्रद्धालुओं की भावनाएं भी कतई किसी तरह से आहत न हो सकें. अस्थाई वजूखाने के लिए मस्जिद में किसी तरह का कोई निर्माण नहीं किया जाएगा. न ही स्थाई चबूतरा बनेगा और न ही कोई हौज बनाया जाएगा.
वजू के लिए डीएम की तरफ से सिर्फ ड्रम -लोटे और प्लास्टिक के पटरे ही मुहैया कराए जाएंगे. नमाजी ड्रम में भरे हुए पानी को लोटे में भरकर वजू कर सकेंगे. पटरे वजू के दौरान नमाजियों के बैठने के लिए रखे जाएंगे. अस्थाई वजूखाना आंगन में एंट्री गेट के ठीक बाईं तरफ सीआरपीएफ के कैंप के बगल में बनाए जाने की तैयारी है. प्रशासन सिर्फ वजू के बाद इस्तेमाल हुए पानी की निकासी की व्यवस्था पर माथापच्ची कर रहा है.
कहां है सील किया गया वजूखाना?
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद जमीन की सतह से तकरीबन पांच मीटर ऊपर है. नीचे तहखाना है और मस्जिद के मुख्य हिस्से तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियों का इस्तेमाल करना होता है. मस्जिद की पहली मंजिल तीन हिस्सों में है. ऊपर की मंजिल के इसी तीनों हिस्सों में नमाज अदा की जाती है. सबसे पहले पश्चिमी दीवार के अंदर की जगह है, जहां पेश इमाम मंजिल पढ़ाते हैं. तकरीर करते हैं और जलसों की कयादत करते हैं. यह जगह गुम्बद के ठीक नीचे है. इसके बाद बड़ा सा बरामदा है.
एंट्री गेट से मस्जिद में दाखिल होने पर सबसे पहले बड़ा सा आंगन पड़ता है. इसी आंगन से होकर बरामदे और मस्जिद के मुख्य हिस्से तक जाया जा सकता है. मस्जिद के आंगन के बीचो-बीच ही वह वजूखाना भी है, जिसके हौज में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद उसे सील किया जा चुका है.
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एंट्री गेट के बगल में बनाने का कारण
अब आपको बताते हैं कि अस्थाई वजूखाने को मस्जिद के आंगन में एंट्री गेट के बगल में ही क्यों बनाये जाने की तैयारी है. दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के सिर्फ पश्चिमी हिस्से में ही पक्की दीवार है. आंगन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में कोई दीवार नहीं है. उसे लोहे के एंगल से बैरिकेड किया गया है. आंगन के दक्षिणी हिस्से के ठीक सामने बाबा विश्वनाथ का गर्भगृह और नंदी जी की प्रतिमा है. ऐसे में उस तरह मुंह करके वजू की इजाजत नहीं दी जा सकती. आंगन के पूर्वी हिस्से में वजूखाने के साथ बने हुए शौचालयों की दीवार है.
सील वजूखाने के बाई तरफ के बड़े हिस्से में सीआरपीएफ का कैंप है. इसके बाकी बचे और दाहिनी तरफ के हिस्से में कोई दीवार नहीं है. इन हिस्सों को भी लोहे के ऐंगल्स से बैरिकेड किया गया है. बाहर का हिस्सा वह रास्ता है, जिससे वीआईपी श्रद्धालु गेट नंबर चार से इंट्री कर बाबा और नंदी जी के दरबार तक जाते हैं. यहां बिना किसी पर्दे के वजू की इजाजत दिए जाने से श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होने का खतरा रहेगा.
प्रशासन ने किया तय
इसके साथ ही सील हुए वजूखाने के बाहर अब वजू की अनुमति इसलिए नहीं मिल सकती क्योंकि वहां हौज के बीचों-बीच शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है. जाहिर है शिवलिंग के सामने या उसकी तरफ मुंह करके कुल्ला करने और हाथ-पैर धुलने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती. ऐसे में आंगन में इंट्री गेट के बगल की जगह पर अस्थाई वजूखाना बनाया जा सकता है. एक बार फिर यह साफ करना जरूरी होगा कि अस्थाई वजूखाने के लिए किसी तरह का कोई निर्माण नहीं कराया जाएगा. व्यवस्था सिर्फ वैकल्पिक ही रहेगी.
प्रशासन ने फिलहाल यह तय किया है कि जिस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था मस्जिद कमेटी ने कर रखी है, उसी व्यवस्था में थोड़ा सुधार करते हुए उसे ही आगे बढ़ाया जाएगा. इसके साथ ही मस्जिद कमेटी से यह अपील भी कराई जाएगी कि खासकर जुमे की नमाज के लिए आने वाले अकीदतमंद घर से ही वजू करके आएं, ताकि अस्थाई इंतजाम में नमाजियों की इबादत में किसी तरह का कोई खलल न हो.
क्या होगी वैकल्पिक व्यवस्था?
वैकल्पिक व्यवस्था के दौरान मस्जिद में सीआरपीएफ के साथ ही पुलिस के जवानों की भी तैनाती रहेगी, ताकि नमाजी सिर्फ तय की जगह पर ही वजू कर सकें और कहीं इधर-उधर वजू की कोशिश न करें. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वाराणसी की अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने शिवलिंग मिलने के दावे वाली जगह को सुरक्षित रखने की सख्त हिदायत दी हुई है. जिस जगह अस्थाई वजूखाना बनाए जाने की तैयारी है, उसके बार छोटी दीवार है. अस्थाई वजूखाने की जगह ऊंचाई पर होने और बाहर छोटी दीवार होने से मंदिर जाने वाले सनातनी श्रद्धालुओं की नजर यहां पड़ने की उम्मीद कम ही है.
वैसे जरुरत पड़ने पर प्रशासन कुछ जगह पर फाइबर की ट्रांसपैरेंट शीट और परदे का इस्तेमाल भी करा सकता है. अस्थाई वजूखाने को संचालित करने की जिम्मेदारी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को ही मिलने की उम्मीद है. प्रशासन की तरफ से वजू के लिए दो बड़े ड्रम, एक दर्जन लोटे और आठ से दस की संख्या में प्लास्टिक के पटरे रखे जाने की तैयारी है. इसके अलावा पानी की व्यवस्था करने के साथ ही वजू के बाद इस्तेमाल हुए पानी की निकासी की भी व्यवस्था करनी है.
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